Tag: दयानन्द शास्त्री
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साढ़ेसाती और ढैया की विवेचना ----
सृश्टि के प्रारंम्भ मे शनि अत्यन्त दीन-हीन और संसार मे उपेक्षित थे। नवग्रह परिवार मे शनि को भृत्य (नौकर) का स्थान प्राप्त था। वैदिक काल...
टैरो कार्ड : भविष्य जानने की आकर्षक विधा—–
टैरो कार्ड : भविष्य जानने की आकर्षक विधा-----
क्या है टैरो कार्ड रीडिंग..?????टैरो वास्तव में चित्रों के माध्यम से भविष्य जानने की कला है। जिस तरह से हाथों की रेखाओं या कुंडली...
कहाँ हो गृहस्वामी का सोने का कमरा..???
कहाँ हो गृहस्वामी का सोने का कमरा..???
शयन मनुष्य की एक अतिआवश्यक क्रिया हैं । शयन मनुष्य को सुकुन एवं ताजगी प्रदान करता हैं यदि मनुष्य ठीक प्रकार से नहीं सो...
आपका शयन कक्ष कहां हो ..???
आपका शयन कक्ष कहां हो ..???
शयन कक्ष का सम्पूर्ण भवन में महत्वपूर्ण स्थान रहता हैं । गृह स्वामी जब भवन का निर्माण करवाता हैं तो दिशा का चुनाव वास्तु आधार...
वास्तु और आपका शयन कक्ष —
वास्तु और आपका शयन कक्ष --आपका शयन कक्ष कैसा हो ???? शयन कक्ष का सम्पूर्ण भवन में महत्वपूर्ण स्थान रहता हैं । गृह स्वामी जब भवन का निर्माण करवाता हैं तो...
वास्तु एवं विज्ञान—
वास्तु एवं विज्ञान---
संसार वास्तव में ईश्वर का आभास हैं और यह आभास इस कारण उत्पन्न होता हैं कि हमने अज्ञानता वश संसार को सत्य समझ लिया हैं जो क्षण भंगुर...
वास्तु और विद्यार्थी ( VASTU & STUDENT)–
वास्तु और विद्यार्थी ( VASTU & STUDENT)--
किसी भी भवन का जब निर्माण किया जाए तब उसमें वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का भलीभांति पालन करना चाहिए चाहे वह निवास स्थान हो या व्यवसायिक...
वास्तुशास्त्र- शुभ दिशा ज्ञान
वास्तुशास्त्र- शुभ दिशा ज्ञान
वास्तुशास्त्र आज चर्चा का विषय है। पिछले कुछ वर्षों में इस विषय की अनेक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। भारत वासियों के लिए वास्तुशास्त्र नया नहीं है।...
समृद्धि में अवरोध – कारण पूजा कक्ष तो नहीं…!!!!!
समृद्धि में अवरोध - कारण पूजा कक्ष तो नहीं...!!!!! पूजाघर भौतिक सुखों की प्राप्ति के साथ-साथ पारलौकिक सुखों एवं आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति का साधन हैं। यह वह कक्ष हैं,...
वास्तु और प्रसिद्धि–
वास्तु और प्रसिद्धि--
जन्मकुंडली के ग्रहों की प्रकृति व स्वभाव अनुसार सृजन प्रक्रिया बिना लाग लपेट के प्रभावी होती हैं और ऐसे में अगर कोई जातक जागरूकता को अपनाकर किसी विद्वान जातक...