जरूरी है गुस्से का मैनेजमेंट—डॉ. वी.एस. पाल —-
कहते हैं गुस्से की आग इंसान के दिलो-दिमाग को भस्म कर देती है। गुस्सा लाख रोगों की जड़ है। आंकड़ों में बात की जाए तो विशेषज्ञ कहते हैं, गुस्से से आप .. बीमारियों को आमंत्रित करते हैं। इसमें दिल का दौरा सबसे प्रमुख है। उच्च रक्तचाप, दिल की धड़कनों का बढ़ जाना क्रोध नामक इस बीमारी के दूसरे साइड इफेक्ट्स हैं।
क्रोधित होने वाला हर कोई यह तर्क देता है कि उसका क्रोध न्यायसंगत है। उसने गुस्सा करके कोई गलत नहीं किया। हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी गुस्सा करते हैं और जब भी पीछे मुड़कर देखते हैं तो समझ जाते हैं कि उस वक्त हमारी प्रतिक्रिया बहुत अधिक थी, साथ ही न्यायसंगत भी नहीं थी। उस क्रोध पर काबू पाया जा सकता था। क्रोधित होना एक आम क्रिया है, लेकिन समस्या तब खड़ी होती है, जब इसका ठीक से प्रबंधन यानी मैनेजमेंट नहीं किया जाता।
क्या होते हैं शारीरिक परिवर्तन: जब भी आप पर गुस्से का दौरा पड़ता है तब आपके दिल की धड़कन बढ़ जाती है। इसी के साथ बढ़ता है रक्तचाप, साथ ही एनर्जी हारमोंस का स्तर बढ़ जाता है। इसी तरह एड्रेनॉलीन और नोराड्रेनालीन आदि का स्तर भी ऊँचा हो जाता है। कभी-कभी तो क्रोध के दौरे के साथ ही दिल का दौरा भी पड़ जाता है।
क्या होते हैं कारण: क्रोध आने के बाहरी और आंतरिक दो कारण प्रमुख हैं। आप किसी व्यक्ति पर क्रोधित हो सकते हैं या फिर कोई घटना आपका गुस्सा बढ़ा सकती है। आप घर-परिवार के किसी सदस्य पर क्रोधित हो सकते हैं या साथ में काम करने वाले सहयोगी पर क्रोधित हो सकते हैं। कभी ट्रैफिक जाम के कारण आपका पारा चढ़ सकता है तो कभी बॉस की डांट से क्रोध आ सकता है। किसी भी किस्म के खतरे की आशंका की पहली प्रतिक्रिया क्रोध के रूप में व्यक्त होती है।
अधिक आक्रामकता की स्थिति में आप हमला भी कर सकते हैं। यही हमारे अस्तित्व की रक्षा करने वाली प्राथमिक भावना भी है। दरअसल हम आधुनिक समाज में अपने क्रोध की भावनाओं को हमेशा और हर किसी के सामने नहीं व्यक्त कर सकते हैं। सामाजिक नियम कानून एवं सभ्यता हमें ऐसा करने से रोकते हैं। यही वजह है कि हमें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने की जरूरत महसूस होती है। लेकिन समाधान कहीं और से नहीं खुद से ही आएगा क्योंकि गुस्सा भी आपके भीतर से ही आ रहा है।
विपरीत परिस्थिति में अपने आपको संभालना ही आपकी खूबी हो सकती है और तुरंत हड़बड़ा कर गुस्सा कर लेना आपकी कमी है। गुस्से का मैनेजमेंट सबके लिए अलग-अलग हो सकता है लेकिन जो बात सब पर लागू होती है वह है महाभारत धारावाहिक का एक डॉयलॉग स्वयं से कहे- ‘शांत गदाधारी भीम शांत’। यह बात मजाक में ली जा सकती है पर इसका मतलब है खुद को शांत रखें, स्वयं को वक्त और स्पेस दें और अगले की परिस्थिति को समझने का प्रयास करें। उसकी जगह खुद को रखकर देखने की कोशिश करें। नजरिया बदलते ही गुस्सा भी काफूर हो जाएगा।
एक आसन उपाय और हे इस समस्या से निजात/ छुटकारा पाने का…जब कभी भी आपको लगे की आप पर गुस्सा हावी हो रहा हे तो ध्यान परिवर्तन (MIND DAIVERT) करने के लिए.उलटी गिनती— सो से एक तक (.00 से 01 ) गिनना शुरू कर दे ,मन ही मन में…फिर देखिये..केसे गुस्सा गायब होता हे….!!!!!!

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