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छूना हें आभिमान से …आसमान…
छूना हें आभिमान से ...आसमान...
(स्वतंत्रता दिवस पर विशेष कविता)----
(पंडित दयानंद शास्त्री"अंजाना")
ज्ञानियों के ज्ञान से ना मूर्खों के मान से....
हम रहें आनंद में बस, बांसुरी की तान से....
पढ़ चुकें जो पुस्तकें पर...