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Tag: ज्योतिष

चीनी वास्तु कला और भारतीय वास्तु शास्त्र

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चाईनीज क्योर क्यों ? भारतीय क्यों नहीं ?चीनी वास्तु कला और  भारतीय वास्तु शास्त्र  वास्तु शास्त्र आज बहुत ही प्रचलित है।भारतीय वास्तु शास्त्र को हम वास्तु शास्त्र के नामसे जानते हैं। इसके...

भवन हेतु प्लाट/ भूखण्ड (का आकार– वास्तु सम्मत) लेते / खरीदते समय सावधानियां —-

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भवन हेतु प्लाट/ भूखण्ड (का आकार-- वास्तु सम्मत) लेते / खरीदते समय सावधानियां ------ अनेकों व्यक्ति भूखण्ड के शुभ-एव अशुभ तथ्वों केध्यान में रखे विना ही भवन निर्माण प्रारम्भ करवादेते है, जिसके...

भवन निर्माण/रखरखाव में (वास्तु सम्मत)सावधानियां—-

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भवन निर्माण/रखरखाव में (वास्तु सम्मत)सावधानियां---- वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण के लिए चुना गया भूखण्ड आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए। जिसकी सभी चारों दीवारें 90 अंश का कोण बनाती हों। ऐसा...

कालसर्प योग एवं भ्रान्तियां —–

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कालसर्प योग एवं भ्रान्तियां ----- कालसर्प योग जातक में जीवटता, संघर्षशीलता एवं अन्याय के प्रति लड़ने के लिए अदम्य साहस का सृजन करता हैं । ऐसे जातक अपने ध्येय की सिद्धी...

संतान और कालसर्प योग—-

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संतान और कालसर्प योग---- संतानहीनता दाम्पत्य जीवन का दुःखद पहलू हैं । ज्योतिष शास्त्र में संतान सुख के लिए जातक की जन्म कुण्डली में पंचम भाव, पंचमेश एवं गुरू की स्थिति...

बुध का राशि परिवर्तन–सत्येन्द्र दाधीच—

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बुध का राशि परिवर्तन--सत्येन्द्र दाधीच--- ज्योतिष में बुध को वाणी और बुद्धि का स्वामी ग्रह माना जाता है। बुध व्यापार का कारक ग्रह है। बुध के अशुभ प्रभाव के कारण व्यापार में...

श्रावण माह महत्व—–

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श्रावण माह  महत्व----- वैसे तो प्रत्येक तिथि, वार, नक्षत्र एवं माह अपना विशेष महत्व रखते हैं किन्तु श्रावण माह का अपना अलग ही महत्व है। इस माह में ग्रहराज सूर्यदेव चन्द्रमा की...

श्रावण मास में शिव पूजन की विधि —-

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श्रावण मास  में  शिव पूजन की विधि ---- भगवान शिव का प्रिय माह श्रावण मास को ध्यान में रखते हुए संक्षिप्त किन्तु पर्याप्त शिव पूजन की विधि निम्न प्रकार पूर्ण की जा...

सावन माह में सोमवार का महत्व—

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सावन माह में सोमवार का महत्व---- श्रावण माह में भी सोमवार का विशेष महत्व है। वार प्रवृत्ति के अनुसार सोमवार भी हिमांषु अर्थात चन्द्रमा का ही दिन है। स्थूल रूप में अभिलक्षणा...

दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम्‌—

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दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम्‌----- विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय। कर्पूरकांतिधवलाय जटाधराय दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥ गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय। गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय ॥दारिद्रय. ॥2॥ भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय। ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय ॥ दारिद्रय. ॥3॥ चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय। मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय ॥ दारिद्रय. ॥4॥ पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय। आनंतभूमिवरदाय तमोमयाय ॥दारिद्रय. ॥5॥ भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय...

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