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यह समझ का खेल हैशेयर बाजार की नब्‍ज—–

ज्‍योतिष में मैंने निजी तौर पर अनुभव किया है कि कई बार ज्‍योतिषी गलत होता है तो कई बार जातक भी समझने में चूक कर जाता है। अधिकांशत: ऐसा होता है कि जातक वही सुनना चाहता है जो वह सोचकर आया है। ज्‍योतिषी तो उसके लिए महज एक बहाना होता है। उसकी हां में अगर ज्‍योतिषी दस प्रतिशत हां करता है तो वह उसे सौ प्रतिशत हां मानकर चलता है और ना में कर दे तो पांच प्रतिशत ना स्‍वीकार करता है।

शेयर बाजार की नब्‍ज
इस बात की कोई सीमा अब तक तय नहीं की गई है कि कौनसे विषयों पर ज्‍योतिषी अधिकारपूर्वक उत्‍तर दे सकता है और कौनसे विषयों पर तथ्‍यात्‍मक रूप से सही नहीं बताया जा सकता। इसके लिए मैं उदाहरण लेना चाहूंगा शेयर बाजार की भविष्‍यवाणी के। पूर्व में कई ज्‍योतिषी शेयर बाजार की भविष्‍यवाणियां करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे, लेकिन कुछ लोग ही होते हैं जो बाजार की नब्‍ज के बहुत करीब पहुंच पाते हैं, वह भी कुछ समय के लिए बाद में वह नब्‍ज भी उनसे कहीं गुम हो जाती है। मेरा मानना है कि इसमें बड़ा दोष होता है बाजार को देखने के नजरिए का।
कैसे पैदा होती है समस्‍या
इसे ऐसे समझिए कि शेयर बाजार एक ऐसी टर्म है जिसमें काफी चीजें एक साथ समाई हुई हैं। ऐसे में किसी एक ग्रह या किसी एक भाव का तो इस पर असर देखा नहीं जा सकता। अब किसी एक व्‍यक्ति का भाग्‍य भी इससे जुड़ा नहीं हो सकता। इसके अलावा किसी एक कंपनी या किसी कंपनी समूह के बारे में बात करें तो भी बेमानी हो जाएगी, क्‍योंकि पहली तीस कंपनियों में इस पांच साल में जो कंपनियां शामिल रहेंगी, जरूरी नहीं है कि अगले पांच साल में भी वही रहें। पल-पल अपनी स्थिति बदल रहे शेयर बाजार की गणना किस आधार पर की जाएगी। यह शोध का विषय है…
बात यहीं खत्‍म नहीं हो जाती
बात यहीं खत्‍म नहीं हो जाती। अब ज्‍योतिषी कहता है कि बाजार अच्‍छा रहेगा। इसका मतलब मोटे तौर पर यह निकाला जा सकता है कि बाजार में तेजी रहेगी। नहीं, ऐसा कदापि नहीं है। बाजार अच्‍छा रहेगा इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि शेयर बाजार का स्‍वास्‍थ्‍य ठीक रहेगा। इसके लिए कंपनियों के निवेश, घोटालों का पकड़ा जाना और संस्‍थागत तेजडि़यों और मंदडि़यों का दूर होना भी शामिल हैं। आमतौर पर ऐसी गतिविधियों से बाजार नीचे आ गिरता है। भले ही फौरी तौर पर यह नुकसान की स्थिति दिखाई दे लेकिन दीर्धकाल के पैमाने पर देखें तो यह बाजार के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छी घटनाएं हैं। तो वह ज्‍योतिषी कहां गलत हुआ जो कह रहा है कि बाजार की स्थिति अभी ठीक है। नियमित रूप से बाजार का उठाव और उसके करेक्‍शन के लिए गिरावट सामान्‍य बातें हैं। पर बाजार में हमेशा ऐसा ही नहीं होता है। इसके उलट कई बाते हैं जिन्‍हें परखने की कोशिश की जा सकती है।
तो सही विश्‍लेषण कैसे हो सकता है
इसके लिए कोई तय फार्मूला मुझे तो दिखाई नहीं देता। कभी बाजार गुप्‍त क्रियाओं में लगा हो और अपनी स्थिति मजबूत कर रहा हो तो उसे भी मैं तो अच्‍छी स्थिति कहूंगा, लेकिन बाजार में पैसा फेंक रहे निवेशक को यह बात नहीं जमेगी। इसलिए सबसे सुरक्षित तरीका तो यही है कि जातक की व्‍यक्तिगत कुण्‍डली का विश्‍लेषण करके ही पता लगाया जाए कि उसे फायदा होगा कि नहीं। बाजार की नब्‍ज पहचानने के लिए कोई फार्मूला बनाने के
लिए तो एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों ज्‍योतिषियों के समूह को बैठकर लम्‍बे समय तक विश्‍लेषण करना पड़ेगा। तभी कोई ऐसा नियम निकल पाएगा जो बता सके कि आज बाजार कैसा रहेगा।

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