कैसे करें उपवास / उपवास करते समय ध्यान देने योग्य बातें–????
How to do Fasting / Important things to be kept in mind while Fasting—????
भारतीय हिन्दू शास्त्रों में उपवास की विशेष महिमा मानी गई है. शास्त्रों में मानसिक शान्ति-सुख- समृ्द्धि और मनोकामनाओं कि पूर्ति के लिये उपवास करने की मान्यता है. चिकित्सा शास्त्र के अनुसार भी उपवास करना स्वास्थय सुख में वृ्द्धि करता है. और व्यक्ति को स्वस्थ बने रहने में सहयोग करता है. यूं भी पेट के पाचन तंत्र को आराम देने के लिये एक दिन का उपवास कभी भी किया जा सकता है. उपवास समाप्त करते ही एक दम से बहुत सारा खाना खाने से बचना चाहिए. व्रत के नियमों को समझने से पूर्व हमें व्रत को समझना चाहिए.
व्रत क्या है? आईये व्रत को समझने का प्रयास करते है
What is Fasting? Find out more about Fasting
वास्तव में व्रत और उपवास दोनों को एक ही अर्थ में समझा जाता है. पर वास्तव में व्रत में भोजन किय जा सकता है, और उपवास में निराहार रहा जाता है. दोनों के अर्थ को बारिकी से समझना चाहिए. और उसके बाद ही यह निर्धारित करना चाहिए, कि व्रत करना है या उपवास करना है.
संकल्प सहित किसी विशेष उद्देश्य से पूरे दिन अन्न ग्रहण किये बिना रहना ही उपवास है. व्रत करने से व्यक्ति कि आत्मा शुद्ध होती है. व्यक्ति कि संकल्प शक्ति बढती है. बुद्धि, विचार, चतुराई व ज्ञान में बढोतरी होती है. व्रत रोग और पापों में कमी करते है. जैसा की स़र्वविदित है, पाप कायिक, वाचिक, मानसिक और संसर्ग जनित होते है.
उपवास सभी, पापों, उपपाप, और महापापादि से मुक्ति देते है. हिन्दूओं में व्रतों को विशेष महत्व दिया गया है. व्रत परमात्मा के प्रति भक्ति, श्रद्धा और विश्वास के परिचायक है. इन्हें व्यापार- व्यवसाय, कला-कौशल और जीवन की अन्य कामनाओं कि पूर्ति हेतू किया जाता है.
उपवास क्योकि हमें मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शान्ति देते है. इसलिये ये तमाम तरह के रोगों से दूर बना हमें स्वस्थ रखने में सफल रहते है. अपने कर्म के अनुसार सभी को सप्ताह में एक बार हमें उपवास अवश्य करना चाहिए. सप्ताह में किये जाने वार व्रत स्वयं में मंगलकारी होते है.
व्रत की महिमा
Significance of Vrat
मनुष्य़ जीवन को सफल करने के लिये व्रतों की बडी महिमा कही गई है. और उपवास के नियम पालन से शरीर को तपाना ही तप है.
सरल शब्दों में उपवास से अभिप्राय: शरीर के पाचन तंत्र को आराम देने से है. व्यक्ति का पाचन तंत्र सदैव ही काम में लगा रहता है. इसे आराम देने के लिये उपवास किया जा सकता है.
उपवास करने का उद्धेश्य स्वयं को भूखा मारने से नहीं है, और न ही, सारे दिन कुछ न कुछ तला हुआ खाते रहने का नाम ही उपवास है. उपवास करते समय उपवास के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए.
लम्बी अवधि के उपवास डाक्टर की सलाह से ही करने चाहिए. वजन घटाने के लिये उपवास करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए.
उपवास मानसिक, आत्मिक शान्ति देते है.
संकल्प क्या है ?
What is Resolution?
संकल्प ही व्रत का मूल भाव होता है, किंतु इसकी सार्थकता तभी होती है. जब किसी कार्य को किसी दृढ निश्चय के साथ किया जायें, तो वहीं सकल्प है. धार्मिक दृष्टि से व्रत अनुष्ठान पूर्ण करने के लिये विशेष विधि-विधान की आवश्यक्ता होती है. इसी कारण किसी भी धार्मिक शुभ कार्य शुरु करने के पहले संकल्प लिया जाता है. इसलिये चाहे धार्मिक हो या व्यवहारिक जीवन से जुडा संकल्प हों, उसे पूरी दृ्ढता से पूरा करने का प्रयास करना चाहिए.
