||ॐ || ॐ गं गणपतये नमो नमः ||
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः ||
अष्टविनायक नमो नमः ||
गणपति बाप्पा मोरया ||
ॐ गं गणपतये नमो नमः ||
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः || ॐ ||
ॐ र्भूभुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
“श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनी-देवी सरस्वति, मम जिह्वाग्रे वासं कुरु कुरु स्वाहा
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सपने क्यूँ आते हैं?
इन्सान मे यह गुण है कि वह सपनों को सजाता रहता है या यूँ कहे कि भीतर उठने वाली हमारी भावनाएं ही सपनो का रूप धारण कर लेती हैं । इन उठती भावनाओं पर किसी का नियंत्रण नही होता । हम लाख चाहे,लेकिन जब भी कोई परिस्थिति या समस्या हमारे समक्ष खड़ी होती है,हमारे भीतर भावनाओं का जन्म होनें लगता है । ठीक उसी तरह जैसे कोई झीळ के ठहरे पानी में पत्थर फैंकता है तो पानी के गोल-गोल दायरे बननें लगते हैं । यह दायरे प्रत्येक इन्सान में उस के स्वाभावानुसार होते हैं । इन्हीं दायरों को पकड़ कर हम सभी सपने बुननें लगते हैं ।यह हमारी आखरी साँस तक ऐसे ही चलता रहता है ।
इसी लिए हम सभी सपने दॆखते हैं ।शायद ही ऐसा कोई इंसान हो जिसे रात को सोने के बाद सपनें ना आते होगें । जो लोग यह कहते हैं कि उन्हें सपनें नही आते, या तो वह झूठ बोल रहे होते हैं या फिर उन्हें सुबह उठने के बाद सपना भूल जाता होगा । हो सकता है उन की यादाश्त कमजोर हो । या फिर उनकी नीदं बहुत गहरी होती होगी । जैसे छोटे बच्चों की होती है । उन्हें आप सोते समय अकसर हँसता- रोता हुआ देखते रहे होगें , ऐसी गहरी नीदं मे सोनें वाले भी सपनों को भूल जाते हैं और दावा करते हैं कि उन्हें सपनें नही आते । लेकिन सपनों का दिखना एक स्वाभाविक घटना है । इस लिए यह सभी को आते हैं ।
लेकिन हमें सपने आते क्यूँ हैं ?
इस बारे में सभी स्वप्न विचारकों के अपने-अपने मत है । कुछ विचारक मानते हैं कि सपनॊं का दिखना इस बात का प्रमाण है कि आप के भीतर कुछ ऐसा है जो दबाया गया है । वहीं सपना बन कर दिखाई देता है । हम कुछ ऐसे कार्य जो समाज के भय से या अपनी पहुँच से बाहर होने के कारण नही कर पाते, वही भावनाएं हमारे अचेतन मन में चले जाती हैं और अवसर पाते ही सपनों के रूप में हमे दिखाई देती हैं । यह स्वाभाविक सपनों की पहली स्थिति होती है ।
एक दूसरा कारण जो सपनों के आने का है,वह है किसी रोग का होना। प्राचीन आचार्य इसे रोगी की “स्वप्न-परिक्षा” करना कहते थे ।
हम जब भी बिमार पड़ते हैं तो मानसिक व शरीरिक पीड़ा के कारण हमारी नीदं या तो कम हो जाती है या फिर झँपकियों का रूप ले लेती है । ऐसे में हम बहुत विचित्र-विचित्र सपने देखते हैं । कई बार ऐसा भी होता है कि बहुत डरावनें सपने आने लगते हैं । जिस कारण रात को कई-कई बार हमारी नीदं खुल जाती है और फिर भय के कारण हमे सहज अवस्था मे आने में काफी समय लग जाता है ।
इस बारे में प्राचीन आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि रोगी अवस्था मे आने वाले सपनें अकसर रोग की स्थिति की ओर संकेत करते हैं । वे आचार्य रोगी के देखे गए सपनों के आधार पर रोग की जटिलता या सहजता का विचार करने में समर्थ थे । वह इन का संम्बध , उन रोगीयों की मानसिक दशाओ की खोज का विषय मानते थे और उसी के परिणाम स्वरूप जो निष्कर्ष निकलते थे , उसी के अनुसार अपनी चिकित्सा का प्रयोग उस रोग का निदान करने मे करते थे । उन आचार्यों के स्वप्न विचार करने के कुछ उदाहरण देखें-
