मेरी व्यथा::—-

चोंक गए ना  !!!! आप सभी यह शीर्षक पढ़कर…लेकिन क्या करू …???? में आज आप सभी के साथ आपनी व्यथा / परेशानी बांटना / शेयर करना चाहता हु जी….
(..)::–  सबसे पहले तो उन सभी लेखक /संपादक और प्रकाशक  महोदयों के साथ-साथ उन सभी संस्थानों/ वेबसाईट्स का में तहेदिल से आभार/ धन्यवाद/ शुक्रिया देना/ ज्ञापित करना चाहता हु जिनके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग से यह ब्लॉग संभव हो पाया हे…चाहे वह सहयोग किसी भी रूप/ प्रकार से हो…थेंक्स टू  आल आफ यू …
(0.)::—- में उन सभी महा विद्वानों  / स्वयंभू का भी विशेष रूप से आभारी हु जिन्होंने मुझे इस कार्य हेतु इंकार / मना कर दिया …में तो यह कार्य समाज सेवा के लिए ही कर रहा हु …सोचा था की सभी का सहयोग मिलेगा  किन्तु/ लेकिन उन ज्योतिष/वास्तु के विद्वान  दुकानदारों  को अपनी  -अपनी  दुकान बंद होने का खतरा नजर आ रहा हे शायद…ऐसा मुझे लगता हे…तभी तो उन सभी ने मना कर दिया हे… इस नेक कार्य में सहयोग देने के लिए …में उनसे पूछना  चाहता हु की क्या उन्होंने कोई  तेरवी राशी/ तेरवा भाव या फिर कोई दसवा  मुख्य गृह ढूंडा हे अथवा वास्तु में चार दिशा और चार उपदिशा के अलावा कोई और दिशा भी खोजने  का प्रयास भी किया हे …अरे ये सब तो हमारे ऋषि/मुनियों के खोज/अनुभव का प्रमाण हे जो आज हम सभी हे पास वेद/ पुराण/ उपनिषदों जेसे ग्रंथो में लिखा हुआ हमें तेयार मिला हे…. बिना किसी शोध/ परिश्रम के..और उस में भी इतना अभिमान/घमंड ..???? क्यों भाई  ….क्या हम सभी उन नियमों का पालन नहीं करते हे??? माफ़ी चाहता हु…बुरा नहीं मानियेगा ..किन्तु मेरा सवाल हे…क्या हम सभी उन ग्रंथो / ऋषि मुनि की एक प्रकार से झूठन नहीं खा रहे हे ..??? नया  क्या किया हे..???कोई मुझे बताएगा..??? हे कोई माई का लाल ..जो यह साबित कर दे की हम सभी उनके पदचिन्हों पर नहीं चल रहे हे..????क्या यह उनकी  वसीयत/ मिल्कियत..बाप का मॉल हे..???
(०३ ) में उन सभी संपादकों/ लेखकों का भी आभारी हु जिनको मेने एक दुसरे से मिलवाया / मदद की और बदले में मुझे क्या मिला??? केवल आरोप/ लांछन  ही??? मेरे ऊपर कई लोगो ने लेख चुराने के आरोप लगाये..???क्या मुझे एसा करने की जरुरत हे..???
अरे मेने तो कई संपादकों की मदद ही  की हे????किसी ने मुझे गोल्ड मेडल का लालच दिया तो किसी ने और  किसी का—आइये आपको कुछ सच/ तथ्य बताता हु—
(01) दिल्ली से प्रकाशित  दो पत्रिकावों की—मेने उनमे अपने खर्चे  से कई लोगो को फोन किये/लैटर लिख कर ….लेख एकत्र किये तथ कोरियर से दिल्ली भिजवाये…अपने व्यक्तिगत खर्चे से …ना तो लेखक ने कुछ दिया ओए ना ही प्रकाशक/ संपादक महोदय ने..उन पत्रिकाओं में मेरा नाम  भी आता था / तीन -तीन किताब भी आती  थी हर महीने…लेकिन आब सब कुछ बदल गया हे ..ना तो नाम रहा ने ही  बुक्स–???  आजकल उन पत्रिकावों के संपादक जी भी पेसे देकर टी.वि. पर  आ जाते हे कभी -कभी–अब आप लोग ही बताएं  मेरा अपराध क्या था..????
(02)अब आते हे जयपुर से प्रकाशित दो पत्रिकाओं पर..इन दोनों ज्योतिष-वास्तु की पत्रिकावों के संपादक गुरु चंडाल योग धारक हे…इनको भी मेने लेख दिलवाने से लेकर-विज्ञापन तक …..यह सोचकर दिलवायें की ये एक नेक प्रयास/ कोशिश कर रहे हे..इस विधी  के प्रचार-प्रसार हेतु…लेकिन में यहाँ भी गलत साबित हुआ…मेरी यहाँ से भी छुट्टी हो गयी..///बुक्स आना बंद हो गयी…मेरा नाम गायब हो गया…बुक्स में से..???
