हैंडराइटिंग बदलने से मिलेगी सफलता—– हेमंत धरफले
ग्राफोथैरेपी से यूँ तो सभी प्रकार के व्यक्तियों और सभी उम्र के पुरुषों और महिलाओं को लाभ हो सकता है परंतु स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के लिए (.. वर्ष से अधिक उम्र के) इसके सबसे अच्छे परिणाम संभव हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि विद्यार्थी लगातार और अधिक-से-अधिक लिखने की प्रैक्टिस कर रहा है या नहीं।
ग्राफोलॉजी एक ऐसा विज्ञान है, जिससे न सिर्फ व्यक्ति का व्यक्तित्व जाना जा सकता है, बल्कि व्यक्ति के लगातार अभ्यास से व्यक्तित्व की खूबियाँ बढ़ाकर जीवन में सफलता का ग्राफ बढ़ाया जा सकता है। अक्षर और हस्ताक्षर में परिवर्तन कर स्वयं को लगातार निखारना और व्यक्तित्व के आकर्षण को बढ़ाना ग्राफोथैरेपी कहलाता है।
ग्राफोथैरेपी से यूँ तो सभी प्रकार के व्यक्तियों और सभी उम्र के पुरुषों और महिलाओं को लाभ हो सकता है परंतु स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के लिए (10 वर्ष से अधिक उम्र के) इसके सबसे अच्छे परिणाम (कई बार चमत्कारिक भी) संभव हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि विद्यार्थी लगातार और अधिक-से-अधिक लिखने की प्रैक्टिस कर रहा है या नहीं।
लड़कियाँ पूरे मनोयोग से अधिक से अधिक लिखती और प्रैक्टिस भी करती हैं, अतः उन्हें परिणाम भी उम्मीद के मुताबिक या उससे ज्यादा मिलते हैं।
लगभग . साल पहले एक बहुत ही होनहार और प्रतिभावान लड़की, जो उस समय ग्यारहवीं में पढ़ रही थी, अपनी लिखावट लेकर आई थी। उसके जीवन का लक्ष्य आईआईटी में प्रवेश पाना था। मेहनती और होशियार तो वह थी, बस उसे थोड़े से दिशा-निर्देश, प्रोत्साहन और अक्षरों में थोड़े परिवर्तन की जरूरत थी।
उसके अक्षरों का पूरा विश्लेषण कर उसे छोटे-छोटे उपाय व पढ़ाई का उचित टाइम टेबल बनाकर दिया गया और जब आईआईटी का परिणाम आया तो उसका चयन हो चुका था। अब वह आईआईटी खड़गपुर से बीटेक कर रही है। पिछले कुछ सालों से लड़कों ने भी खुद को व्यवस्थित कर बेहतर टाइम टेबल पर चलकर विभिन्ना प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर अपना लक्ष्य पाया है।
कोई भी विद्यार्थी जो अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर अधिकतम अंक लाना चाहता है, उसे बस थोड़े से उपाय करने होंगे, जिससे वह अधिकतम लाभ पा सके। विद्यार्थी को सबसे पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। समय पर और पौष्टिक भोजन खाना, कम से कम 6-7 घंटे गहरी नींद लेना और सुबह के समय अधिक से अधिक पढ़ने को अपने रूटीन में शामिल करें।
रोज 10-15 मिनट के लिए ध्यान जरूर करें। रात को देर तक जागना पड़े तो एक-एक घंटे के अंतराल से गिलास भर पानी जरूर पीएँ। चाय-कॉफी कम-से-कम पिएँ। मनोरंजन के लिए अपना मनपसंद संगीत सुनें। इसके साथ ये उपाय करके देखें :
1. रोज 45 से 60 मिनट लिखने का अभ्यास जरूर करें।
2. यदि आपके अक्षर बहुत बड़े हैं तो उन्हें लगभग .0 से 40 प्रतिशत तक छोटा कर लें। अक्षर छोटे करने से आप अधिक फोकस हो पाएँगे और परीक्षा में अधिक लिख पाएँगे।
3. अँगरेजी के अक्षरों में लिखावट में कंटीन्यूटी बढ़ाएँ। इससे आपकी एकाग्रता बढ़ेगी।
4. अँगरेजी के ऊपर जाने वाले अक्षरों जैसे टी, बी, एल, डी को और ऊपर ले जाएँ और नीचे जाने वाले अक्षर जैसे वाय, जे, जी को कम नीचे लाएँ। इससे आपकी सकारात्मक भावनाएँ बढ़ेंगी और नकारात्मक भावनाएँ (गुस्सा, चिंता) कम होंगी।
5. रात और सुबह जल्दी लिखना लाभप्रद होता है। लिखावट में दबाव (प्रेशर) कम से कम रखें।
