शत्रुओं का नाश करे बगुलामुखी यंत्र—-
आज लोग अपनी विफलता से दुखी नहीं, बल्कि पड़ोसी की सफलता से दुखी हैं। ऐसे में उन लोगों को सफलता देने के लिए माताओं में माता बगलामुखी (वाल्गामुखी) मानव कल्याण के लिये कलियुग में प्रत्यक्ष फल प्रदान करती रही हैं। आज इन्हीं माता, जो दुष्टों का संहार करती हैं। अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना का संचार करती हैं। ऐसी माता के बारे में मैं अपनी अल्प बुद्धि से आपकी प्रसन्नता के लिए इनकी सेवा आराधना पर कुछ कहने का साहस कर रहा हूं। मुझे आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि मैं माता वाल्गामुखी (बगलामुखी) की जो बातें आपसे कह रहा हूं अगर आप उसका तनिक भी अनुसरण करते हैं तो माता आप पर कृपा जरूर करेंगी, लेकिन पाठक भाइयों ध्यान रहे। इनकी साधना अथवा प्रार्थना में आपकी श्रद्धा और विश्वास असीम हो तभी मां की शुभ दृष्टि आप पर पड़ेगी। इनकी आराधना करके आप जीवन में जो चाहें जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं। सामान्यत: आजकल इनकी सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं। इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता, वरन उसे मनमाना कष्टï पहुंच सकता है। वर्ष ..04 के चुनाव में तो कई राजनेताओं जिनका नाम लेना उचित नहीं है ने माता बगलामुखी की आराधना करके (पंडितों द्वारा) चुनाव भी जीते और अच्छे मंत्रालय भी प्राप्त किये। माता की यही आराधना युद्ध, वाद-विवाद मुकदमें में सफलता, शत्रुओं का नाश, मारण, मोहन, उच्चाटन, स्तम्भन, देवस्तम्भन, आकर्षण कलह, शत्रुस्तभन, रोगनाश, कार्यसिद्धि, वशीकरण व्यापार में बाधा निवारण, दुकान बाधना, कोख बाधना, शत्रु वाणी रोधक आदि कार्यों की बाधा दूर करने और बाधा पैदा करने दोनों में की जाती है। साधक अपनी इच्छानुसार माता को प्रसन्न करके इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है कि माता श्रद्धा और विश्वास से आराधना (साधना) करने पर अवश्य प्रसन्न होंगी, लेकिन ध्यान रहे इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य परमावश्यक है।
गृहस्थ भाइयों के लिये मैं माता की आराधना का सरल उपाय बता रहा हूं। आप इसे करके शीघ्र फल प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी देवी-देवता का अनुष्ठान (साधना) आरम्भ करने बैठे तो सर्वप्रथम शुभ मुर्हूत, शुभ दिन, शुभ स्थान, स्वच्छ वस्त्र, नये ताम्र पूजा पात्र, बिना किसी छल कपट के शांत चित्त, भोले भाव से यथाशक्ति यथा सामग्री, ब्रह्मचर्य के पालन की प्रतिज्ञा कर यह साधना आरम्भ कर सकते हैं। याद रहे अगर आप अति निर्धन हो तो केवल पीले पुष्प, पीले वस्त्र, हल्दी की .08 दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रतिमा, यंत्र आदि रखकर शुद्ध आसन कम्बल, कुशा या मृगचर्य जो भी हो उस पर बैठकर माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। माता बगलामुखी की आराधना के लिये जब सामग्री आदि इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर बैठें (उत्तर मुख) तो दो बातों का ध्यान रखें, पहला तो यह कि सिद्धासन या पद्मासन हो, जप करते समय पैर के तलुओं और गुह्य स्थानों को न छुएं शरीर गला और सिर सम स्थित होना चाहिए। इसके पश्चात गंगाजल से छिड़काव कर (स्वयं पर) यह मंत्र पढें- अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपिवा, य: स्मरेत, पुण्डरी काक्षं स बाह्य अभ्यांतर: शुचि:। उसके बाद इस मंत्र से दाहिने हाथ से आचमन करें-ऊं केशवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, ऊं माधवाय नम:। अन्त में ऊं हृषीकेशाय नम: कहके हाथ धो लेना चाहिये। इसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ते हुए तीन बार प्राणायाम करें। चोटी बांधे और तिलक लगायें। अब पूजा दीप प्रज्जवलित करें। फिर विघ्नविनाशक गणपति का ध्यान करें। याद रहे ध्यान अथवा मंत्र सम्बंधित देवी-देवता का टेलीफोन नंबर है।
