वेल इन टाइम डे-टु-डे–चलिए खुशियों का बोनस पाएँ—- वि‍लास जोशी
अगर आप अपनी जिंदगी खुशि‍यों से भरना चाहते हैं, सक्‍सेस होना चाहते हैं तो उसका ऐ महत्वपूर्ण सूत्र यह है कि आपकी डे-टू-डे लाइफ में ‘वेल इन टाइम डे-टु-डे’ हो। इसके अलावा जो बातें हमें ध्यान रखना चाहिए, वे ये हैं-
महसूस करें—-
सामने वाले शख्स को अंदरुनी रूप से समझना एक बड़ा गुण है। कभी-कभी किसी को ठीक से समझ न पाना नुकसानदायक भी साबित हो सकता है, इसलिए पहले किसी को मन में अनुभव करो, फिर उसके बारे में गहनता से सोचो, चाहे वह आपकी पत्नी हो या पुत्र-पुत्री या हों आपके पड़ोसी।
छोटी-छोटी बातें भी होती हैं गहरी—-
जीवन में छोटी-छोटी बातें भी गहराई लिए होती हैं, इसलिए वे महत्वपूर्ण भी होती हैं, फिर चाहे वह आपका ‘व्यवहार’ हो, ‘आहार’ हो या ‘शिष्टाचार।’
अपने शब्दों का मान रखें—-
यदि किसी से कोई वादा करें तो उसे अवश्य पूरा करें। यदि आप स्वयं के बोले शब्दों का मान नहीं रखेंगे, तो फिर आप पर कोई विश्वास नहीं करेगा। अपने कहे शब्दों को पालने से, उन्हें पूरा करने से आपका सम्मान निश्चित ही बढ़ेगा।
स्पष्टता रखें—
प्रायः अस्पष्ट बातें, अधूरे संवाद आपके विश्वास की दीवार में दरयदि अपनी जिंदगी को आप पूर्णतया सुखी और सफल बनाना चाहते हैं तो उसका महत्वपूर्ण सूत्र यह है कि हमारे जीवन में नित्यक्रम- ‘वेल इन टाइम डे-टुडे’ हो। इसके अतिरिक्त जो बातें हमें ध्यान रखना चाहिए, वे ये हैं-
शक का कोई इलाज नहीं—–
यदि किसी पर शक करके उसे कोई काम सौंपा जाएगा तो वह अपनी तरफ से सौ फीसद रिजल्ट नहीं दे सकेगा, क्योंकि वह समझता है कि सामने वाला मुझ पर अविश्वास रखकर मुझे काम सौंप रहा है तो फिर मैं पूर्ण तन्मयता से काम क्यों करूँ! चूँकि अविश्वास में ‘विष’ का अंश होता है, इसलिए किसी पर विश्वास करके ही उसे काम सौंपना चाहिए, चाहे वह आपका पुत्र हो या सेवक।
तह-ए-दिल से माफी माँगें—-
यदि आपसे गलती से भी किसी का दिल दुखा हो या अनजाने में आपसे कोई भूल हो जाए तो तह-ए-दिल से क्षमा माँगना चाहिए। कहते हैं कि माफी माँगने के लिए ‘चारित्रिक शक्ति’ और ‘शेर का दिल’ लगता है। फिर क्षमा वही माँग सकता है, जिसका मन साफ हो। क्षमा माँगना उसे कहते हैं, जो सामने वाले के दिल में भी उतरे क्योंकि प्रायः अहंकार कभी किसी को क्षमा माँगने नहीं देता। विद्वानों का मत है कि गलतियाँ दिमाग का ‘सहउत्पाद’ है और ईगो आदमी को गलतियाँ करने के लिए बहकाता रहता है।
मानसिक संतुलन और खुशियाँ—-
मानसिक संतुलन गड़बड़ाया कि समझो गलतियों को चांस मिल गया। फिर ये गलतियाँ हमारा कितना नुकसान करवाएँगी- इसका अंदाजा उस वक्त लगाना मुश्किल होता है, जब गृहस्थी या व्यवसाय में कोई गंभीर समस्या आए, तब मानसिक संतुलन संभालना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि जिस समस्या ने आपको नुकसान पहुँचाया है, उसकी भरपाई तो निकट भविष्य में हो भी सकती है, लेकि‍न मानसिक संतुलन गड़बड़ाने से होने वाली हानि‍ के लि‍ए तो हमें सि‍र्फ पछताना ही पड़ता है।
बाँधे प्‍यार की डोर—-
प्‍यार ही जिंदगी का आधार होता है। सबसे प्रेम करोगे तो हमेशा खुश रहोगे और सेल्‍फलेस होकर करोगे तो और भी खुश रहोगे। जि‍नसे आप प्‍यार करते हैं कोशि‍श करें कि‍ उनसे कोई एक्‍पेक्‍टेशन न रखें।
(सौजन्य से – नायि‍का, नईदुनि‍या)

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