चन्द्र मन का कारक होता है। इसका प्रभाव प्रत्येक चराचर जीव पर पड़ता है। मानव शरीर ही क्या सभी जीवों में जल की मात्रा सर्वाधिक होती है। यह जल भी चन्द्र की वजह से ही प्रभावित होता है। चन्द्र का अशुभ प्रभाव सभी पर पड़ता है। विशेषकर अगर जन्मकुडंली में चन्द्र अशुभ हो तो मन-मस्तिष्क पर असर पड़ता है।
लेकिन मानव ही ऐसा प्राणी है जो बचने के उपाय कर सकता है। शुभ-अशुभ प्रभाव को समझ सकता है एवं अशुभ प्रभाव को दूर कर सकता है। मानसिक अशांति, दुधारू पशु का दूध सूख जाना, अत्यधिक प्यास लगना, गर्मी का मौसम ना हो तब भी बार-बार पानी की कमी महसूस होना। शरीर में जलन होना जैसी स्थिति कमजोर चन्द्र के कारणहोती है।
कुंडली में चन्द्र किस स्थान पर बैठा है, किन ग्रहों के साथ बैठा है और किस राशि का होकर बैठा है। इन सब बातों का जातक पर प्रभाव पड़ता है। चन्द्र संबंधी कुछ विशेष तथ्य प्रस्तुत है। इन पर ध्यान देकर चन्द्र की अशुभ स्थिति को सुधारा जा सकता है और उसकी शुभता में वृद्धि भी की जा सकती है।
किसी भी जातक की पत्रिका में षष्ट भाव में चन्द्र हो तो वे दूध व पानी किसी को ना बेचें, न ही दान दें।
द्वादश में चन्द्र की स्थिति हो तो किसी भी प्रकार से मुफ्त में भोजन ना करावें।
चतुर्थ भाव में चन्द्र हो तो परिवार के सभी सदस्यों से चाँदी का टुकड़ा लेकर बहते जल में प्रवाहित करें।
षष्ट भाव में चन्द्र हो तो उसको खरगोश पालना चाहिए।
द्वादश भाव में चन्द्र हो तो गुरु का उपाय करना चाहिए या गुरु से संबंधित वस्तुओं को घर में रखना चाहिए।
सच्चा गुरु बनाना चाहिए व उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इस प्रकार चन्द्र के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है।