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मूल संज्ञक नक्षत्र और उनका प्रभाव--- ज्येष्ठा आश्लेषा और रेवती,मूल मघा और अश्विनी यह नक्षत्र मूल नक्षत्र कहलाये जाते है,इन नक्षत्रों के अन्दर पैदा होने वाला जातक किसी न किसी प्रकार से पीडित होता है,ज्येष्ठा के मामले में कहा जाता है,कि अगर इन नक्षत्र को शांत नही करवाया गया तो यह जातक को तुरत सात महिने के अन्दर से दुष्प्रभाव...
सूर्य-साधना--- ज्योतिष की आंख सूर्य है,सूर्य साधना करने के बाद ही ज्योतिष का अंतरंग ज्ञान प्राप्त हो सकता है,सूर्य साधना कैसे की जाती है इसका विवेचन करने के लिये प्रयास किया है,किसी भी भूल को विद्वजन क्षमा करने की कृपा करेंगे और सुधार की प्रेरणा देंगे। सूर्य मंत्र-- "ऊँ घृणि: सूर्य आदित्याय: नम:" यह सूर्य का मंत्र है। सूर्य का पूजन यंत्र-- सूर्य यंत्र...
शकुन शास्त्र--- ज्योतिष सीखने के लिये सबसे पहले भारतीय ज्योतिष के अन्दर शकुन शास्त्र को जानना जरूरी है,क्योंकि भेद को जाने बिना भाव का अर्थ समझ में नही आता है,तरीके से सीखा गया काम हर जगह फ़लदायी होता है,अक्सर ज्योतिषी से पूंछा जाता है कि हमे यात्रा करनी है,या हमे अमुक काम करना है,मुहूर्त बतादो,अब पूरी ज्योतिष की जानकारी तो...
बालारिष्ट योग--- जीवन मे आयु का विचार गुरु से किया जाता है और मौत का विचार राहु से किया जाता है,कुंडली में गोचर का गुरु जब जब जन्म के राहु से युति लेता है,या राहु जन्म के गुरु से युति लेता है,अथवा गोचर का राहु गोचर के गुरु से युति लेता है,अथवा गुरु और राहु का षडाष्टक योग बनता है,अथवा...
ऊँ और स्वास्तिक का महत्व--- स्वास्तिक भारतीयों में चाहे वे वैदिक मतालम्बी हों या सनातनी हो या जैन मतालम्बी,ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र सभी मांगलिक कार्यों जैसे विवह आदि संस्कार घर के अन्दर कोई भी मांगलिक कार्य होने पर "ऊँ" और स्वातिक का दोनो का अथवा एक एक का प्रयोग किया जाता है। इन दोनो का प्रयोग करने का तरीका यह...
कालसर्प दोष निवारण--- जयोतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह का नाम दिया गया है। राहु शंकाओं का कारक है और केतु उस शंका को पैदा करने वाला स्थान। जब शंका को पैदा करने वाले स्थान,और शंका के एक तरफ़ ही सब बोलने वाले हों और समाधान करने वाले हों तो फ़ैसला एक तरफ़ा ही माना जायेगा,अगर शंका के...
गणेश की सिद्धी--- गणेश की सिद्धि के लिये बुधवार का व्रत और केतु के जाप जरूरी है. लक्ष्मी की वृद्धि--- कहावत है कि चिन्ता से चतुराई घटे दुख से घटे शरीर,पाप से लक्ष्मी घटे कहि गये दास कबीर,दूसरे के लिये भला सोचने वाले की लक्ष्मी कभी घटती नही है और पाप करने वाले की एक बार लक्ष्मी बढती दिखाई देती है वह...
उपचार करने की तीन विधियां है,यह लगभग उसी प्रकार से है,जैसे सभी कार्यों के प्रति संसार में रीतियां अपनाई जाती है,निम्न,मध्यम और उच्च,उसी प्रकार से तीन विधियां लालकिताब के अन्दर अपनाई जातीं है,टोटके,उपाय और सदाचरण.टोटके तात्कालिक राहत देने वाले होते है,जैसे किसी को बुखार आ गया है,और लगातार बढता जा रहा है,तो उसे उतारने के लिये ठंडे पानी की...
भारत की कुन्डली मे लगन मे केतु आज की तारीख मे विराजमान है,केतु का देखना तीसरे भाव मे सराकर के घर मे है और शिक्षा वाले घर मे है,सप्तम मे वह सूर्य शुक्र और बक्री बुध की ओर देख रहा है। तथा नवे भाव मे विराजमान गुरु को देख रहा है। केतु भारत का प्रधानमंत्री है,और प्रधान मंत्री को...
वास्तु विचार---- घर बनाना हो तो पहले गन्ध वर्ण रस तथा आकृति के द्वारा क्षेत्र यानी भूमि की परीक्षा कर लेनी चाहिये। यदि उस स्थान में मिट्टी मधु शहद के समान गन्ध हो तो ब्राहमणों के लिये फ़ूल जैसी गन्ध हो तो क्षत्रियों के लिये खटाई जैसी गन्ध हो तो वैश्यों के लिये और मांस जैसी गन्ध हो तो वह...

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