१.यदि रोगी सिर मुंडाएं ,लाल या काले वस्त्र धारण किए किसी स्त्री या पुरूश को सपने में देखता है या अंग भंग व्यक्ति को देखता है तो रोगी की दशा अच्छी नही है ।
२. यदि रोगी सपने मे किसी ऊँचे स्थान से गिरे या पानी में डूबे या गिर जाए तो समझे कि रोगी का रोग अभी और बड़ सकता है।
३. यदि सपने में ऊठ,शेर या किसी जंगली जानवर की सवारी करे या उस से भयभीत हो तो समझे कि रोगी अभी किसी और रोग से भी ग्र्स्त हो सकता है।
४. यदि रोगी सपने मे किसी ब्राह्मण,देवता राजा गाय,याचक या मित्र को देखे तो समझे कि रोगी जल्दी ही ठीक हो जाएगा ।
५.यदि कोई सपने मे उड़ता है तो इस का अभिप्राय यह लगाया जाता है कि रोगी या सपना देखने वाला चिन्ताओं से मुक्त हो गया है ।
६.यदि सपने मे कोई मास या अपनी प्राकृति के विरूध भोजन करता है तो ऐसा निरोगी व्यक्ति भी रोगी हो सकता है ।
७,यदि कोई सपने में साँप देखता है तो ऐसा व्यक्ति आने वाले समय मे परेशानी में पड़ सकता है ।या फिर मनौती आदि के पूरा ना करने पर ऐसे सपनें आ सकते हैं।
ऊपर दिए गए उदाहरणों के बारे मे एक बात कहना चाहूँगा कि इन सपनों के फल अलग- अलग ग्रंथों मे कई बार परस्पर मेल नही खाते । लेकिन यहाँ जो उदाहरण दिए गए हैं वे अधिकतर मेल खाते हुए हो,इस बात को ध्यान मे रख कर ही दिए हैं।
ऐसे अनेकों सपनों के मापक विचारों का संग्रह हमारे प्राचीन आयुर्वेदाचार्यों ने जन कल्याण की भावना से प्रेरित हो , हमारे लिए रख छोड़ा है । यह अलग तथ्य है कि आज उन पर लोग विश्वास कम ही करते हैं ।
यहाँ सपनों के आने का तीसरा कारण भी है ।वह है सपनों के जरीए भविष्य-दर्शन करना ।
हम मे से बहुत से ऐसे व्यक्ति भी होगें जिन्होंने सपनें मे अपने जीवन मे घटने वाली घटनाओं को, पहले ही देख लिया होगा । ऐसा कई बार देखने मे आता है कि हम कोई सपना देखते हैं और कुछ समय बाद वही सपना साकार हो कर हमारे सामने घटित हो जाता है । यदि ऐसे व्यक्ति जो इस तरह के सपने अकसर देखते रहते हैं और उन्हें पहले बता देते हैं , ऐसे व्यक्ति को लोग स्वप्न द्रष्टा कहते हैं ।
हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी कई जगह ऐसे सपने देखनें का जिक्र भी आया है , जैसे तृजटा नामक राक्षसी का उस समय सपना देखना,जब सीता माता रावण की कैद मे थी और वह सपनें मे एक बड़े वानर द्वारा लंका को जलाए जाने की बात अपनी साथियों को बताती है । यह भी एक सपने मे भविष्य-दर्शन करना ही है ।
कहा जाता है कि ईसा मसीह सपनों को पढना जानते थे । वह अकसर लोगो द्वारा देखे सपनों की सांकेतिक भाषा को सही -सही बता देते थे । जो सदैव सत्य होते थे ।
आज की प्रचलित सम्मोहन विधा भी भावनाऒं को प्रभावित कर,व्यक्ति को सपने की अवस्था मे ले जाकर, रोगी की मानसिक रोग का निदान करने में प्रयोग आती है । वास्तव मे इस विधा का संम्बध भी सपनों से ही है । इस मे भावनाओं द्वारा रोगी को कत्रिम नीदं की अवस्था मे ले जाया जाता है ।
