ग्रहों का उपाय और इलाज ——-
पहले घर मे़ बृ्हस्पति शुभ फल देने वाला माना गया है परन्तु सातवां घर खाली होने के कारण बृ्हस्पति शुभ होते हुए भी निष्फल होगा अब ऎसे में शादी होने पर सातवें घर में शुक्र कायम होगा और उसके बाद यह ग्रह अपना शुभ फल देने लगेगा.
बृ्हस्पति के सामने घर में शुक्र को स्थापित करके बृ्हस्पति शुक्र दो ग्रहों को मिलाकर बृ्हस्पति का उत्तम फल लेने के लिए कर्म करने की विधि बतलाई गई तो, बृ्ह्स्पति के दसवें घर मे़ होने पर जातक को शनि की तरह चौकन्ना रहने और काम करने की सलाह दी गई है. आठवें और बारहवें घर के मन्दे ग्रहों को अलग अलग रखने के लिए मन्दिर में न जाने की सलाह दी गई हो या सुझाव दिया गया हो तो इसी को उपाय कहा जाएगा और जो दो ग्रह मिलकर मन्दा प्रभाव देते हो उनका कर्म द्वारा अलग करने या अलग अलग रखने का नाम भी उपाय है
दो ग्रहों की आपसी मिलाप से शुभ या अशुभ फल सामने आते है. इसलिए दो ग्रहों को मिलन से रोककर या दो या दो ग्रहों को आपस में मिलाकर ग्रहों के मन्दे प्रभाव से बचने का उपाय अनुष्ठान या ईलाज कुछ भी कहा जा सकता है.
ग्रहों को अनुकूल बनाने के उपाय ——
ज्योतिष शास्त्र के सिद्दान्त के अनुसार ग्रह अपने फल देते है. उनके लए कोई उपाय शास्त्र में नहीं बताए गये है किन्तु यदि ग्रह –राशिकी संदेहास्पद स्थिति हो तो उनके उपाय करने के विधान शास्त्र सम्मत माने जाते है. यहां ग्रहों को अनुकूल बनाकर उनसे सहयोग लेने के उपाय बताए जा रहे है– – राहु केतु एवं शनि पापी ग्रह है जो प्राय: विश्वासघात करते है. इनके विश्वासघत का कारण इनके ही पाप माने जाते हैं. राहु के अशुभ प्रभाब को केतु के उपाय से दूर किया जा सकता है, जबकी केतु की अनिष्ठता राहु के उपाय से दूर की जा सकती है.–पापी ग्रहो़ से सम्बन्धित वस्तुओं या प्राणिओं को पास रखने पालने एवं उनके आशीर्वाद से या उनसे क्षमा मांगने से अनुकूलता प्राप्त होती है.– आर्थिक नुकासन से बचने एवं शनि की अनिष्टता को दूर करने के लिए रोज कौओं को रोटी खिलाएं.– यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से और सोना दुध में बुझाकर पीने से सन्तान उत्पन्न होगी.–हर ग्रह की अशुभता के पीछे दो ग्रहो का हाथ रहता है. इन दो ग्रहों में से किसी एक ग्रह की अशुभता दूर करने पर शुभ फल प्राप्त होता है. जो ग्रह पापी ग्रह की अशुभता दूर करने में सक्षम हो, उसका प्रभाव बढाना चाहिए. शनि अशुभ हो तो उसकी अशुभता की पीछे शुक्र और बृ्हस्पति का हाथ रहता है. इनमें से बृ्हस्पति को अलग करने के लिए बुध के प्रभाब को बढाना होगा. शुक्र–बुध के एक होने से शनि शुभ फल प्रदान करेगा.– अशुभ मंगल का प्रभाव मृ्ग चर्म के उपयोग से कम होता है. बडे़ तवे पर गुड की रोटी बनाकर लोगों को खिलाने से अशुभ मंगल का प्रभाव कम होता है.– बुध, शुक्र एवं शनि के अशुभ प्रभावों को दूर करने का आसान उपाय है– गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं.-राहु का अशुभ प्रभाब दूर करने के लिए घास या किसी अनाज–बाजरा, ज्वार या गेहुं को जमीन पर रखकर उस पर वजनी चीज रखें. जौ को दुध से धोकर बहते पानी मे़ प्रवाहित करे.– यदि तपेदिक जैसी जानलेवा बीमारी के कारण ज्वर च़ढ जाए तो जौ को गाय के मूत्र मे़ भिगोकर नए कपडे़ में बांध कर घर में ऊंची जगह पर टांग दें. रोगी रोज गौ– मूत्र से अपने दांत साफ करे.ग्रहों से सम्बन्धित चीजें घर में अधिक रखने से संबन्धित ग्रह का दुष्प्रभाव दूर हो जाता है. – अगर पुत्री के कारण पिता को कष्ट होता है तो पुत्री के गले मे़ तांबे का चौरस टुकडा़ बांधे.- अगर मंगल ., ., ., 8 घर मे बैठा हो तो मंगल का उपाय न करके बुध का उपाय करना चाहिए.