(0.)अब कथित रूप से ज्योतिष-वास्तु के अखबार पर आते हे जो मध्य  प्रदेश की आर्थिक नगरी इंदोर से प्रकशित हुआ था –रंगीन..मेने उसमे भी तम-मन-धन से सहयोग दिया …कई लोगो (लेखकों  को जोड़ा…फोन किये…लेख  मंगवाकर  भिजवाएं..विज्ञापन भी दिलवाएं..लेकिन संपादक जी ने लालच में आकर सब कुछ गड़बड़/ गुडगोबर कर दिया …हमारे प्रयासों से वह काफी ऊपर चले गए थे..लेकिन अपने ही प्रयासों से वह खुद काफी निचे आगये हे..इन संपादक जी को ब्लेकमेलिंग/स्टिग आपरेशन में बहुत मजा आता हे .कई लोगो परेशान किया हे इंदोर में ..पूरी दुनिया जानती हे..इस बात को…भगवन भला करें….में तो बल-बल बच गया…मेरे ऊपर भी कई गंभीर आरोप लगाये थे जी इन्होने…तीन साल से अख़बार भी नहीं आ रहा हे जी….में उनका आभारी हे….लेकिन मित्रों वो संपादक जी अभी भी टी के हुए हे….लगे हुए हे…अखबार तो नज़र नहीं आता..लेकिन वो जरुर नजर आते रहते हे..मेने जिनको मेंबर बनाया था  वो सभी लोग मेरे प्राण पीते हे / फोन/ पत्र द्वारा की अखबार नहीं आता ,,,में भी क्या करूँ मजबूर और क्षमा प्रार्थी उन सभी से…आशा हे आप लोग मेरी स्थिति को समझाने का प्रयास करेंगे… 
(04  ) इन सभी के अलावा और भी आत्माए/ लेखक/ संपादक /प्रकाशक महोदय हे…लेकिन फिर कभी बात करेंगे….
(05)  अभी  कुछ दिनों पूर्व फेसबुक से अहमदाबाद की एक कुंडली निर्माता से मित्रता / सम्पर्क हुआ…मेरे साथ वही इतिहास दोहराया गया…मुझे पार्टनर बनाने  का लालच भी दिया था..मेने विनम्रता से मना कर दिया ..कहा  की बहन आपको जो भी  मदद चाहिए में करूँगा/दूंगा…लेकिन वहां भी गलत फहमी/ मिस अंडर  इस्तेंडिंग  हो  गयी हे..मेरे ऊपर ढेर सारे आरोप   लगा दिए/ अभद्र भाषा  में एस.एम्.एस. भिजवाये/ और भी ना जाने क्या क्या..???मेने तो और उनको कई सम्मेलनों में बुलवाया…प्रचार-प्रसार किया…कोई लोगो से मिलवाया…लेकिन..खेर कोई बात नहीं…भगवन भला करें उनका ..और उन सभी का जिन्हीने मुझे युस  / इस्तेमाल  किया और निम्बू की तरह जूस निकलकर फेंक दिया..?????
(a)—आईये बात करते हे उन सभी  फोकटियों  / निशुल्क सलाह चाहने वालों की जो मेरे साथ ऑरकुट/ फेसबुक  या  इंटरनेट पर कही भी जुड़े हुए हे अथवा मेरे लेख पढ़कर इमेल/ एस.एम्.एस. / मिसकाल देने वालों की…  आप सभी से मेरा विनम्र निवदन / विनती हे की आप लोग एसा कोई प्रयास नहीं करें…क्यों की मेने 2011 से सलाह शुल्क लेने शुरू/ आरम्भ कर दिया हे जी..आप सभी सूचित हो ठीक तरह से..मेरे साथ वृन्दावन केक वेद विह्यालय से जुडा होने के कारन वहां के बच्चों की मदद हो सके …ये कदम नेने इसीलिए उठाया हे…आप सभी मुझे ल्शामा करेंगे और इस नेक क्रय में मरी सहायता करेंगे…आर्थिक रूप से सहयोग देकर ताकि उन सभी बच्चों का भविष्य सुधर जाएँ… आप सभी का आभार/ धन्यवाद/ शुक्रिया..सहयोग हेतु..चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष…साथ ही माफ़ी/ क्षमाप्रार्थी भी हु यदि किसी को मेरे विचार से मानसिक दुःख/ क्षति पहुंची हो तो…
सदेव  आपका …स्नेहकंक्षी  …उत्तर की प्रतीक्षा में —-
(पंडित दयानंद शास्त्री )
संपादक-विनायक वास्तु टाईम्स(ब्लॉग & अखबार )

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