ज्योतिषी कोई भगवान तो नहीं कि आपके भाग्य को बदल डाले …
आज सबसे पहले तो मैं अपने सभी पाठकों से एक बात कहना चाहूँगा कि इस ब्लाग को आरम्भ करने के पीछे मेरा सिर्फ एक ही उदेश्य रहा है…वो ये कि इसके माध्यम से ज्योतिष एवं संबंधित पराविद्याओं के वास्तविक स्वरूप को आमजन तक पहुँचाना तथा तथाकथित पढे लिखे बुद्धिजीवी वर्ग की इन विषयों के प्रति अविश्वास एवं उपेक्षापूर्ण दृ्ष्टिकोण में बदलाव लाना । अपने आरम्भिक काल से ही मेरी ये मान्यता है कि जिस विषय की जानकारी जितने कम लोगों को होती है, उस विषय के प्रति अविश्वास तथा भ्रान्तियाँ भी उतनी ही अधिक देखने को मिलती है । इस ब्लाग के माध्यम से विगत एक वर्ष के दौरान ज्योतिष, मंत्र, संस्कृ्ति एवं अन्य पराविद्याओं के वास्तविक स्वरूप को अत्यन्त सरल और सटीक शब्दों में पाठकों के समक्ष रखा है ओर ये मेरा भरपूर प्रयास रहा है कि इन विषयों की पृ्ष्ठभूमी न रखने वाला व्यक्ति भी इन के बारे में आसानी से समझ सके । नित्य प्रति आप लोगों की तरफ से आने वाले ईमेल तथा फोन इत्यादि से विदित होता है कि मैं अपने इस प्रयास में कुछ हद तक सफल भी हुआ हूँ । ज्योतिष के प्रति लोगों में सकारात्मक दृ्ष्टिकोण का विकास हुआ है। आशा करता हूँ कि अपने इस प्रयास में अब तक जो सहयोग आप लोगों की ओर से मिलता रहा है, वैसा ही भविष्य में भी यूँ ही मिलता रहेगा ।
जब आप बीमारी बता रहे हो तो उसकी दवा भी तो बताईये न—-ऎसा तो डाक्टर भी किसी काम का नहीं जो सिर्फ बीमारी तो बता दे लेकिन उस बीमारी की दवा न दे “। उनकी बात सुनकर पहले तो मुझे हँसी भी आई लेकिन खैर जब मैने उसके बाद उनकी जन्मकुंडली देखी तो पाया कि विदेश में जाकर निवास करने का उनके भाग्य में किसी भी प्रकार का कोई योग नहीं है ओर वो इस विषय में चाहे लाख प्रयत्न कर लें किन्तु अन्त समय तक सफल नहीं हो सकते । जब उन्हे मैने ये बात स्पष्ट रूप से बता दी तो उनका फिर से वही सवाल था कि कुछ तो ऎसा उपाय बताईये, जिससे कि मेरी विदेश में सैटिंग हो जाए !
तो यहाँ मैं अपने पाठकों से भी वही बात कहना चाहूँगा जो कि मैने उनसे कही है। वो ये कि व्यक्तिगत भविष्यकथन तथा राशीगत भविष्यफल में जमीन आसमान की भिन्नता होती है । किसी भी राशी के अनुसार जो भविष्यफल बताया जाता है वो तात्कालीक ग्रह गोचर भ्रमण के अनुसार होता है । जब कि आपकी जन्मकुंडली जो कि आपके जन्मकालीन ग्रहों पर आधारित होती हैं, वास्तव में वो ही आपके समस्त जीवन का सार है । आप अपने पूर्वार्जित कर्मों के अनुसार जन्म के साथ ही जो कुछ भी हानि-लाभ,सुख-दुख, कर्म-अकर्म, भाग्य-दुर्भाग्य इत्यादि के रूप में अपने साथ संग्रहित कर के लाते हो—उसे जानने का एकमात्र माध्यम सिर्फ आपकी जन्मकुंडली ही है । उसी के आधार पर आपको अपने भावी जीवन में फल की प्राति होती है ।
अब बात की जाए किसी समस्या के निवारणार्थ किए जाने उपाय की तो—उपाय हमेशा जन्मकुंडली के अनुसार ही फलीभूत होते हैं ओर सबसे बडी बात ये कि उपाय का अर्थ ये नहीं कि उसके जरिए आप किसी भी समस्या से मुक्त हो सकेंगें या कि अपनी इच्छापूर्ती कर सकते हैं । उपाय का अर्थ सिर्फ इतना है कि जो कुछ भी आपके भाग्य में है, किन्तु प्रयास करने पर भी वो आपको मिल नहीं पा रहा है । तो उपाय उसकी प्राप्ति में आपके लिए एक सहायक, मददगार सिद्ध हो सकता है । लेकिन यदि कोई वस्तु आपके भाग्य में लिखी ही नहीं गई है तो उसमें उपाय क्या कर सकता है? आप चाहे दिन रात उपाय करते रहें—–जब भाग्य में है ही नहीं तो उसमे उपाय क्या करेगा । अगर एक झोपडी में रहने वाला इन्सान कहे कि पंडित जी ! मैं बंगले में रहने का सुख लेना चाहता हूँ तो आप मुझे कोई ऎसा उपाय बता दीजिए कि मेरी ये इच्छा पूरी हो जाए——तो भई ज्योतिषी भी एक इन्सान ही है, कोई जादूगर नहीं कि हाथ घुमाया ओर चीज प्रकट हो गई । या कि वो कोई भगवान है जो कि आपके भाग्य को बदल देगा ।
ज्योतिष विद्या का कार्य इतना है कि इसके जरिए आप अपने भाग्य की सीमा का आँकलन कर सकते हैं, ताकि आप उसके जरिए अपने भावी जीवन के लक्ष्य निर्धारित कर सकें ओर उन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सही मार्ग का चुनाव कर सकें–ओर उपाय का अर्थ ये है कि यदि हमारे वर्तमान/ संचित कर्मों के कारण उस मार्ग में किसी प्रकार की कोई विध्न बाधा उत्पन होती है तो उसके जरिए हम उन बाधाओं से मुक्ति पा सकें—- न कि अपने भाग्य में बदलाव का किसी प्रकार का भ्रम पालने लगें ।