किसी भी व्रत का प्रारम्भ करने से पहले संकल्प लेना आवश्यक होता है.
It is Important to take Resolution before Fasting
उपवास करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए.
उपवास वाले दिन प्रात: काल उठना चाहिए.
प्रात: काल की पूजा करने से पहले ही नित्यक्रियाओं से निवृ्त हो जाना चाहिए.
इस दिन भी अन्य दिनों की तरह अपने ईष्ट देव की पूजा करनी चाहिए. अपने ईष्ट देव की पूजा करने के बाद ही उपवास से जुडे अन्य देवी -देवता कि पूजा करनी चाहिए.
उपवास के बीच सुबह-शाम प्राणायाम करना ठिक रहता है.
उपवास काल में शारीरिक और मानसिक आराम को भी पूरा महत्व देना चाहिए.
उपवास के दिन कोई भी ऎसी बात नहीं करनी चाहिए कि किसी को दु:ख पहुंचे या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे, इसलिये उपवास काल में मौन व्रत रखना भी श्रेष्ठ होता है. ऎसे में पूरे दिन मानसिक पाप से भी बचा सकता है.
उपवास के दिन के विषय में कहा गया है, कि इस दिन दिन में सोना उपवास के पुन्य फलों में कमी करता है. आसन करना और भ्रमण करना उपयुक्त रहता है.
लम्बी अवधि तक निर्जला व्रत कभी भी नहीं करना चाहिए. ऎसे में शरीर में पानी की कमी हो सकती है.
उपवास रखने से पहले स्वयं को मन से इस कार्य के लिये पूरी तरह से तैयार कर लें. अगर उपवास केवल एक ही दिन का रखना है, तो इसके लिये कोई विशेष तैयारी करने की जरूरत नहीं है. बस उपवास के दो तीन दिन पूर्व से भोजन में फल और सब्जियां ज्यादा लेनी शुरु कर देनी चाहिए. उपवास की अवधि लम्बी होने पर आपको इसके लिये अवश्य ही विशेष तैयारी करनी चाहिए.
ऎसे में उपवास रखने से दो -तीन पूर्व से ज्यादा अन्न खाना शुरु कर देनी चाहिए. और भोजन के साथ सब्जियां और फल भी ज्यादा लेनी चाहिए. उपवास से एक -दो दिन पूर्व पूरा संतुलित भोजन लेने का प्रयास करना चाहिए.
व्रत करने वाले को गंध, पुष्प, वस्त्र व्रत के अनुसार धारण करने चाहिए. व्रत-पूजा या हवनादि में केवल एक वस्त्र पहनकर या बहुत सारे वस्त्र धारण कर हवन करना उचित नहीं होता है.
व्रत करने वाले स्त्री या पुरुष को वस्त्रों का रंग व पूजा के फूलों का रंग उपवास विशेष के अनुसार लेने चाहिए. जैसे भगवान श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये अगर उपवास किया जा रहा है, उपवास के दिन लाल रंग के वस्त्र धारण कर पूजा में लाल रंग के फूलों को प्रयोग करना शुभ रहता है.
व्रत करने वाले व्यक्ति को आचमन किये बिना क्रियाएं करना व्यर्थ होता है. नहाते-धोते, खाते-पीते, सोते, छिंकते समय और गलियों में घूमकर आने के बाद आचमन अवश्य करना चाहिए. यदि जल न मिलें तो दक्षिण के काण का स्पर्श भी किया जा सकता है.

1 COMMENT

  1. बहुत ही अच्छी और ज्ञानवर्धक जानकारी है आज जाकर मुझे उपवास का महत्व और उसकी पूर्ण विधि मालूम हुई है धन्यवाद पंडित जी इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिये कृपया वैवाहिक जीवन पर भी कुछ महत्वपूर्ण लेख दें जिससे इस विषय के संबंध में भी कुछ पता चल सके!

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      INDRA NAGAR ( NEAR TEMPO STAND),
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