व्यवसाय में फ़लदायी मंत्र---
मंत्र शास्त्र स्न.कारोबारी परेशानियों से बचाता है ‘श्री लक्ष्मी गणेश मंत्र’ मानव जीवन के घटनाचक्र को जानने एवं पूर्वानुमान की प्रक्रिया बतलाने वाले महर्षि पाराशर ने व्यापार एवं आर्थिक स्थिति का विचार बड़े ही तर्कसंगत ढंग से किया है। उनका मानना है कि जन्मकुंडली में लग्न, पंचम एवं नवम भाव लक्ष्मी के स्थान होने के कारण...
महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना के तरीके आवश्यकता के अनुरूप होते हैं। काम्य उपासना के रूप में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। जप के लिए अलग-अलग मंत्रों का प्रयोग होता है। मंत्र में दिए अक्षरों की संख्या से इनमें विविधता आती है। यह मंत्र निम्न प्रकार से है-
एकाक्षरी(1) मंत्र- 'हौं' ।
त्र्यक्षरी(3) मंत्र- 'ॐ जूं सः'।
चतुराक्षरी(4)...
धन प्राप्त करने के लिये जो नियम है उनके अनुसार वह ग्रह जो केन्द्र तथा त्रिकोण का स्वामी हो अथवा अन्य शुभ भावों का स्वामी हो तो वह धन पदवी आदि वांछित पदार्थों की उपलब्धि करवाता है। इसके अलावा जो भाव पापी है,और उनके स्वामी यदि केवल पाप प्रभाव में हों तो पापत्व के नाश के द्वारा धन की...
ग्रह जब भ्रमण करते हुए संवेदनशील राशियों के अंगों से होकर गुजरता है तो वह उनको नुकसान पहुंचाता है। नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को ध्यान में रखकर आप अपने भविष्य को सुखद बना सकते हैं।
वैदिक वाक्य है कि पिछले जन्म में किया हुआ पाप इस जन्म में रोग के रूप में सामने आता है। शास्त्रों में बताया है-पूर्व जन्मकृतं...
कलश स्थापना---
किसी भी धार्मिक समय में और योजना आदि में कलश स्थापना का बहुत महत्व है,पृथ्वी को कलश रूप में स्थापित किया जाता है,फ़िर कलश में सम्बन्धित देवी देवता का आवाहन कर विराजित किया जाता है,चूंकि पृथ्वी एक कलश की भांति है,और जल को संभाल कर लगातार गोल घूम रही है,जल का एक एक बूंद कितने ही अणुओं की...
क्या होता है विवाह मुहूर्त...????
विवाह स्त्री और पुरुष की जीवन यात्रा की शुरुआत मानी जाती है,पुरुष का बायां और स्त्री का दाहिना भाग मिलाकर एक दूसरे की शक्ति को पूरक बनाने की क्रिया को विवाह कहा जाता है,भगवान शिव और पार्वती को अर्धनारीश्वर की संज्ञा देना इसी बात का प्रमाण है। ज्योतिष में चार पुरुषार्थों में काम नाम का...
क्या होता है विवाह मुहूर्त...????
विवाह स्त्री और पुरुष की जीवन यात्रा की शुरुआत मानी जाती है,पुरुष का बायां और स्त्री का दाहिना भाग मिलाकर एक दूसरे की शक्ति को पूरक बनाने की क्रिया को विवाह कहा जाता है,भगवान शिव और पार्वती को अर्धनारीश्वर की संज्ञा देना इसी बात का प्रमाण है। ज्योतिष में चार पुरुषार्थों में काम नाम का...
12 महिनों के व्रत त्यौहार ::-----
चैत्र सुदी एकम् को हिंदु समाज का नव वर्ष का आरंभ होता हैं। इसे सभी हिंदु धर्म के लोग काफी उल्लास से मनाते हैं। महाराष्ट् में नववर्ष को गुडी पाडवा भी कहते हैं। इस दिन से नव रात्रौं की घट स्थापना होती हैं। नौ दिन तक दुर्गा माता के सप्तशती के पाठ...
गण्डात नक्षत्र .........
भारतीय ज्योतिष में संधिकाल या संक्रमणकाल सदैव अशुभ माना गया हैं | संधि से
मतलब दो परस्पर ग्रह, नक्षत्र , राशियों का समाप्तीकाल और दुसरों का प्रारंभकाल से माना गया हैं |
सर्वविदित हैं कि जब दो ऋतुयें परस्पर मिलती हैं तो उसी समय दुनियाँ में रोग ज्यादा
फैलते हैं | दिन और रात्री के संधिकाल में भजन किर्तन करना...
शनि की साढ़े साती और शांति के उपाय---
प्रायः जीवन में शनि की साढे सती तीन बार आती है। प्रथम बचपन में , दुसरी यौवनावस्था में और तीसरी वृध्दावस्था में । प्रथम का प्रभाव शिक्षा पर , द्वितीय का प्रभाव धन , मान-सम्मान, नौकरी - रोजगार आदि पर और तृतीय का प्रभाव आयु और स्वास्थ्य पर पडता है। ९...