हनुमान मंत्र से भय निवारण—
जो लोगो को किसी अज्ञात भय से परेशान रहते हो। हर समय किसी ना किसी तरह के डर के कारण मानसिक रहता हो, तो भय के निवारण के लिये संपूर्ण प्राण प्रतिष्ठित हनुमान यंत्र के सम्मुख हनुमान मंत्र का विधि-विधान से जप करना लाभप्रद होता हैं।
अनजाने भय के निवारण हेतु इस मंत्र का 7 दिनो तक प्रतिदिन निश्चित समय पर रुद्राक्ष की माला से एक माल जप करना लाभप्रद होता हैं।
मंत्र:—–
अंजनीर्ग संभूत कपीन्द्रसचिवोत्तम।
राम प्रिय नमस्तुभ्यं हनुमते रक्ष सर्वदा॥
समस्या के समाधान के पश्चात हनुमान यंत्र को बहते जल में विसर्जित कर दे या किसी हनुमान मंदिर में अर्पित कर दें।
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पंचमुखी हनुमान का पूजन उत्तम फलदायी हैं—-

शास्त्रो विधान से हनुमानजी का पूजन और साधना विभिन्न रुप से किये जा सकते हैं—
हनुमानजी का एकमुखी,पंचमुखीऔर एकादश मुखीस्वरूप के साथ हनुमानजी का बाल हनुमान, भक्त हनुमान, वीर हनुमान, दास हनुमान, योगी हनुमान आदि प्रसिद्ध है। किंतु शास्त्रों में श्री हनुमान के ऐसे चमत्कारिक स्वरूप और चरित्र की भक्ति का महत्व बताया गया है, जिससे भक्त को बेजोड़ शक्तियां प्राप्त होती है। श्री हनुमान का यह रूप है – पंचमुखी हनुमान।
मान्यता के अनुशार पंचमुखीहनुमान का अवतार भक्तों का कल्याण करने के लिए हुवा हैं। हनुमान के पांच मुख क्रमश:पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊ‌र्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित हैं।
पंचमुखीहनुमानजी का अवतार मार्गशीर्ष कृष्णाष्टमी को माना जाता हैं। रुद्र के अवतार हनुमान ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। इसकी आराधना से बल, कीर्ति, आरोग्य और निर्भीकता बढती है।
रामायण के अनुसार श्री हनुमान का विराट स्वरूप पांच मुख पांच दिशाओं में हैं। हर रूप एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है। हनुमान के पांच मुख क्रमश:पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊ‌र्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित माने गएं हैं।
पंचमुख हनुमान के पूर्व की ओर का मुख वानर का हैं। जिसकी प्रभा करोडों सूर्यो के तेज समान हैं। पूर्व मुख वाले हनुमान का पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है।
पश्चिम दिशा वाला मुख गरुड का हैं। जो भक्तिप्रद, संकट, विघ्न-बाधा निवारक माने जाते हैं। गरुड की तरह हनुमानजी भी अजर-अमर माने जाते हैं।
हनुमानजी का उत्तर की ओर मुख शूकर का है। इनकी आराधना करने से अपार धन-सम्पत्ति,ऐश्वर्य, यश, दिर्धायु प्रदान करने वाल व उत्तम स्वास्थ्य देने में समर्थ हैं। है।
हनुमानजी का दक्षिणमुखी स्वरूप भगवान नृसिंह का है। जो भक्तों के भय, चिंता, परेशानी को दूर करता हैं।
श्री हनुमान का ऊ‌र्ध्वमुख घोडे के समान हैं। हनुमानजी का यह स्वरुप ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था। मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए। कष्ट में पडे भक्तों को वे शरण देते हैं। ऐसे पांच मुंह वाले रुद्र कहलाने वाले हनुमान बडे कृपालु और दयालु हैं।
हनुमतमहाकाव्य में पंचमुखीहनुमान के बारे में एक कथा हैं।
एक बार पांच मुंह वाला एक भयानक राक्षस प्रकट हुआ। उसने तपस्या करके ब्रह्माजीसे वरदान पाया कि मेरे रूप जैसा ही कोई व्यक्ति मुझे मार सके। ऐसा वरदान प्राप्त करके वह समग्र लोक में भयंकर उत्पात मचाने लगा। सभी देवताओं ने भगवान से इस कष्ट से छुटकारा मिलने की प्रार्थना की। तब प्रभु की आज्ञा पाकर हनुमानजी ने वानर, नरसिंह, गरुड, अश्व और शूकर का पंचमुख स्वरूप धारण किया। इस लिये एसी मान्यता है कि पंचमुखीहनुमान की पूजा-अर्चना से सभी देवताओं की उपासना के समान फल मिलता है। हनुमान के पांचों मुखों में तीन-तीन सुंदर आंखें आध्यात्मिक, आधिदैविक तथा आधिभौतिक तीनों तापों को छुडाने वाली हैं। ये मनुष्य के सभी विकारों को दूर करने वाले माने जाते हैं।
भक्त को शत्रुओं का नाश करने वाले हनुमानजी का हमेशा स्मरण करना चाहिए।
विद्वानो के मत से पंचमुखी हनुमानजी की उपासना से जाने-अनजाने किए गए सभी बुरे कर्म एवं चिंतन के दोषों से मुक्ति प्रदान करने वाला हैं।
पांच मुख वाले हनुमानजी की प्रतिमा धार्मिक और तंत्र शास्त्रों में भी बहुत ही चमत्कारिक फलदायी मानी गई है।
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हनुमानजी के पूजन से कार्यसिद्धि —-

