जीवन-यात्रा

जीवन शेली,आध्यात्म,ज्योतिष,वास्तु,हस्तरेखा,लालकिताब,राशिफल,मुहूर्त,त्यौहार,कविता,

सर्व-कामना-सिद्धि स्तोत्र---- श्री हिरण्य-मयी हस्ति-वाहिनी, सम्पत्ति-शक्ति-दायिनी। मोक्ष-मुक्ति-प्रदायिनी, सद्-बुद्धि-शक्ति-दात्रिणी।।१ सन्तति-सम्वृद्धि-दायिनी, शुभ-शिष्य-वृन्द-प्रदायिनी। नव-रत्ना नारायणी, भगवती भद्र-कारिणी।।२ धर्म-न्याय-नीतिदा, विद्या-कला-कौशल्यदा। प्रेम-भक्ति-वर-सेवा-प्रदा, राज-द्वार-यश-विजयदा।।३ धन-द्रव्य-अन्न-वस्त्रदा, प्रकृति पद्मा कीर्तिदा। सुख-भोग-वैभव-शान्तिदा, साहित्य-सौरभ-दायिका।।४ वंश-वेलि-वृद्धिका, कुल-कुटुम्ब-पौरुष-प्रचारिका। स्व-ज्ञाति-प्रतिष्ठा-प्रसारिका, स्व-जाति-प्रसिद्धि-प्राप्तिका।।५ भव्य-भाग्योदय-कारिका, रम्य-देशोदय-उद्भाषिका। सर्व-कार्य-सिद्धि-कारिका, भूत-प्रेत-बाधा-नाशिका। अनाथ-अधमोद्धारिका, पतित-पावन-कारिका। मन-वाञ्छित॒फल-दायिका, सर्व-नर-नारी-मोहनेच्छा-पूर्णिका।।७ साधन-ज्ञान-संरक्षिका, मुमुक्षु-भाव-समर्थिका। जिज्ञासु-जन-ज्योतिर्धरा, सुपात्र-मान-सम्वर्द्धिका।।८ अक्षर-ज्ञान-सङ्गतिका, स्वात्म-ज्ञान-सन्तुष्टिका। पुरुषार्थ-प्रताप-अर्पिता, पराक्रम-प्रभाव-समर्पिता।।९ स्वावलम्बन-वृत्ति-वृद्धिका, स्वाश्रय-प्रवृत्ति-पुष्टिका। प्रति-स्पर्द्धी-शत्रु-नाशिका, सर्व-ऐक्य-मार्ग-प्रकाशिका।।१० जाज्वल्य-जीवन-ज्योतिदा, षड्-रिपु-दल-संहारिका। भव-सिन्धु-भय-विदारिका, संसार-नाव-सुकानिका।।११ चौर-नाम-स्थान-दर्शिका, रोग-औषधी-प्रदर्शिका। इच्छित-वस्तु-प्राप्तिका, उर-अभिलाषा-पूर्णिका।।१२ श्री देवी मङ्गला, गुरु-देव-शाप-निर्मूलिका। आद्य-शक्ति इन्दिरा, ऋद्धि-सिद्धिदा रमा।।१३ सिन्धु-सुता विष्णु-प्रिया, पूर्व-जन्म-पाप-विमोचना। दुःख-सैन्य-विघ्न-विमोचना, नव-ग्रह-दोष-निवारणा।।१४ ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं श्रीसर्व-कामना-सिद्धि महा-यन्त्र-देवता-स्वरुपिणी श्रीमहा-माया महा-देवी महा-शक्ति महालक्ष्म्ये नमो नमः। ॐ ह्रीं श्रीपर-ब्रह्म परमेश्वरी। भाग्य-विधाता भाग्योदय-कर्त्ता भाग्य-लेखा भगवती...
।। पति-पत्नि विरहपीड़ा विनाशक स्त्तोत्रम् ।। पति-पत्नि में क्लेश, वाद-विवाद या पत्नि के रुठकर पीहर चले जाने आदि कारणों से उत्पन्न विरह-पीड़ा इस स्तोत्र का पाठ करने से दूर होती है एवं दोनों में प्रेम भाव बना रहता है । ब्राह्मी ब्रह्मस्वरुपे त्वं मां प्रसीद सनातनि ! । परमात्मस्वरुपे च परमानन्दरुपिणि ।।१।। ॐ प्रकृत्यै नमो भद्रे मां प्रसीद भवार्णवे । सर्वमंगलरुपे च प्रसीद सर्वमंगले...
April 23, 2011: Saturday, Krishna Shashthi till 19:19, Poorvashadha till 5:48*, Siva yoga till 13:24, Garija karana till 7:24, Vanija karana till 19:19, RahuK: 8:53* - 10:23*, GulikaK: 5:53* - 7:23*, YamaG: 13:23* - 14:53*, Sunrise at 5:51*, Sunset at 18:47, ...
भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान गोम डिफेंस कालोनी , वाल्मिकी पथ, वैशाली नगर , जयपुर- 302021 (राजस्थाvन) INDIA मोबाईल नम्बर :094142 - 78708 to,--- sub.- अत्यावश्यक ..... महोदय / महोदया , इस संस्थान द्वारा चतुर्थ राष्ट्रीय खगोल एवं ज्योतिष सम्मलेन 12 से 14 मई 2011 से सम्बंधित पत्रादि ( 5 पृष्ठ) आपको ई - मेल अथवा कौरिएर / डाक द्वारा प्रेषित किये गए थे I...