जैसे ही आप मंत्र का उच्चारण करेंगे, उस देवी-देवता के पास आपकी पुकार तुरंत पहुंच जायेगी। इसलिये मंत्र शुद्ध पढऩा चाहिये। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होने पर कोई फल नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान ही होगा। इसीलिए उच्चारण पर विशेष ध्यान रखें। अब आप गणेश जी के बाद सभी देवी-देवादि कुल, वास्तु, नवग्रह और ईष्ट देवी-देवतादि को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए कष्ट का निवारण कर शत्रुओं का संहार करने वाली वाल्गा (बंगलामुखी) का विनियोग मंत्र दाहिने हाथ में जल लेकर पढ़ें-ऊं अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप्छन्द: बगलामुखी देवता, ह्लींबीजम् स्वाहा शक्ति: ममाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोग: (जल नीचे गिरा दें)। अब माता का ध्यान करें, याद रहे सारी पूजा में हल्दी और पीला पुष्प अनिवार्य रूप से होना चाहिए। ध्यान-
मध्ये सुधाब्धि मणि मण्डप रत्न वेद्यां,
सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम,
पीताम्बरा भरण माल्य विभूषिताड्गीं
देवीं भजामि धृत मुद्गर वैरिजिह्वाम
जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं,
वामेन शत्रून परिपीडयन्तीम,
गदाभिघातेन च दक्षिणेन,
पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि॥
अपने हाथ में पीले पुष्प लेकर उपरोक्त ध्यान का शुद्ध उच्चारण करते हुए माता का ध्यान करें। उसके बाद यह मंत्र जाप करें। साधक ध्यान दें, अगर पूजा मैं विस्तार से कहूंगा तो आप भ्रमित हो सकते हैं। परंतु श्रद्धा-विश्वास से इतना ही करेंगे जितना कहा जा रहा है तो भी उतना ही लाभ मिलेगा। जैसे विष्णुसहस्र नाम का पाठ करने से जो फल मिलता है वही ऊं नमोऽभगवते वासुदेवाय से, यहां मैं इसलिये इसका जिक्र कर रहा हूं ताकि आपके मन में कोई संशय न रहे। राम कहना भी उतना ही फल देगा। अत: थोड़े मंत्रो के दिये जाने से कोई संशय न करें। अब जिसका आपको इंतजार था उन माता बगलामुखी के मंत्र को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। मंत्र है : ऊं ह्लीं बगलामुखि! सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊंस्वाहा। इस मंत्र का जाप पीली हल्दी की गांठ की माता से करें। आप चाहें तो इसी मंत्र से माता की षोड्शोपचार विधि से पूजा भी कर सकते हैं। आपको कम से कम पांच बातें पूजा में अवश्य ध्यान रखनी है-1. ब्रह्मचर्य, 2. शुद्घ और स्वच्छ आसन .. गणेश नमस्कार और घी का दीपक 4. ध्यान और शुद्ध मंत्र का उच्चारण 5. पीले वस्त्र पहनना और पीली हल्दी की माला से जाप करना। आप कहेंगे मैं बार-बार यही सावधानी बता रहा हूं। तो मैं कहूंगा इससे गलती करोगे तो माता शायद ही क्षमा करें। इसलिये जो आपके वश में है, उसमें आप फेल न हों। बाकी का काम मां पर छोड़ दें। इतनी सी बातें आपकी कामयाबी के लिये काफी हैं।
अधिकारियों को वश में करने अथवा शत्रुओं द्वारा अपने पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए यह अनुष्ठान पर्याप्त है। तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री प्राप्ति होती हैै और दरिद्रता दूर भागती है। गूगल और तिल से हवन करने से कारागार से मुक्ति मिलती है। अगर वशीकरण करना हो तो उत्तर की ओर मुख करके और धन प्राप्ति के लिए पश्चिम की ओर मुख करके हवन करना चाहिए। अनुभूत प्रयोग कुछ इस प्रकार है। मधु, शहद, चीनी, दूर्वा, गुरुच और धान के लावा से हवन करने से समस्त रोग शान्त हो जाते हैं। गिद्ध और कौए के पंख को सरसों के तेल में मिलाकर चिता पर हवन करने से शत्रु तबाह हो जाते हैं। भगवान शिव के मन्दिर में बैठकर सवा लाख जाप फिर दशांश हवन करें तो सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं। मधु घी, शक्कर और नमक से हवन आकर्षण (वशीकरण) के लिए प्रयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त भी बड़े प्रयोग हैं किन्तु इसका कहीं गलत प्रयोग न कर दिया जाए जो समाज के लिए हितकारी न हो इसलिये देना उचित नहीं है। अत: आप स्वयं के कल्याण के लिए माता की आराधना कर लाभ उठा सकते हैं। यहां संक्षिप्त विधि इसलिये दी गई है कि सामान्य प्राणी भी माता की आराधना कर लाभान्वित हो सकें। यह गृहस्थ भाइयों के लिए भी पर्याप्त है।

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