हिन्दू धर्म में श्री हनुमानजी प्रमुख देवी-देवताओ में से एक प्रमुख देव हैं। शास्त्रोक्त मत के अनुशार हनुमानजी को रूद्र (शिव) अवतार हैं। हनुमानजी का पूजन युगो-युगो से अनंत काल से होता आया हैं। हनुमानजी को कलियुग में प्रत्यक्ष देव मानागया हैं। जो थोडे से पूजन-अर्चन से अपने भक्त पर प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की सभी प्रकार के दुःख, कष्ट, संकटो इत्यादी का नाश हो कर उसकी रक्षा करते हैं।

हनुमानजी का दिव्य चरित्र बल, बुद्धि कर्म, समर्पण, भक्ति, निष्ठा, कर्तव्य शील जैसे आदर्श गुणो से युक्त हैं। अतः श्री हनुमानजी के पूजन से व्यक्ति में भक्ति, धर्म, गुण, शुद्ध विचार, मर्यादा, बल , बुद्धि, साहस इत्यादी गुणो का भी विकास हो जाता हैं।

विद्वानो के मतानुशार हनुमानजी के प्रति द्दढ आस्था और अटूट विश्वास के साथ पूर्ण भक्ति एवं समर्पण की भावना से हनुमानजी के विभिन्न स्वरूपका अपनी आवश्यकता के अनुशार पूजन-अर्चन कर व्यक्ति अपनी समस्याओं से मुक्त होकर जीवन में सभी प्रकार के सुख प्राप्त कर सकता हैं।

चैत्र शुक्ल पूर्णिमा की हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु कौन सी हनुमान प्रतिमा का पूजल करना लाभप्रद रहेगा। इस जानकारी से आपको अवगत कराने का प्रयास किया जा रहा हैं–

हनुमानजीके प्रमुखस्वरुपइसप्रकारहैं—

राम भक्त हनुमान स्वरुप:—
राम भक्ति में मग्न हनुमानजी की उपासना करने से जीवन के महत्व पूर्ण कार्यो में आ रहे संकटो एवं बाधाओं को दूर करती हैं एवं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु आवश्यक एकाग्रता व अटूट लगन प्रदान करने वाली होती है।

संजीवनी पहाड़ लिये हनुमान स्वरुप:—

संजीवनी पहाड़ उठाये हुए हनुमानजी की उपासना करने से व्यक्ति को प्राणभय, संकट, रोग इत्यादी हेतु लाभप्रद मानी गई हैं। विद्वानो के मत से जिस प्रकार हनुमानजी ने लक्षमणजी के प्राण बचाये थे उसी प्रकार हनुमानजी अपने भक्तो के प्राण की रक्षा करते हैं एवं अपने भक्त के बडे से बडे संकटो को संजिवनी पहाड़ की तरह उठाने में समर्थ हैं।

ध्यान मग्न हनुमान स्वरुप:—-

हनुमानजी का ध्यान मग्न स्वरुप व्यक्ति को साधना में सफलता प्रदान करने वाला, योग सिद्धि या प्रदान करने वाला मानागया हैं।

रामायणी हनुमान स्वरुप:—

रामायणी हनुमानजी का स्वरुप विद्यार्थीयो के लिये विशेष लाभ प्रद होता हैं। जिस प्रकार रामायण एक आदर्श ग्रंथ हैं उसी प्रकार हनुमानजी के रामायणी स्वरुप का पूजन विद्या अध्यन से जुडे लोगो के लिये लाभप्रद होता हैं।

हनुमानजी का पवन पुत्र स्वरुप:—-

हनुमानजी का पवन पुत्र स्वरुप के पूजन से आकस्मिक दुर्घटना, वाहन इत्यादि की सुरक्षा हेतु उत्तम माना गया हैं। हनुमानजी के उस स्वरुप का पूजन करने से

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