आषाढ मास के पर्व:—-
आषाढ संक्रान्ति …1, 15 जून—-
Festivals in the Month of Ashada : Ashada Sankranti 2011, 15 Jun—-
15 जून, 2011, बुधवार, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन 14:26 मिनट पर आषाढ संक्रान्ति प्रारम्भ होगी. संक्रान्ति प्रवेश के समय ज्येष्ठा नक्षत्र, तुला लग्न रहेगा. संक्रान्ति का पून्य काल 10 बजे से शुरु हो जायेगा. इस समय में संक्रान्ति में किये जाने वाले दान-धर्म के कार्य किये जा सकते है.
यह संक्रान्ति बुधवार के दिन होने के कारण इसका नाम मंदाकिनी रहेगा. परन्तु इस संक्रान्ति का प्रारम्भ क्योकिं ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ है, इसलिये इस संक्रान्ति का नाम राक्षसी भी रहेगा. राक्षसी संक्रान्ति होने से यह संक्रान्ति दुष्टों को सुख लाभ देने वाली हो सकती है.
आषाढ मास विशेष
Significance of the Month of Ashada
आषाढ संक्रान्ति, ज्येष्ठ पूर्णिमा व अर्द्धरात्रि को चन्द्र ग्रहण होने से इस दिन तीर्थस्नान, जप-पाठ, दान आदि का विशेष महत्व रहेगा. संक्रान्ति, पूर्णिमा और चन्द्र ग्रहण तीनों ही समय में यथा शक्ति दान कार्य करने चाहिए. जो जन तीर्थ स्थलों में न जा पायें, उन्हें अपने घर में ही स्नान, दान कार्य कर लेने चाहिए. आषाढ मास में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिये ब्रह्मचारी रहते हुए नित्यप्रति भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा अर्जना करना पुन्य फल देता है.
इसके अतिरिक्त इस मास में विष्णु के सहस्त्र नामों का पाठ भी करना चाहीए. तथा एकादशी तिथि, अमावस्या तिथि और पूर्णिमा के दिन ब्राह्माणों को भोजन तथा छाता, खडाऊँ, आँवले, आम, खरबूजे आदि फल, वस्त्र, मिष्ठानादि का दक्षिणा सहित यथाशक्ति दान कर, एक समय भोजन करना चाहिए. इस प्रकार नियम पूर्वक यह धर्म कार्य करने से विशेष पुन्य फलों की प्राप्ति होती है.
श्री गणेश चतुर्थी व्रत 2011, 16 जून
Fast of Sri Ganesha Chaturthi 2011, 16 Jun
श्री गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास की चतुर्थी तिथि को किया जाता है. आषाढ मास में 16 जून, 2011 के दिन रहेगी. सायंकाल में गणेश चतुर्थी व्रत का समापन चन्द्र दर्शन करने के पश्चात किया जाता है. इस दिन चन्द्र उदय का समय 22:17 के आसपास का रहेगा. चन्द्र उदय समय प्रदेश के अनुसार रहता है. गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र को अर्ध्य देते समय नजरों को नीचा रखा जाता है. जहां तक हो सके इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से बचना चाहिए.
श्री गणेश चतुर्थी के व्रत में श्री गणेश का पूजन किया जाता है. श्री गणेश पूजन करने में दुर्वा का विशेष रुप से प्रयोग किया जाता है. देव गणपति को जब दुर्वा अर्पित कि जाती है, तो श्री गणेश शीघ्र प्रसन्न होते है. श्री गणेश को दुर्वा अर्पित करने के पीछे यह कथा प्रचलित है कि एक बार श्री गणेश को अप्सराएं विवाह के लिये मना रही थी, परन्तु जब श्री गणेश विवाह के लिये नहीं माने तो अप्सराओं ने उन्हें सर ताप का श्राप दिया, इस श्राप से मुक्त होने के लिये भगवान श्री गणेश ने माथे पर दुर्वा को धारण किया. उस समय से श्री गणेश को दुर्वा अर्पण करने की प्रथा प्रारम्भ हुई.