आजमाए हुए उपाय—–
यदि उपरोक्त उपाय कारगर न हो तो निम्न उपाय करने से तुरंत अनुकूल फल प्राप्त होता है, ये उपाय आजमाए हुए है. कोई भी उपाय कम से कम 4. दिन और अधिक–से–अधिक 43 दिन तक करें अगर ये उपाय रोज न हो सके तो प्रत्यक आठवें दिन अवश्य करना चाहिए. उपाय पूर्ण होने से पहले यदि कोई व्यवधान या विघ्न आ जाए तो नए सिरे से पुन: करे. अगर अपरिहार्य कारणो से उपायों का क्रम टूट जाए तो चावल दुध में और केसर पान में रखे. इससे पू्र्व समय में किए गए उपाय व्यर्थ नहीं जाते. उपाय किसी भी दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही करने चाहिए. ग्रहों के अनुसार ये उपाय निम्न है –सूर्य – बहते पानी में गुड़ प्रवाहित करे.चन्द्र – दूध या पानी से भरा बर्तन रात को सिरहाने रखें. सुबह उस दुध या पानी से बबुल के पेड़ की जड़ सींचे.मंगल – मंगल शुभ हो तो मिठाई या मीठा भोजन दान करे. बतासे बहते पानी में प्रवाहित करे. मंगल अशुभ हो तो बहते पानी में तिल और गुड़ से बनी रेवाडि़यां प्रवाहित करे. बुध – तांबे के पत्तर मे़ छेद करके उसे बहते पानी में प्रवाहित करें.बृ्हस्पति – केसर का सेवन करें. उसे नाभि या जीभ पर लगाएं.शुक्र – गो – दान करें. ज्वारा या चने का चारा दान करे.शनि – किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना प्रतिबिम्ब देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. बर्तन कांसे का हो तो शीघ्र फलदायी होता है.राहु – मूली की तरकारी का दान करें. मूली के पत्ते निकाल लें.केतु –कुत्ते को मीठा रोटी खिलाएं.
विवाह के समय / पूर्व अशुभ ग्रहों के उपाय —–
विवाह के समय या विवाह के पूर्व अशुभ ग्रहों का उपाय (Remedies for malefic planets before and after marriage) कर लेना अनिवार्य होता है. खासकर पुरुषों को तो ये उपाय अवश्य ही करने चाहिए, क्योंकि विवाह के बाद पुरुष के ग्रहों का सम्पूर्ण प्रभाव स्त्री पर पड़ता है. अशुभ ग्रह से मुक्ति पाने और संन्तान प्राप्ति के लिए सम्बन्धित ग्रहों से बचाव करना चाहिए. ग्रहों की अनुसार ये उपाय निम्न है:- – सूर्य के लिए गेहूँ और तांबे का बर्तन दान करें.- चन्द्र के लिए चावल, दुध एवं चान्दी के वस्तुएं दान करें.- मंगल के लिए साबुत, मसूर की दाल दान करें– बुध के लिए साबुत मूंग का दान करें.- बृ्हस्पति के लिए चने की दाल एवं सोने की वस्तु दान करें.- शुक्र के लिए दही, घी, कपूर या मोती में से किसी एक बस्तु दान करें. – शनि के लिए काले साबुत उड़द एवं लोहे की वस्तु का दान करें.- राहु के लिए सरसों एबं गोमेद का दान करें.- केतु के लिए तिल का दान करें.
उपाय करने के बिशेष नियम —–
1) सभी उपाय दिन के समय करें.2) आमतौर पर एक उपाय 40 या 43 दिन तक करना चाहिए.3) एक दिन में केवल एक ही उपाय करें.4)किसी के लिए उसका खून का रिश्तेदार भी उसका उपाय कर सकता है.
