>सुखी जीवन के लिए वास्तु-अनमोल मंत्र ----- - उत्तर दिशा जल तत्व की प्रतीक है। इसके स्वामी कुबेर हैं। यह दिशा स्त्रियों के लिए अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है। इस दिशा में घर की स्त्रियों के लिए रहने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।- उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र अर्थात् ईशान कोण जल का प्रतीक है। इसके अधिपति यम देवता हैं। भवन...
जीवन-यात्रा
>विविध राशियों में स्थित केतु का प्रभाव–कुंडली में मौजूद केतु से जानें फलादेश:::–
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>विविध राशियों में स्थित केतु का प्रभाव--कुंडली में मौजूद केतु से जानें फलादेश:::---- प्रत्येक ग्रह परिभ्रमण करते हुए द्वादश राशियों पर विराजमान रहते हैं। मेष से मीन तक। केतु किस राशि पर स्थित है तो क्या प्रभाव देगा, जानिए।मेष : यदि केतु जातक की कुंडली में मेष राशि पर विराजमान है तो भौतिकवादी, धन संग्रह करने वाला, स्वार्थी, लोभी,...
>चौघिड़या देखने की सुविधा--- किसी भी कार्य को शुभ मुहूर्त या समय पर प्रारंभ किया जाए तो परिणाम अपेक्षित आने की संभावना ज्यादा प्रबल होती है। यह शुभ समय चौघड़िया में देखकर प्राप्त किया जाता है। यहां हमने चौघिड़या देखने की सुविधा उपलब्ध कराई है।दिन का चोघडिया --से तक ...
>आज के मुहूर्त --(रविवार 27 मार्च 2011) ----- शुभ विक्रम संवत- 2067, शालिवाहन शक संवत- 1932, संवत्सर का नाम- शोभन, अयन- उत्तरायन,ऋतु- वसंत, मास- चैत्र, पक्ष- कृष्ण, तिथि- नवमी अहोरात्र, हिजरी सन्- 1432, मु. मास- रबिलाखर, तारीख- 21,नक्षत्र- पूर्वाषाढ़ा रात्रि 10.26 पश्चात उत्तराषाढ़ा, योग- परिध मंगलरात्रि 5.36 पश्चात शिव,सूर्योदयकालीन करण- तैतिल, चन्द्रमा- धनु राशि से मकर...
>ग्रहण आ रहा है - 2011----प्रकार दिनांक समय (जी.टी.) सूर्य चंद्रमाआंशिक सौर 2011/01/04 ...
>March 27, 2011:Sunday, Krishna Navami (whole day), Poorvashadha till 22:25, Parigha yoga till 5:35*, Taitula karana till 18:14, RahuK: 16:52* - 18:22*, GulikaK: 15:22* - 16:52*, YamaG: 12:22* - 13:52*, Sunrise at 6:20*, Sunset at 18:32, Moonrise at 2:29*, Moonset...
>वास्तु अनुसार कहाँ हो बाथरूम... उत्तर-पूर्व में रखें पानी का बहाव बाथरूम यह मकान के नैऋत्य; पश्चिम-दक्षिण कोण में एवं दिशा के मध्य अथवा नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में होना उत्तम है। वास्तु के अनुसार, पानी का बहाव उत्तर-पूर्व में रखें। जिन घरों में बाथरूम में गीजर आदि की व्यवस्था है, उनके लिए यह और जरूरी...
>तृतीय स्थान संबंधी योग----स्थिति अनुसार भाव की क्षमता का आकलन----तृतीय स्थान से हम भाई-बहनों से संबंधों का विचार करते हैं। तृतीय भाव से कान, व्यक्ति की अभिरुचि, छोटे-मोटे प्रवास, मन की स्थिति, लेखन, साहित्य में रुचि, आर्थिक स्थिति, पराक्रम आदि का अंदाज लगाते हैं। तृतीय स्थान का स्वामी तृतीयेश कहलाता है। इसकी विभिन्न भाव में स्थिति के अनुसार इस...
>जन्म कुंडली के प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम व दशम भावों में से किसी एक भाव पर सूर्य-राहु अथवा सूर्य-शनि का योग हो तो जातक को पितृ दोष होता है। यह योग कुंडली के जिस भाव में होता है उसके ही अशुभ फल घटित होते हैं। जैसे प्रथम भाव में सूर्य-राहु अथवा सूर्य-शनि आदि अशुभ योग हो तो...
जीवन-यात्रा
>गुरु-राहु युति यानि चाण्डाल योग—–बुद्धि भ्रष्ट करती है गुरु-राहु की युति :::—-
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>गुरु-राहु युति यानि चाण्डाल योग------जन्म पत्रिका के एक ही भाव में जब गुरु राहु स्थित हो तो चाण्डाल योग निर्मित होता है। ऐसे योग वाला जातक उदण्ड प्र$कृति का होता है। राहु यदि बलिष्ठ हो तो जातक अपने गुरुका अपमान करने वाला होता है। वह गुरु के कार्य को अपना बना कर बताता है। गुरु की संपत्ति हड़पने में...