जीवन-यात्रा

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>क्या आप बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होते हैं? दुर्घटना का जिक्र आते ही जिन ग्रहों का सबसे पहले विचार करना चाहिए वे हैं शनि, राहु और मंगल यदि जन्मकुंडली में इनकी स्थिति अशुभ है (6, 8, 12 में) या ये नीच के हों या अशुभ नवांश में हों तो दुर्घटनाओं का सामना होना आम बात है। शनि : शनि...
>विभिन्न लग्नों के लिए राजयोग ग्रह---लग्न कुंडली की स्थिति अनुसार शुभ योग--- कुछ ग्रह लग्न कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ योग बनाते हैं जो व्यक्ति को धन, यश, मान, प्रतिष्ठा सारे सुख देते हैं। विभिन्न लग्नों के लिए राजयोगकारी ग्रह निम्न हैं।1. मेष लग्न के लिए गुरु राजयोग कारक होता है। 2. वृषभ और तुला लग्न के...
>भवन-निर्माण का सही समय---- अपना स्वयं का मकान हो, यह हर व्यक्ति की चाह होती है। वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण के संबंध में अनेक बातें बताई गई हैं। कहा गया है कि जब शनिवार, स्वाति नक्षत्र, श्रावण मास, शुभ योग, सिंह लग्न, शुक्ल पक्ष एवं सप्तमी तिथि का योग एकसाथ हो तो उस मुहूर्त में कार्य...
>क्यों होता है संतान प्राप्ति में विलंब-- -संतति सुख के लिए पंचम स्थान, पंचमेश, पंचम स्थान पर शुभाशुभ प्रभाव व बृहस्पति का विचार मुख्‍यत: किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार मेष, मिथुन, सिंह, कन्या ये राशियाँ अल्प प्रसव राशियाँ हैं। वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन ये बहुप्रसव राशियाँ हैं।* पंचम स्थान में पाप ग्रह हो तो संतति सुख...
>वास्तु सम्मत अध्ययन कक्ष ----- * अध्ययन कक्ष भवन के पश्चिम-मध्य क्षेत्र में बनाना अतिलाभप्रद है। इस दिशा में बुध, गुरु, चंद्र एवं शुक्र चार ग्रहों से उत्तम प्रभाव प्राप्त होता है। इस दिशा के कक्ष में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को बुध ग्रह से बुद्धि वृद्धि, गुरु ग्रह में महत्वाकांक्षा एवं जिज्ञासु वृद्धि, चंद्र ग्रह से नवीन विचारों...
>कुछ खास बातें वास्तु से जुड़ी--- 'वास्तु' का सहज शाब्दिक अर्थ एक ऐसे आवास से है जहाँ के रहवासी सुखी, स्वस्थ एवं समृद्ध हों। इसीलिए वास्तु विज्ञान में हमारे पूर्वजों ने अपने दिव्य ज्ञान से ऐसे अनेक तथ्यों को शामिल किया है जो कि किसी भी भवन के रहवासियों को शांतिपूर्वक रहने में परम सहायक होते हैं।...
>पूर्वमुखी मकान के परिणाम---- पूर्वमुखी मकान में अच्छे-बुरे फल भी मिलते हैं। किसी भी क्षेत्र में, किसी भी दिशा में बना मकान शुभ या अशुभ परिणाम देता है। मकान किस प्रकार बना है, इस बात पर अधिक निर्भर करता है। घर के सामने 'टी' नुमा रास्ता हो तो पूर्व मुखी मकान भी अशुभ परिणाम देगा, जबकि दक्षिण...
>ग्रहों के अशुभ फल--- प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है, परंतु कुछ कर्मों के आधार पर भी ग्रह आपको अशुभ फल देते हैं। व्यक्ति के कर्म-कुकर्म के द्वारा किस प्रकार नवग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं, आइए जानते हैं : चंद्र : सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे, माता, नानी,...
>वस्तुओं में फेरबदल कर वास्तु दोष समाप्त करें---वास्तु शास्त्र इसके रचयिता विश्वकर्माजी की मानव को अभूतपूर्व देन है। ज्योतिष विज्ञान के अंतर्गत वास्तु का एक महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी भवन का निर्माण करते समय उसे वास्तुनुकूल बनाना आवश्यक है क्योंकि घर में सुख, शांति एवं समृद्धि इसी पर आधारित है। वास्तु दोष होने पर भवन में कई प्रकार...
>सर्वग्रह शांति के लिए करें गणेश आराधना---- गजाननजी को ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह से संबद्ध किया जाता है। इनकी उपासना नवग्रहों की शांतिकारक व व्यक्ति के सांसारिक-आध्यात्मिक दोनों तरह के लाभ की प्रदायक है। अथर्वशीर्ष में इन्हें सूर्य व चंद्रमा के रूप में संबोधित किया है। सूर्य से अधिक तेजस्वी प्रथम वंदनदेव हैं। इनकी रश्मि चंद्रमा...

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