पहले घर मे़ बृ्हस्पति शुभ फल देने वाला माना गया है परन्तु सातवां घर खाली होने के कारण बृ्हस्पति शुभ होते हुए भी निष्फल होगा अब ऎसे में शादी होने पर सातवें घर में शुक्र कायम होगा और उसके बाद यह ग्रह अपना शुभ फल देने लगेगा.
बृ्हस्पति के सामने घर में शुक्र को स्थापित करके बृ्हस्पति शुक्र दो ग्रहों को मिलाकर बृ्हस्पति का उत्तम फल लेने के लिए कर्म करने की विधि बतलाई गई तो, बृ्ह्स्पति के दसवें घर मे़ होने पर जातक को शनि की तरह चौकन्ना रहने और काम करने की सलाह दी गई है. आठवें और बारहवें घर के मन्दे ग्रहों को अलग अलग रखने के लिए मन्दिर में न जाने की सलाह दी गई हो या सुझाव दिया गया हो तो इसी को उपाय कहा जाएगा और जो दो ग्रह मिलकर मन्दा प्रभाव देते हो उनका कर्म द्वारा अलग करने या अलग अलग रखने का नाम भी उपाय है
दो ग्रहों की आपसी मिलाप से शुभ या अशुभ फल सामने आते है. इसलिए दो ग्रहों को मिलन से रोककर या दो या दो ग्रहों को आपस में मिलाकर ग्रहों के मन्दे प्रभाव से बचने का उपाय अनुष्ठान या ईलाज कुछ भी कहा जा सकता है.
ग्रहों को अनुकूल बनाने के उपाय ——
ज्योतिष शास्त्र के सिद्दान्त के अनुसार ग्रह अपने फल देते है. उनके लए कोई उपाय शास्त्र में नहीं बताए गये है किन्तु यदि ग्रह –राशिकी संदेहास्पद स्थिति हो तो उनके उपाय करने के विधान शास्त्र सम्मत माने जाते है. यहां ग्रहों को अनुकूल बनाकर उनसे सहयोग लेने के उपाय बताए जा रहे है– – राहु केतु एवं शनि पापी ग्रह है जो प्राय: विश्वासघात करते है. इनके विश्वासघत का कारण इनके ही पाप माने जाते हैं. राहु के अशुभ प्रभाब को केतु के उपाय से दूर किया जा सकता है, जबकी केतु की अनिष्ठता राहु के उपाय से दूर की जा सकती है.–पापी ग्रहो़ से सम्बन्धित वस्तुओं या प्राणिओं को पास रखने पालने एवं उनके आशीर्वाद से या उनसे क्षमा मांगने से अनुकूलता प्राप्त होती है.– आर्थिक नुकासन से बचने एवं शनि की अनिष्टता को दूर करने के लिए रोज कौओं को रोटी खिलाएं.– यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से और सोना दुध में बुझाकर पीने से सन्तान उत्पन्न होगी.–हर ग्रह की अशुभता के पीछे दो ग्रहो का हाथ रहता है. इन दो ग्रहों में से किसी एक ग्रह की अशुभता दूर करने पर शुभ फल प्राप्त होता है. जो ग्रह पापी ग्रह की अशुभता दूर करने में सक्षम हो, उसका प्रभाव बढाना चाहिए. शनि अशुभ हो तो उसकी अशुभता की पीछे शुक्र और बृ्हस्पति का हाथ रहता है. इनमें से बृ्हस्पति को अलग करने के लिए बुध के प्रभाब को बढाना होगा. शुक्र–बुध के एक होने से शनि शुभ फल प्रदान करेगा.– अशुभ मंगल का प्रभाव मृ्ग चर्म के उपयोग से कम होता है. बडे़ तवे पर गुड की रोटी बनाकर लोगों को खिलाने से अशुभ मंगल का प्रभाव कम होता है.– बुध, शुक्र एवं शनि के अशुभ प्रभावों को दूर करने का आसान उपाय है– गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं.-राहु का अशुभ प्रभाब दूर करने के लिए घास या किसी अनाज–बाजरा, ज्वार या गेहुं को जमीन पर रखकर उस पर वजनी चीज रखें. जौ को दुध से धोकर बहते पानी मे़ प्रवाहित करे.– यदि तपेदिक जैसी जानलेवा बीमारी के कारण ज्वर च़ढ जाए तो जौ को गाय के मूत्र मे़ भिगोकर नए कपडे़ में बांध कर घर में ऊंची जगह पर टांग दें. रोगी रोज गौ– मूत्र से अपने दांत साफ करे.ग्रहों से सम्बन्धित चीजें घर में अधिक रखने से संबन्धित ग्रह का दुष्प्रभाव दूर हो जाता है. – अगर पुत्री के कारण पिता को कष्ट होता है तो पुत्री के गले मे़ तांबे का चौरस टुकडा़ बांधे.- अगर मंगल ., ., ., 8 घर मे बैठा हो तो मंगल का उपाय न करके बुध का उपाय करना चाहिए.
