मान्यता है कि सूर्य है राजा, बुध है मंत्री, मंगल है सेनापति, शनि है न्यायाधीश, राहू-केतु है प्रशासक, गुरु है अच्छे मार्ग का प्रदर्शक, चंद्र है आपका मन और शुक्र है वीर्य बल। यह भ्रांति मन से निकाल दें की कोई ग्रह व्यक्ति रूप में विद्यमान है। सारे ग्रह ठोस पदार्थ है, और यह भी सच है कि इनके प्रभाव से आप बच नहीं सकते हैं। बचाने वाले कोई और है।
शनि के कार्य :
जब समाज में कोई व्यक्ति अपराध करता है, पाप करता है या धर्म विरुद्ध आचरण करता है तो शनि के आदेश के तहत राहु और केतु उसे दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। शनि की कोर्ट में दंड पहले दिया जाता है, बाद में मुकदमा इस बात के लिए चलता है कि आगे यदि इस व्यक्ति के चाल-चलन ठीक रहे तो दंड की अवधि बीतने के बाद इसे फिर से खुशहाल कर दिया जाए या नहीं।
यदि चाल-चलन ठीक नहीं रहते हैं तो राहु और केतु को उक्त व्यक्ति के पीछे लगा दिया जाता है। राहु सिर में मार करता है तो केतु आपके पैरों को तोड़ने का प्रयास करता है। यदि इन दोनों से आप बचते रहे तो, कोर्ट, जेल या फिर अस्पताल में से किसी एक के या सभी के आपको चक्कर जरूर काटना पड़ेगा।
शनि अर्थात न्यायाधीश के फरमान को उलटने का कार्य कोई भी ग्रह नहीं करता है। जब एक बार एफआईआर दर्ज हो गई तो फिर कुछ नहीं हो सकता। कहते हैं कि मंगल के उपाय करने से शनि शांत हो जाएगा तो यह मन को समझाने वाली बात मानी गई है। राजा भी शनि के कार्य में दखल नहीं देता।
शनि या फिर राजा के पास सच्चे मन से ‘रहम अर्जी’ लगाई जाए तो कुछ हो सकता है। लेकिन किसी भी शनि मंदिर जाने से कुछ नहीं होगा। शनि के इस देश में केवल तीन ही मंदिर है वहीं अर्जी लगती है बाकी का कोई महत्व नहीं।
शनि को यह पसंद नहीं-
शनि को पसंद नहीं है जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना, परस्त्री गमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दांतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, सांप, कुत्ते और कौवों को सताना।