इस बार जमकर तपाएगा नवतपा—–
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार बुधवार से सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा और 8 जून तक रहेगा। तब तक नौतपा रहेगा। इस अवधि में हवा, बादल और तपन का आकलन कर ज्योतिष आगामी दिनों में वर्षा का अनुमान लगाते रहे हैं। इस दौरान सूर्य नौ ग्र्रहों में भ्रमण करेगा। वह जिस ग्र्रह में रहेगा और पानी नहीं गिरेगा तो आगे उस ग्र्रह में भारी बरसात होगी। इस बार के नौतपा में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। बारिश की संभावना ज्यादा है। राजनीतिक उठापटक भी हो सकती है। इसके साथ ही बाजार भी प्रभावित होंगे।
मौसम विज्ञान का आधार- मौसम विज्ञान के मुताबिक इन दिनों सूर्य कर्क रेखा की ओर बढ़ता है,जिससे हिट-लो सिस्टम मानसून के पहले राजस्थान के ऊपर बन जाता है। इसके बाद मानसून ध्रुणिका बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ती है।
गर्मी के कारण धरती पर कम दबाव का क्षेत्र बनता है। यह समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है और ठंडी हवा धरती की ओर बढ़ने लगती है। इसके कारण समुद्र पर उच्च दबाव का क्षेत्र बन जाता है और बारिश होती है।
अच्छी बारिश होगी—-
इस साल बारिश के अच्छे योग बन रहे हैं। रोहिणी का अलग-अलग वास माना गया है। जहां उसका वास होता है वैसा बारिश पर प्रभाव होता है। इस साल रोहिणी का समुद्र में वास है। इसे बारिश के लिए अच्छा माना जाता है।
सामान्य होगी——
मौसम विभाग के अनुसार इस साल बारिश सामान्य होगी। मौसम वैज्ञानिक डॉ. डी.पी. दुबे ने बताया जितनी ज्यादा गर्मी रहेगी, उतनी अच्छी बारिश होगी। अगले पांच-छह दिनों में तापमान में बढ़ोतरी होगी।
इस बीच ग्र्रहों की जो स्थिति बन रही है, उससे राजनीतिक उठापटक तो होगी ही साथ ही बाजार भी प्रभावित हो सकता है। राजधानी में मंगलवार को अधिकतम तापमान 4..1 डिग्र्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया जो सामान्य से एक डिग्र्री सेल्सियस ज्यादा था। जबकि एक दिन पूर्व शहर का पारा .9.. डिग्र्री सेस्लियस रिकार्ड किया गया। इसी प्रकार मंगलवार को न्यूनतम तापमान भी एक दिन की तुलना में दो डिग्र्री सेल्सियस अधिक के साथ 27. . डिग्र्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। इस प्रकार नौ तपा प्रारंभ होने से पूर्व सूरज के तेवर तीखे दिखने लगे हैं।
….तो समझों आ गई बारिश—-
मौसम विभाग भले ही नौतपे को नहीं मानता, लेकिन कृषि विज्ञान नौतपे को काफी तबज्जो देता है। एक कृषि वैज्ञानिक के अनुसार यह हमारी बहुत पुरानी मान्यता है कि जब चीटियां अंडे लेकर एक कतार से चलने लगती थी तो किसानों को बरसात का महीना आने का आभास हो जाता था। किसानों को नौतपे का इंतजार रहता है। उसी से वे अंदाजा लगा लेते थे कि इस वर्ष बारिश कैसी होगी। उनका कहना है कि जब जब नौतपे पर बारिश हुई उस वर्ष वारिश कम हुई है।

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