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माध्यमिक तंत्र-साहित्य—खींवराज शर्मा

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माध्यमिक तंत्र-साहित्य---खींवराज शर्मा  प्राचीन आगमों या तंत्रों का नामनिर्देश अन्यत्र किया गया है। यहाँ माध्यमिक तंत्र साहित्य के विषय में बताया गया है। देवताओं के उपासनासंबंध से तंत्र का भेदनिरूपण संक्षेप में कुछ...

रोजगार के नये अवसर : ज्योतिषी बनिये—(व्यंग्य)

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रोजगार के नये अवसर : ज्योतिषी बनिये---(व्यंग्य) रोजगार के नये अवसर के पहले भाग को अपने सराहा था और आदेशनुमा निवेदन किया था कि तत्काल दूसरे भाग को प्रकाशित किया जाये जिससे...

स्मार्ट और फिट बनाए रखता है यह हनुमान मंत्र —

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स्मार्ट और फिट बनाए रखता है यह हनुमान मंत्र  --- आज के दौर में सुख, सुविधाओं को जुटाने के लिए न केवल अधिक मेहनत, परिश्रम की जरूरत है, बल्कि सबसे अहम हैं...

**ज्ञान-विद्या जिस से भी मिले ले लो*****पवन तलहन**

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****ज्ञान-विद्या जिस से भी मिले ले लो*****पवन तलहन******* ******************************************** यदि अपने से हीन वर्ण के पास कोई विद्या हो तो उसे भी श्रद्धालु बनकर सीख लेना चाहिये! किसी चाण्डाल आदि अन्त्यज के पास...

गोमती चक्र क्या है..????

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गोमती चक्र क्या है..???? गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी मे मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यो तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। असाध्य रोगों...

सोने से पहले शिव की ऐसी प्रार्थना देती है मनचाहे सुख—-

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सोने से पहले शिव की ऐसी प्रार्थना देती है मनचाहे सुख---- हिन्दू पंचांग के हर माह में दो चतुर्दशियां होती है। चतुर्दशी का स्वामी भगवान शिव को माना गया है। पुराणों में...

शिव पूजा के इस आसान उपाय से पाएं सुंदर और गुणी पुत्र—

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शिव पूजा के इस आसान उपाय से पाएं सुंदर और गुणी पुत्र---- वैवाहिक जीवन की सफलता में संतान सुख भी अहम होता है। संतान सुख पति-पत्नी ही नहीं कुटुंब और रिश्तों को...

मनचाहे वाहन सुख के लिए शिव को इन मंत्रों से चढ़ाएं चमेली के फूल—

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मनचाहे वाहन सुख के लिए शिव को इन मंत्रों से चढ़ाएं चमेली के फूल--- जीवन में समय का सदुपयोग बहुत जरूरी है। सफलता और सुख के लिये सही वक्त पर की गई...

**राहु स्तोत्रम*–पवन तलहन

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********राहु स्तोत्रम***--पवन तलहन ** राहुर्दानवमत्री च सिन्हिकाचित्तनंदन!अर्धकाय सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दन!!१!! रौद्रो रुद्राप्रियो दैत्य स्वर्भानुर्भानुभीतिद! ग्रहराज:सुधापायी राकातीथ्यामीलाषुक!!२!! काल दृष्टि: कालरूप: श्रीकंठ हृदयाश्रय:! विधुंतुद सैहिकेयो घोररूपो महाबला:!!३!! ग्रहपीड़ाकरो दंद्री रक्तनेत्रो महोदर:! पञ्चविंशतिनामानि स्मृत्वा राहुं सदा नर:!!४!! य: पठेन्महती पीड़ा तस्य चश्यती केवलम! आरोग्यं पुत्रमतुलां...

शीतला-शान्ति प्रयोग—-वैदिक जगत—

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शीतला-शान्ति प्रयोग----वैदिक जगत--- क॰ “ॐ ह्रीं शीतलायै नमः” का १०० बार उच्चारण करते हुए श्वेत चन्दन-युक्त शत-पत्री-अर्क द्वारा शत-संख्यक अर्घ्य-दान करने से एक सप्ताह में शीतला-व्रण शान्त हो जाते हैं ।ख॰ एक अन्य अव्यर्थ...

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