आजमाए हुए उपाय—–
यदि उपरोक्त उपाय कारगर न हो तो निम्न उपाय करने से तुरंत अनुकूल फल प्राप्त होता है, ये उपाय आजमाए हुए है. कोई भी उपाय कम से कम 4. दिन और अधिक–से–अधिक 43 दिन तक करें अगर ये उपाय रोज न हो सके तो प्रत्यक आठवें दिन अवश्य करना चाहिए. उपाय पूर्ण होने से पहले यदि कोई व्यवधान या विघ्न आ जाए तो नए सिरे से पुन: करे. अगर अपरिहार्य कारणो से उपायों का क्रम टूट जाए तो चावल दुध में और केसर पान में रखे. इससे पू्र्व समय में किए गए उपाय व्यर्थ नहीं जाते. उपाय किसी भी दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही करने चाहिए. ग्रहों के अनुसार ये उपाय निम्न है –सूर्य – बहते पानी में गुड़ प्रवाहित करे.चन्द्र – दूध या पानी से भरा बर्तन रात को सिरहाने रखें. सुबह उस दुध या पानी से बबुल के पेड़ की जड़ सींचे.मंगल – मंगल शुभ हो तो मिठाई या मीठा भोजन दान करे. बतासे बहते पानी में प्रवाहित करे. मंगल अशुभ हो तो बहते पानी में तिल और गुड़ से बनी रेवाडि़यां प्रवाहित करे. बुध – तांबे के पत्तर मे़ छेद करके उसे बहते पानी में प्रवाहित करें.बृ्हस्पति – केसर का सेवन करें. उसे नाभि या जीभ पर लगाएं.शुक्र – गो – दान करें. ज्वारा या चने का चारा दान करे.शनि – किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना प्रतिबिम्ब देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. बर्तन कांसे का हो तो शीघ्र फलदायी होता है.राहु – मूली की तरकारी का दान करें. मूली के पत्ते निकाल लें.केतु –कुत्ते को मीठा रोटी खिलाएं.
विवाह के समय / पूर्व अशुभ ग्रहों के उपाय —–
विवाह के समय या विवाह के पूर्व अशुभ ग्रहों का उपाय (Remedies for malefic planets before and after marriage) कर लेना अनिवार्य होता है. खासकर पुरुषों को तो ये उपाय अवश्य ही करने चाहिए, क्योंकि विवाह के बाद पुरुष के ग्रहों का सम्पूर्ण प्रभाव स्त्री पर पड़ता है. अशुभ ग्रह से मुक्ति पाने और संन्तान प्राप्ति के लिए सम्बन्धित ग्रहों से बचाव करना चाहिए. ग्रहों की अनुसार ये उपाय निम्न है:- – सूर्य के लिए गेहूँ और तांबे का बर्तन दान करें.- चन्द्र के लिए चावल, दुध एवं चान्दी के वस्तुएं दान करें.- मंगल के लिए साबुत, मसूर की दाल दान करें– बुध के लिए साबुत मूंग का दान करें.- बृ्हस्पति के लिए चने की दाल एवं सोने की वस्तु दान करें.- शुक्र के लिए दही, घी, कपूर या मोती में से किसी एक बस्तु दान करें. – शनि के लिए काले साबुत उड़द एवं लोहे की वस्तु का दान करें.- राहु के लिए सरसों एबं गोमेद का दान करें.- केतु के लिए तिल का दान करें.
उपाय करने के बिशेष नियम —–
1) सभी उपाय दिन के समय करें.2) आमतौर पर एक उपाय 40 या 43 दिन तक करना चाहिए.3) एक दिन में केवल एक ही उपाय करें.4)किसी के लिए उसका खून का रिश्तेदार भी उसका उपाय कर सकता है.