22 अप्रैल 2011: शुक्रवार तक 19:41 पंचमी कृष्णा, * 05:09 Moola तक, जब तक 14:55 योग Parigha, जब तक 8:10 करण Kaulava, जब तक 19:41 करण Taitula, RahuK: 8:53 GulikaK: YamaG, 7:23: 10:23-11:53 - 14:53-16:23, 18:47 पर सूर्योदय पर 5:52 सूर्यास्त, *, 23:32 पर Moonrise, 9:11 पर Moonset,) दिन में चंद्रमा धनु rashi me(पूरी) ============================================================= April 22, 2011:Friday, Krishna Panchami till 19:41, ...
--*धर्मशास्त्रों का सारभूत सन्देश**--**दान**--पवन तलहन जो विशिष्ट सत्पात्रों को दान देता है और जो कुछ अपने भोजन-आच्छादान में प्रतिदिन व्यवहत करता है, उसी को मैं उस व्यक्ति का वास्तविक धन या सम्पत्ति मानता हूँ, अन्यथा शेष सम्पत्ति तो किसी अन्य की है, जिसकी वह केवल रखवालीमात्र करता है! दान में जो कुछ देता है और जितने मात्र का वह स्वयं उपभोग...
आज यूही बैठे बैठे आंखे भर आई हैं कहीं से मां की याद दिल को छूने चली आई हैं वो आंचल से उसका मुंह पोछना और भाग कर गोदी मे उठाना रसोई से आती खुशबु आज फिर मुंह मी पानी ले आई है बसा लिया है अपना एक नया संसार बन गई हूं मैं खुद एक का अवतार फिर भी न जाने क्यों आज मन...
समर्पण "माँ" को--- ""माँ"" जिसका दुनिया में कोई विकल्प नहीं हे...माँ, जीवनदायनी माँ, धरती माँ, कर्मभूमि स्वरुप माँ एवं प्रत्येक स्त्री में देवी शक्ति को समर्पित यह समाचार पत्र उनके द्वारा मुझ पर किये गए उपकारों का आभार हे....उपकार अनंत--असीमित हे.... मेरी माँ तो सचमुच देवी स्वरूपा थी....में स्वयं को भाग्यशाली मनुष्य समझता हु, जो मुझे ऐसी माँ मिली..वेसे तो...
सप्तम में शनि: विवाह के लिए शुभ नहीं--पं. अशोक पँवार 'मयंक' --- (शनि-सूर्य की युति दांपत्य के लिए कलहकारी)--- सप्तम भाव लन्म कुण्डली में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। लग्न से सातवाँ भाव ही दाम्पत्य व विवाह-कारक माना गया है। इस भाव एवं इस भाव के स्वामी के साथ ग्रहों की स्थिति व दृष्टि संबंध के अनुसार उस जातक पर...
*****श्री विष्णु -स्तुति******-पवन तलहन  ** ************************* नमामि सर्वें सर्वे शमनन्तजमव्ययम! लोकधाम धराधारमप्रकाशमभेदिनम!! नारायणमणीयांसमशेषाणामणीयसाम! समस्तानां गरिष्ठं च भूरादीनां गरीयसाम!! यत्र सर्वें यात: सर्वमुत्पननं मतपुर:सरम! सर्वभूतश्च यो देव: पराणापि य: पर:!! पर: परस्मात पुरुषात परमात्मस्वरुपधृक! योगिभिश्चिन्त्यते योSसौ मुक्तिहेतोर्मुमुक्षुभि:!! सत्त्वादयो न संतीशे यत्र च प्राकृता गुणा:! स शुद्ध: सर्वशुद्धेभ्य: पुमानाद्या: प्रसीदत!! कलाकाष्ठामुहूर्तादिकालसूत्रस्य गोचरे! यस्य शक्तिर्न शुद्धस्य स नो विष्णु: प्रसीदतु!! प्रोच्यते परमेशो हि य: शुद्धोSप्युपचारत:! प्रसीदतु स नो विश्नुरात्मा य:...

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