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JYOTISH

>एक औरत हूँ/ THE LEADY--------मैं एक बहन एक बेटी एक औरत हूँ एक औरत जो न जाने कब से नंगे पाँव रेगिस्तान की धदकती बालू मैं भागती रही है !मैं सुदूर उत्तर के गाँव से आई हूँ एक औरत जो न जाने कब से के धान खेतों मे, और चाय के बागानों मे, अपनी ताकत से ज़यादा मेहनत करती...

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>मधुराष्टकं - श्री श्री वल्लभाचार्य द्वारा विरचित------ अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥ अधर, वदन नयना अति मधुरा, स्मित मधुर, हृदय अति मधुराचाल मधुर, सब कुछ मधु मधुरा, हे मधुराधिपते! मधु मधुरावचनं मधुरं चरितं मधुरं, वसनं मधुरं वलितं मधुरं । चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं...

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>जब भी अपनों को आजमाया हे....हमने खुद से फरेब खाया हे.....जेसा चाहा उसे बनाया हे...जितना फ़ोलाद को तपाया हे.....चंद रोजा इस जिंदगानी का .........कोई मकसद समझ नहीं पाया हे..........जितने वाले खुद समझाते हे.......किस तरह से मुझे हराया हे........सारे बेज़ा उसूल लगते हे.......भूखे बच्चो को जब रुलाया हे.........हंसते हंसते निकल पड़े आँसू...........बीता लम्हा अब याद...
>मंगल दोष के विभिन्न प्रकार--क्यों जरूरी है मंगली का मंगली से ‍विवाह :-जिस जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली आदि में मंगल ग्रह, लग्न से लग्न में (प्रथम), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी स्थित हो, तो उसे मांगलिक कहते हैं। गोलिया मंगल 'पगड़ी मंगल' तथा चुनड़ी मंगल : जिस जातक की जन्म कुंडली में...

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>***+*...** श्री रुद्राष्टकम ***+*** नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजेडहं॥१॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं। करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतोडहं॥२॥ तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं। स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥३॥ चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं। मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं...
>जानकारी / सूचना/ information ::--------------1.------आप सभी से निवेदन/ अपील/ प्राथना हे की आज विश्व स्तर पर अर्थ आवर ( विश्व के सभी 131 देशो के 4000 शहरों में एक साथ ) मनाया जा रहा हे.....इसके अंतर्गत......आज धरती के लिए....एक घंटा bijali / विद्युत/ लाइट....रात्रि --आठ बजकर तीस मिनट से रात्रि नो बजकर तीस मिनट तक --- ( 8-30...
>सुख-समृद्धि हेतु उत्तर-पूर्व शुभ ---कैसा हो मकान में खुला स्थान------ खुले स्थान का महत्व : वास्तु शास्त्र के अनुसार भूखण्ड में उत्तर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व (ईशान) में खुला स्थान अधिक रखना चाहिए। दक्षिण और पश्चिम में खुला स्थान कम रखें। बॉलकनी, बरामदा, पोर्टिको के रूप में उत्तर-पूर्व में खुला स्थान ज्यादा रखें, टैरेस व बरामदा खुले...
>वास्तु से लाएँ रिश्‍तों में प्रगाढ़ता--वास्तु बढ़ाएगा पिता-पुत्र में प्रेम---- ग्रह, उपग्रह, नक्षत्रों की चाल व ब्रह्मांड की क्रियाकलापों को देखते ही मन यह सोचने पर विवश हो जाता है कि यह परस्पर एक-दूसरे के चक्कर क्यों लगाते हैं। कभी तो अपनी परिधि में चलते हुए बिल्कुल पास आ जाते हैं तो कभी बहुत दूर। ब्रह्मांड की गतिशीलता व...
>राशि के अनुरूप मंत्र जाप ------नवरात्रि में करें विशेष लक्ष्मी मंत्र-----व्यक्ति यदि अपनी राशि के अनुकूल मंत्र का जाप करे तो लाभकारी होता है। इन मंत्रों का कोई विशेष विधान नहीं है लेकिन सामान्य सहज भाव से स्नान के पश्चात अपने पूजा घर या घर में शुद्ध स्थान का चयन कर प्रतिदिन धूप-दीप के पश्चात ऊन या कुशासन पर...
>नौ रूपों को पूजने का पर्व नवरात्रि--जगदम्बा माता के रूप---शरणागतदीनार्तपरित्राण परायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि नमोऽस्तु ते।- शरण में आए हुए प्राणियों एवं दीन-दुःखी जीवों की रक्षा के लिए सर्वदा रत, सबके कष्ट को दूर करने वाली हे देवि! हे देवि! आपको नमस्कार है।पौराणिक कहावतों के अनुसार जय-विजय नामक दो देवदूत भगवान के द्वारपाल थे। एक बार की बात है।...

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