आजिविका में सफलता के सूत्र: ज्योतिष के झरोखे से—ज्योतिषी केलाश चन्द्र त्रिपाठी
(Success in your Career from the Perspective of Vedic Astrology)–ज्योतिषी केलाश चन्द्र त्रिपाठी
आजिविका के क्षेत्र में सफलता व उन्नति प्राप्त करने के——
लियेव्यक्ति में अनेक गुण होने चाहिए,सभी गुण एक ही व्यक्ति में पाये जानेसंभव नहीं है. किसी के पास योग्यता है तो किसी व्यक्ति के
पास अनुभवपर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. कोई व्यक्ति अपने आजिविका क्षेत्र मेंइसलिये सफल है कि
उसमें स्नेह पूर्ण व सहयोगपूर्ण व्यवहार है.कोई अपनी वाकशक्ति के बल पर आय प्राप्त
कर
रहा है. तो किसी को अपनीकार्यनिष्ठा के कारण सफलता की प्राप्ति हो पाई है.
अपनी कार्यशक्ति वदक्षता के सर्वोतम उपयोग करने पर ही इस
गलाकाट
प्रतियोगिता में आगे बढने कासाहस कर सकता है. आईये देखे की ज्योतिष शास्त्र
के अनुसार कौन से ग्रह सेव्यक्ति में किस गुण का विकास होता है.
..कामकाज की जानकारी व समझ (Understanding The Job Responsibilities)—–
कामछोटा हों या बडा हों,उसे करने का तरीका सबका एक समान हों यह आवश्यक नहीं,प्रत्येक व्यक्ति कार्य को अपनी योग्यता के अनुसार करता है. जब किसीव्यक्ति को अपने कामकाज की अच्छी समझ न हों तो उसे कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड सकता है. व्यक्ति के कार्य को उत्कृ्ष्ट बनानेके लिये ग्रहों में गुरु ग्रह को देखा
जाता है. कुण्डली में जबगुरु बली होकर स्थिति हो तथा वह शुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्तिको अपने क्षेत्र का उतम ज्ञान होने की संभावनाएं बनती है (Strong Jupiter suggests excellent knowledge).गुरु जन्म कुण्डली में नीच राशि में (Guru in Neecha Rashi),वक्री या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति मेंकामकाज की जानकारी संबन्धी कमी रहने की संभावना रहती है. सभी ग्रहों मेंगुरु को ज्ञान का कारक ग्रह कहा गया है. गुरु ग्रह व्यक्ति की स्मरणशक्तिको प्रबल करने में भी सहयोग करता है.
इसलिये जब व्यक्ति की स्मरणशक्तिअच्छी होंने पर व्यक्ति अपनी योग्यता का सही समय पर उपयोग कर पाता है.
..कार्यक्षमता व दक्षता (Skills & Performance Through Astrology)——-
किसीभी व्यक्ति में कार्यक्षमता का स्तर देखने के लिये कुण्डली में शनि कीस्थिति देखी जाती है (Saturn’s position is considered for judging skills).कुण्डली
में शनि दशम भाव से संबन्ध रखते हों तो व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यधिक कार्यभार का सामना करना पड सकता है. कई बार ऎसाहोता है कि व्यक्ति में उतम योग्यता होती है. परन्तु उसका कार्य में मननहीं लगता है. इस स्थिति में व्यक्ति अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोगनहीं कर पाता है. या फिर व्यक्ति का द्वादश भाव बली (Strong 1.th house)हों तो
व्यक्ति को आराम करना की चाह अधिक होती है. जिसके कारण वह आरामपसन्द बन जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति अपने उतरदायित्वों से भागता है.यह जिम्मेदारियां पारिवारिक,सामाजिक व आजिविका क्षेत्र संबन्धी भी हो सकतीहै. शनि बली स्थिति में हों तो व्यक्ति के कार्य में दक्षता आती है.
..कार्यनिष्ठा: (Analysis of Dedication through Jyotish)——
जन्मकुण्डली के अनुसार व्यक्ति में कार्यनिष्ठा का भाव देखने के लिये दशम घरसे शनि का संबन्ध देखा जाता है (Saturn’s relationship to the 10th house).अपने कार्य के
