घर में मन्दिर की साज-सज्जा का भी रखें विशेष ख्याल—
पूजा घर, घर का वो कक्ष होता है जहाँ हम ईश्वर का ध्यान करते हैं तथा दुनियादारी से दूर कुछ देर के लिए ईश्वर की आराधना में खो जाते हैं। आजकल स्थान की कमी के कारण कई बार हम रसोईघर या शयनकछ में ही भगवान के कुछ चित्र लगाकर वहीं पूजाघर बना लेते हैं, जो कि बहुत गलत है। वास्तु में पूजाघर एक निर्धारित दिशा में होना चाहिए, जिससे कि आपको आपके द्वारा की गई ईश्वर की आराधना का श्रेष्ठ फल मिल सके।
वास्तु की छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप अपने घर में सुख-शांति व खुशियाँ ला सकते हैं। जब भी आप अपने घर में पूजाघर बनाएँ तो वास्तु के निम्न निर्देशों का विशेष ख्याल रखें –
* आपका पूजाघर शौचालय के ठीक ऊपर या नीचे नहीं होना चाहिए।
* शयन कक्ष के भीतर बनाया गया पूजाघर को वास्तु में श्रेष्ठ नहीं माना गया है।
* भगवान को मूर्ति को भूल से भी कभी दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं रखना इससे आपके कार्यों में रुकावट आती है।
* एक ही भगवान की कई सारी मूर्तियाँ एकसाथ पूजाघर में नहीं रखना चाहिए।
* घर की पूर्व या उत्तरी दीवार पर कुलदेवता का चित्र लगाना शुभ होता है।
* पूजाघर का रंग सफेद या हल्का क्रीम होना चाहिए।
* पूजाघर का दरवाजा टिन या लोहे की ग्रिल का नहीं होना चाहिए।
पूजाघर और शौचालय का दरवाजा आसपास या आमने-सामने नहीं होना चाहिए।

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