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**श्रीविष्णोरष्टा विंशतिनामस्तोत्रम*—पवन तलहन
****श्रीविष्णोरष्टा विंशतिनामस्तोत्रम******
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किं नु नाम सह्त्राणि जपते च पुन: पुन:!
यानी नामानि दिव्यानि चाचक्ष्व केशव!!१!!
हे--केशव---मनुष्य बारंबार एक हजार नामों का जप क्यों करता है? आपके नाम हों, उनका वर्णन कीजिये!!१!!मत्स्यं कूर्मं वराहं च...