अशुभ सूर्य देता है नौकरी में कष्ट — पं. अशोक पँवार ‘मयंक’
दशम भाव जन्मकुण्डली में महत्वपूर्ण माना गया है। इस भाव से कर्म क्षेत्र, पिता, व्यापार, उच्च नौकरी, राजनीति, मंत्री पद आदि का विचार किया जाता है। यह भाव खराब हो या अशुभ प्रभाव में हो या अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो, नीच के ग्रहों के साथ हो तो वह जातक भटकता ही रहता है। इस भाव में अशुभ सूर्य की स्थिति अनेक बाधाओं का कारण बनती है।
जब सूर्य नीच का हो तो वह पिता का सहयोग नहीं पाता, राजनीति में हो तो असफलता का मुँह देखना पड़ता है। व्यापार में हो तो अनेक बाधाएँ आती रहती हैं, नौकरी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस भाव में सूर्य के साथ शनि हो तो पिता-पुत्र में नहीं बनती, सूर्य के साथ राहु होने पर पितृ दोष रहता है व उसके कार्य में बाधा आती रहती है।
सूर्य चन्द्र की स्थिति अमावस्या योग होने से भी उस भाव से संबंधित मामलों मे रुकावटों का सामना करना पड़ता है। शनि की सूर्य पर दृष्टि भी शुभ नहीं कही जा सकती। इस भाव में उच्च का सूर्य प्रत्येक क्षेत्र में उत्तम सफलतादायक होता है वहीं स्वराशिस्थ सूर्य भी उत्तम परिणाम देने वाला होता है।
सूर्य के साथ गुरु का होना अनेक प्रकार से लाभदायक होता है, ऐसा जातक राजनीति में भी सफल होता है। उच्च पदाधिकारी भी बन सकता है, पिता का उसे भरपूर सहयोग भी मिलता है। सूर्य- मंगल साथ हो तो उसको पुलिस प्रशासन में अच्छी सफलता मिल सकती है। सूर्य के साथ बुध का होना भी कई मायनों में उत्तम परिणामदायक होता है। ऐसा जातक विद्वान, उच्च प्रशासनिक सेवाओं में भी हो सकता है।
इस भाव में अशुभ सूर्य हो तो पवित्र नदी में ताँबे का सिक्का बहाएँ, काले, नीले रंगों का प्रयोग ना करें। अपनी परेशानी दूसरे को न बताएँ। घर के पूर्वोत्तर में नल या जल का स्रोत कायम करें। अपने पिता का सम्मान करें व प्रातः सूर्य को दूध-मिश्री मिला जल चढ़ाएँ। इस प्रकार सूर्य के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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