कई बार ऐसा होता है कि हम जहाँ सो रहे होते है, वहाँ आप-पास जो घटित हो रहा होता है वही हमारे सपने में जुड़ जाता है । या जैसे कभी हमे लघुशंका की तलब लग रही होती है तो हम सपने भी जगह ढूंढते रहते हैं। हमारा सपना उसी से संबंधित हो जाता है।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार कईं बार अतृप्त आत्माएं भी सपनों मे आ-आ कर परेशान करती हैं…ऐसे में अक्सर रात को सोते में शरीर का भारी हो जाना…और सपने मॆ भय से चिल्लानें में आवाज का ना निकल पाना, महसूस होता है। दूसरों द्वारा किए गए तंत्र-मंत्र या जादू टोनों के प्रभाव के कारण भी रात को डरावने सपनें आते हैं। इस विषय पर फिर किसी पोस्ट में लिखूँगा।
हर सपना कुछ-न कुछ कहता है। कुछ सपने निराशा देते हैं, तो कुछ जीवन में खुशियों की लहरभर देते हैं। सपनों का संबंध आत्मा से होता है। जब व्यक्ति नींद में होता है, तब उसका शरीर आत्मा से अलग होता है, क्योंकि आत्मा कभी सोती नहीं। जब मानव निद्रावस्था में होता है तो उसकी पाँचों ज्ञानेंद्रियाँ उसका मन और उसकी पाँचों कर्मेंद्रियाँ अपनी-अपनी क्रियाएँ करनी बंद कर देती हैं और व्यक्ति का मस्तिष्क पूरी तरह शांत रहता है। उस अवस्था में व्यक्ति को एक अनुभव होता है, जो उसके जीवन से संबंधित होता है। उसी अनुभव को स्वप्न कहा जाता है।
इन्हीं स्वप्नों के माध्यम से भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी हासिल की जा सकती है।
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क्या कहते हैं आपके सपने—-
मछली देखना- घर में शुभ कार्य होना
माँस खाते हुए देखना- चोट लगना
अपने आपको मार खाते हुए देखना- फेल हो जाना
हवा में उड़ते देखना- यात्रा होना
हाथ-पैर धोते हुए देखना- सारी चिंताएँ मिटना
किसी दुल्हन का चुंबन लेता हुआ देखना- शत्रुओं के साथ समझौता होना
सर्प पकड़ना- सफलता प्राप्त होना
ऊँट देखना- राज्य से भय होना
स्वप्न में दाढ़ी बनाते हुए देखना- दाम्पत्य जीवन की सा री कठिनाई समाप्त हो जाना।
बड़े-बूढ़े का आशीर्वाद मिलना- मान सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त होना
गर्दन अकड़ जाना- धन की प्राप्ति होना
अपने को दूध पीता देखना- इज्जत मिलना
अपने को पानी पीते हुए देखना- भाग्य उदय
कुत्ता काटना, कुत्ता पालना- संकट आना
उड़ता हुआ पक्षी देखना- इज्जत होना
मोर देखना- शोक होना
अपना विवाह होता देखना- परेशानी आना
मांग भरते देखना- कोई शुभ कार्य होना
दर्पण देखना- मन विचलित रहना
रेल में चढ़ना देखना- यात्रा होना
पैर फिसल कर गिर जाना- अवनति होना
गऊ मिलना- भूमि लाभ होना
घोड़े से गिरता हुआ देखना- पद छूटना
घोड़े पर चढ़ता हुआ देखना- पद लाभ होना
अपने आपको मरता हुआ देखना- सारी चिंताएँ मिट जाना।
इसी प्रकार समुद्र, खिलता हुआ फूल देखना, युवती मिलना या दिखना, प्रसाद मिलना, आशीर्वाद लेना, पुस्तक पढ़ना, साँप ड़सना, मंदिर देखना, जेवर मिलना, हाथी पर चढ़ना, फल आदि प्राप्त होना, शरीर पर गोबर लगते देखने से धन लाभ होता है।
खून देखना, स्तनपान करना, शराब पीना, तेल पीना, मिठाई खाना, विवाह होना, पुलिस को देखना, अपना मुंडना करवाते देखने से मृत्युतुल्य कष्ट होता है। विधवा के दाढ़ी उगती देखना उसके पुनर्विवाह का संकेत है। विवाहित व्यक्ति या महिला अपने बाल सफेद होते हुए देखने से जीवनसाथी से वियोग या संबंध विच्छेद का योग बताता है
आपका यह लेख बहुत ही अच्छा है आपने कुछ अलग लिखकर नए तथ्यों को बताने का अच्छा प्रयास किया है आप ऐसे ही लेखों को शब्दनगरी पर भी लिख सकते हैं वहां पर भी http://shabdanagari.in/post/.456./sapne-sajane-laga-ajkal-hoo-76..804 जैसे लेख पढ़ व लिख सकते हैं. . . .. . . . . .