ग्राफोथैरेपी से यूँ तो सभी प्रकार के व्यक्तियों और सभी उम्र के पुरुषों और महिलाओं को लाभ हो सकता है परंतु स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के लिए (.. वर्ष से अधिक उम्र के) इसके सबसे अच्छे परिणाम संभव हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि विद्यार्थी लगातार और अधिक-से-अधिक लिखने की प्रैक्टिस कर रहा है या नहीं।
ग्राफोलॉजी एक ऐसा विज्ञान है, जिससे न सिर्फ व्यक्ति का व्यक्तित्व जाना जा सकता है, बल्कि व्यक्ति के लगातार अभ्यास से व्यक्तित्व की खूबियाँ बढ़ाकर जीवन में सफलता का ग्राफ बढ़ाया जा सकता है। अक्षर और हस्ताक्षर में परिवर्तन कर स्वयं को लगातार निखारना और व्यक्तित्व के आकर्षण को बढ़ाना ग्राफोथैरेपी कहलाता है।
ग्राफोथैरेपी से यूँ तो सभी प्रकार के व्यक्तियों और सभी उम्र के पुरुषों और महिलाओं को लाभ हो सकता है परंतु स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के लिए (10 वर्ष से अधिक उम्र के) इसके सबसे अच्छे परिणाम (कई बार चमत्कारिक भी) संभव हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि विद्यार्थी लगातार और अधिक-से-अधिक लिखने की प्रैक्टिस कर रहा है या नहीं।
लड़कियाँ पूरे मनोयोग से अधिक से अधिक लिखती और प्रैक्टिस भी करती हैं, अतः उन्हें परिणाम भी उम्मीद के मुताबिक या उससे ज्यादा मिलते हैं।
लगभग . साल पहले एक बहुत ही होनहार और प्रतिभावान लड़की, जो उस समय ग्यारहवीं में पढ़ रही थी, अपनी लिखावट लेकर आई थी। उसके जीवन का लक्ष्य आईआईटी में प्रवेश पाना था। मेहनती और होशियार तो वह थी, बस उसे थोड़े से दिशा-निर्देश, प्रोत्साहन और अक्षरों में थोड़े परिवर्तन की जरूरत थी।
उसके अक्षरों का पूरा विश्लेषण कर उसे छोटे-छोटे उपाय व पढ़ाई का उचित टाइम टेबल बनाकर दिया गया और जब आईआईटी का परिणाम आया तो उसका चयन हो चुका था। अब वह आईआईटी खड़गपुर से बीटेक कर रही है। पिछले कुछ सालों से लड़कों ने भी खुद को व्यवस्थित कर बेहतर टाइम टेबल पर चलकर विभिन्ना प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर अपना लक्ष्य पाया है।
कोई भी विद्यार्थी जो अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर अधिकतम अंक लाना चाहता है, उसे बस थोड़े से उपाय करने होंगे, जिससे वह अधिकतम लाभ पा सके। विद्यार्थी को सबसे पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। समय पर और पौष्टिक भोजन खाना, कम से कम 6-7 घंटे गहरी नींद लेना और सुबह के समय अधिक से अधिक पढ़ने को अपने रूटीन में शामिल करें।
रोज 10-15 मिनट के लिए ध्यान जरूर करें। रात को देर तक जागना पड़े तो एक-एक घंटे के अंतराल से गिलास भर पानी जरूर पीएँ। चाय-कॉफी कम-से-कम पिएँ। मनोरंजन के लिए अपना मनपसंद संगीत सुनें। इसके साथ ये उपाय करके देखें :
1. रोज 45 से 60 मिनट लिखने का अभ्यास जरूर करें।
2. यदि आपके अक्षर बहुत बड़े हैं तो उन्हें लगभग .0 से 40 प्रतिशत तक छोटा कर लें। अक्षर छोटे करने से आप अधिक फोकस हो पाएँगे और परीक्षा में अधिक लिख पाएँगे।
3. अँगरेजी के अक्षरों में लिखावट में कंटीन्यूटी बढ़ाएँ। इससे आपकी एकाग्रता बढ़ेगी।
4. अँगरेजी के ऊपर जाने वाले अक्षरों जैसे टी, बी, एल, डी को और ऊपर ले जाएँ और नीचे जाने वाले अक्षर जैसे वाय, जे, जी को कम नीचे लाएँ। इससे आपकी सकारात्मक भावनाएँ बढ़ेंगी और नकारात्मक भावनाएँ (गुस्सा, चिंता) कम होंगी।
5. रात और सुबह जल्दी लिखना लाभप्रद होता है। लिखावट में दबाव (प्रेशर) कम से कम रखें।