प्रति अनुशासन देखने के लिये सूर्य की स्थिति देखी जाती है.शनि व सूर्य की स्थिति के अनुसार व्यक्ति में अनुशासन का भाव पाया जाताहै. शनि व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाता है. कुण्डली मेंशनि जब बली होकर स्थित होंने पर व्यक्ति अपने कार्य को समय पर पूरा करनेका प्रयास करता है.
4.स्नेह,सहयोगपूर्ण व्यवहार (Co-operation & Cordial attitude at the workplace)—
कईबार व्यक्ति योग्यता भी रखता है उसमें दक्षता भी होती है. परन्तु वह अपनेकठोर व्यवहार के कारण व्यवसायिक जगत में अच्छे संबध नहीं बना पाता है.व्यवहार में मधुरता न हों तो कार्य क्षेत्र में व्यक्ति को टिक कर काम करनेमें दिक्कतें होती है. चन्द्र या शुक्र कुण्डली में शुभ भावों में स्थित(Venus, Moon in auspicious houses)होकर शुभ
प्रभाव में हों तो व्यक्तिमें कम योग्यता होने पर भी उसे सरलता से सफलता प्राप्त हो जाती है. अपनीस्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण वह सबका शीघ्र दिल जीत लेता है. बिगडती बातोंको सहयोगपूर्ण व्यवहार से संभाल लेता है. चन्द्र पर किसी भी तरह का अशुभप्रभाव होने पर व्यक्ति में सहयोग का भाव कम रहने की संभावनाएं बनती है.
5.यान्त्रिक योग्यता (Technical Skills revealed by Jyotish)—
आजके समय में सफलता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को कम्प्यूटर जैसे:यन्त्रों का ज्ञान होना भी जरूरी हो.किसी व्यक्ति में यन्त्रों को समझनेकी कितनी योग्यता है. यह गुण मंगल व शनि का संबन्ध (Aspect between Mars and Saturn)बनने पर आता है. केतु को क्योकि मंगल के समान कहा गया है.इसलिये केतु का संबन्ध मंगल से होने पर भी व्यक्ति में यह योग्यता आने कीसंभावना रहती है. इस प्रकार जब जन्म कुण्डली में मंगल,शनि व केतु में सेदो का भी संबन्ध आजिविका क्षेत्र से होने पर व्यक्ति में
यन्त्रों को समझनेकी योग्यता होती है!
6. वाकशक्ति (Communication Skills & Vedic Astrology)—-
बुधजन्म कुण्डली में सुस्थिर बैठा हों तो व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्र मेंसफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. इसके साथ ही बुध का संबन्ध दूसरे भाव /भावेश से भी बन रहा हों तो व्यक्ति की वाकशक्ति उतम होती है. वाकशक्तिप्रबल होने पर व्यक्ति को इस से संबन्धित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करनेमें सरलता रहती है.

2 COMMENTS

  1. पन्डित जी,
    आपकी अनालाइसिस बहुत सही और सटीक लगती है / मेरा जन्म २० नवम्बर सन १९४५ को दिन २ बजकर ३५ मिनट पर उन्नाव जिले के करनाई पुर ग्राम मे हुआ है / मेरी मीन लग्न है / आपके कथनानुसार मेरी कुन्डली में मन्गल और शनि पन्चम भाव , चन्द्रमा बृष रशि मे, शुक्र तुला रशि मे, सूर्य और बुध नवम भाव मे, बृहस्पति कन्या रशि मे और राहु तथा केतु मिथुन और धनु रशि में है / आप्का कहना बिल्कुल सही है , मैने आयुर्वेद की तकनीक ई०टी०जी० का आविष्कार किया है , जबकि मै आयुर्वेद का चिकित्सक हूं और मेरा इन्जीनियरिन्ग से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है / फिर भी असम्भव समझा जाने वाला काम मैने सम्भव कर दिया / ई०टी०जी० तकनीक दुनिया की पहली और अकेली आयुर्वेद के निदान ग्यान की तकनीक है /
    आपकी अनालाइसिस बहुत सही और सटीक समझ में आती है / धन्यवाद /

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