आषाढ मास पंचक समय
Time of Panchak in Ashada Month
20 जून, 2011 के दिन पंचक प्रारम्भ व 25 जून, 2011 को पंचक समाप्त होगें. इसके मध्य अवधि में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए. पंचकों में नया व्यापार शुरु नहीं करना चाहिए. इसके अतिरिक इस समय में पांच कार्य करने मना होते है. पंचकों के विषय में यह मान्यता है कि इस समय में जो भी कार्य किया जाता है. वह कार्य पांच बार करना पड सकता है. इसलिये पांच पुनावर्तियों से बचने के लिये पंचक समय में कार्य प्रारम्भ करने से बचना चाहिए.
योगिनी एकादशी व्रत 2011, 27 जून
Fast of Yogini Ekadashi 2011, 27 jun
योगिनी एकादशी व्रत 27 जून, 2011 के दिन सोमवार के दिन होने के कारण अन्य एकदशियों की तुलना में शुभ रहेगी. एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा अर्चना करके उपवास रखा जाता है. रात्रि भर जागरण करते हुए श्री विष्णु व शिव स्तोत्र का पाठ किया जाता है. यह माना जाता है कि यह उपवास और पाठ करने से त्वचा के रोगों से मुक्ति मिलती है.
भौम प्रदोष व्रत 2011, 28 जून
fast of Bhouma Pradosh 2011, 28 Jun
त्रयोदशी तिथि में पडने वाला व्रत प्रदोष व्रत कहलाता है. यह माना जाता है कि प्रदोष काल में भगवान श्री भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में ‘नृ्त्य’ करते है. भगवान भोलेनाथ का यह नृ्त्य सूर्यास्त से लेकर रात्रि प्रारम्भ होने तक रहता है. शिव के इस नृ्त्य के मध्य की अवधि को प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है.
28 जून, 2011 के दिन प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड रहा है, इसलिये इस व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जायेगा. इस दिन के व्रत में भगवन शिव के साथ-साथ, भगवान राम के भक्त श्री हनुमान का पूजन व हनुमान चालिसा का पाठ करने का विशेष महत्व रहता है.
आषाढी अमावस्या 2011, 01 जुलाई
Ashadhi Amavasya 2011, 01 July
1 जुलाई को आषाढ मास की अमावस्या रहेंगी. अमावस्या के दिन तीर्थ स्थानों में दान -स्नान करने की विशेष महिमा रहेगी. अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा कि शान्ति के कार्य किये जाते है. इस दिन दान, दक्षिणा, तप और जप करना कल्याणकारी कहा गया है.
रथ- यात्रा 2011, 0. जुलाई
Rath – Yatra 2011, 3 July
आषाढ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पुष्य नक्षत्र में भगवान श्री जगन्नाथ जी की भव्य रथ यात्रा उत्साह के साथ मनाई जाती है. इस रथयात्रा को पूरी की रथ यात्रा के नाम से भी जाना जाता है. यह यात्रा उडिसा राज्य में निकाली जाती है. यह रथ यात्रा पूरे नौ दिन की होती है. रथ यात्रा के जुलूस में भगवान जगन्नाथ, देव बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की मूर्तियों रखी जाती है. यह रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से गुणडिपा मंदिर तक नौ दिनों के लिये रहती है.
हरिशयनी एकादशी व्रत 2011, 11 जुलाई
Fast of Harishayani Ekadashi 2011, 11 July
‘हरिशयनी ” एकादशी को “देवशयनी” के नाम से भी जाना जाता है. एक मान्यता के अनुसार इस दिन से देव विष्णु चार मास के लिये पाताल लोक में निवास करते है. तथा कार्तिक मास में देवउठानी एकादशी के दिन शयन से जागते है. इस एकादशी से लेकर कार्तिक मास की एकादशी के मध्य के चार मास की अवधि के समय में विवाह आदि नहीं किये जाते है.
यह माना जाता है कि हरिशयन के चार मास के समय में विवाह कार्य करने पर, देव विष्णु जी का आशिर्वाद प्राप्त नहीं हो पाता है. 11 जुलाई, 2011 के दिन पडने वाली हरिशयनी एकादशी का व्रत उपवास शुभ पुन्य फलों की प्राप्ति होती है. एकादशी के व्रत, भगवान विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिये किये जाते है. विष्णु जी के भक्तो को हरिशयनी एकादशी के व्रत को अवश्य करना चाहिए.