समर्पण “माँ” को—
“”माँ”” जिसका दुनिया में कोई विकल्प नहीं हे…माँ, जीवनदायनी माँ, धरती माँ, कर्मभूमि स्वरुप माँ एवं प्रत्येक स्त्री में देवी शक्ति को समर्पित यह समाचार पत्र उनके द्वारा मुझ पर किये गए उपकारों का आभार हे….उपकार अनंत–असीमित हे….
मेरी माँ तो सचमुच देवी स्वरूपा थी….में स्वयं को भाग्यशाली मनुष्य समझता हु, जो मुझे ऐसी माँ मिली..वेसे तो हर मनुष्य को अपनी माँ अच्छी लगती हे…ओए लगनी भी चाहिए….जिसने जन्म दिया…कितनी तकलीफे सहकर हमें पला हे…यदि हमारी माँ न होती तो हम भी न होते…वेसे ही जेसे अगर हमारी धरती माँ न होती तो हम सभी न होते…..
माँ शब्द हे –ममता का , स्नेह का, प्यार का, आशीर्वाद का, …माँ तो भगवान का दूसरा नाम स्वरूप हमेशा अपनी माँ की सेवा करें…उनकी इज्जत करें…हजारों यज्ञो से भी बढाकर….काशी जेसे तीर्थो में स्नान से भी बढ़कर , सेंकडों गायों के दान से भी बढ़कर…हे माँ की सेवा….जिस प्राणी ने माँ की सेवा नहीं की, उस प्राणी से दुर्भाग्य शाली प्राणी शायद ही इस प्रथ्वी पर अन्य कोई हो…
यदि आप भगवान को सच्चे अर्थों में प्राप्त करना चाहते हे तो…आपको आपके भगवान –आपके माता-पिता के चरणों में मिलेंगे…यदि आपके दिल में अपने माता-पिता के लिए…स्नेह और सम्मान नहीं हे , तो सब कुछ बेकार हे…माता-पिता…की सेवा ही दुनिया की सबसे बड़ी सेवा हे…अपने माता-पिता के चरण स्पर्श मात्र से आपके सभी दुःख-परेशानियाँ स्वतः समाप्त हो जाती हे….
में इश्वर से विनातिकरता हु की में जब भी दोबारा जन्म लूँ….मेरी यही माँ..पूजनीय माता स्वर्गीय श्रीमती कमला देवी ही हमेशा मेरी माँ बने…में अपनी धरती माँ…एवं आदि देवी शक्ति स्वरूपा माँ को भी प्रणाम करता हु ….जिनके कारण मुझे इसे माता-पिता प्राप्त हुए…
अंत में उन सभी आत्माओं का आभार एवं धन्यवाद जिनके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग के कारण (द्वारा मेरी माँ की हार्दिक इच्छा रूपी यह समाचार पत्र-“विनायक वास्तु टाईम्स ” मूर्त रूप लेकर आपके हाथों में हे….—
माँ से बड़ी कोई शक्ति नहीं,
माँ से बड़ी कोई भक्ति नहीं,
माँ से बड़ी कोई पवित्र नदी नहीं,
माँ के आशीष से बड़ा कोई कवच नहीं,
स्वर्ग हे माँ के कदमों में ,
हे मेरी आखरी तमन्ना,
जियूं जिंदगी माँ के कदमों में,
और सो जाऊं
हमेशा हमेशा के लिए माँ के कदमो में….
@विनम्र श्रद्धानवत—-@
(विनायक वास्तु टाईम्स के प्रथम अंक /इशु -.5 मई .008) का सम्पादकीय
### पंडित दयानंद शास्त्री (स्वामी शीलवंत),
(संपादक – विनायक वास्तु टाईम्स),
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