ज्योतिष

मनचाहे वाहन सुख के लिए शिव को इन मंत्रों से चढ़ाएं चमेली के फूल----- जीवन में समय का सदुपयोग बहुत जरूरी है। सफलता और सुख के लिये सही वक्त पर की गई हर कोशिश निर्णायक और सुखद नतीजे लाती है, वरना मौका चूकने पर हाथ लगती है असफलता, निराशा और कुण्ठा। इसलिए वक्त के साथ गति का भी महत्व है,...
********राहु स्तोत्रम***--पवन तलहन *** राहुर्दानवमत्री च सिन्हिकाचित्तनंदन! अर्धकाय सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दन!!१!! रौद्रो रुद्राप्रियो दैत्य स्वर्भानुर्भानुभीतिद! ग्रहराज:सुधापायी राकातीथ्यामीलाषुक!!२!! काल दृष्टि: कालरूप: श्रीकंठ हृदयाश्रय:! विधुंतुद सैहिकेयो घोररूपो महाबला:!!३!! ग्रहपीड़ाकरो दंद्री रक्तनेत्रो महोदर:! पञ्चविंशतिनामानि स्मृत्वा राहुं सदा नर:!!४!! य: पठेन्महती पीड़ा तस्य चश्यती केवलम! आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रिय धान्यं पशूंस्तथा!!५!! ददाति राहुस्तस्मै य: पठेत स्तोत्रमुत्तमम! सततं पठेत यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर:!!६!! राहु के दुष्प्रभाव को मिटाने के लिये इस स्तोत्र का पाठ करें! राहु की दशा में और...
आज का पंचांग ओर राशिफल--(06 जून 2011, सोमवार) विक्रम संवत 2068---- June 6, 2011:Monday, Sukla Panchami till 0:18*, Pushyami till 15:27, Dhruva yoga till 18:41, Bava karana till 12:59, Balava karana till 0:18*, RahuK: 6:57* - 8:27*, GulikaK: 12:57* - 14:27*, YamaG: 9:57* - 11:27*, Sunrise at 5:27*, Sunset at 19:12, Moonrise at 9:21, Moonset at 23:09, Moon in Kark (whole day) ====================================================================== 6 जून, 2011:सोमवार, Sukla,...
IMPORTANCE OF MUHURAT ....in BABA RAMDEV'S ANSHAN(IN DELHI) 04-06-2011 ---- 07-00am .. place Delhi ... styagrah by Baba Ramdev started ... assccendant - gemini .. nakshatra - Ardra 3rd charan .. asscendant lord murcury 12th from its sign ... in Kritika 4th charan .... 3rd lord supposed to give energy to this event - Sun .. placed in 12th house ...in Rohini 3rd charan ... Ketu...
IS ASTROLOGY A SCIENCE..??? The Astrology is science which is based on something called as breath of Universe. As we breath 20 times a minute, Earth Breaths once in 24 hours This cycle is prlonged by Moon Going around the earth in 1 month... Again extended by the seasons the movement of earth around the sun The extension goes to the point of prececion of...
शीतला-शान्ति प्रयोग----वैदिक जगत--- क॰ “ॐ ह्रीं शीतलायै नमः” का १०० बार उच्चारण करते हुए श्वेत चन्दन-युक्त शत-पत्री-अर्क द्वारा शत-संख्यक अर्घ्य-दान करने से एक सप्ताह में शीतला-व्रण शान्त हो जाते हैं । ख॰ एक अन्य अव्यर्थ तथा शास्त्रीय प्रयोग निम्न प्रकार है - इस प्रयोग में पहले ‘कलश-स्थापन’ करे । फिर उसके ऊपर ‘यन्त्र’ की स्थापना करे । तब उस यन्त्र में “ह्रीं...
क्या और केसे करें सौभाग्य-प्राप्ति, वर-वधू-प्राप्ति प्रयोग---वैदिक जगत--- मन्त्रः- “ह्रीं क्लीं इन्द्राणि, सौभाग्य-देवते, मघ-वत्-प्रिये ! सौभाग्यं देहि मे स्वाहा ।।” विनियोगः- ॐ अस्य श्रीइन्द्राणी-मन्त्रस्य बृहस्पति ऋषिः, गायत्री छन्दः, श्रीइन्द्राणी देवता, सर्व-सौभाग्य-प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगः । ऋष्यादि-न्यासः- बृहस्पति ऋषये नमः शिरसि, गायत्री छन्दसे नमः मुखे, श्रीइन्द्राणी देवतायै नमः हृदि, सर्व-सौभाग्य-प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे । षडङ्ग-न्यास - कर-न्यास – अंग-न्यास - ह्रीं क्लीं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः इन्द्राणि तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा सौभाग्य-देवते मध्यमाभ्यां...
क्या करें नेत्र-निरोगता तथा नेत्र रोग निवारण के लिये--???--वैदिक जगत---- 1. चक्षुष्मती विद्या----- ॐ अस्याश्चाक्षुषीविद्याया अहिर्बुध्न्य ऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो देवता, ॐ बीजम्, नमः शक्तिः, स्वाहा कीलकम्, चक्षूरोगनिवृत्तये जपे विनियोगः। ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजः स्थिरो भव। मां पाहि पाहि। त्वरितं चक्षुरोगान् शमय शमय। मम जातरूपं तेजो दर्शय दर्शय। यथाहम् अन्धो न स्यां तथा कल्पय कल्पय। कल्याणं कुरू कुरू। यानि मम पूर्वजन्मोपरर्जितानि...
श्रीललिता-महा-लक्ष्म्याः स्तोत्रम्---वैदिक जगत--- वैष्णव-सम्प्रदाय के प्रसिद्ध ग्रन्थ “लक्ष्मी-नारायण-संहिता” से उद्धृत निम्न स्तोत्र शक्ति-साधना से सम्बन्धित है । वैष्णव ग्रन्थ होने के कारण इनकी साधना-प्रणाली ‘वैष्णवाचार’-परक है । ।। श्री नारायणी श्रीरुवाच ।। ललिताख्य-महा-लक्ष्म्या, नामान्यसंख्यानि वै । तथाप्यष्टोत्तर-शतं, स-पादं श्रावय प्रभो ! ।। हे प्रभो ! ललिता महा-लक्ष्मी के असंख्य नाम हैं । तथापि उनके एक सौ पैंतीस नामों को सुनाइए । ।। श्री पुरुषोत्तमोवाच...
सर्प-भय-नाशक मनसा-स्तोत्र---वैदिक जगत-- ध्यानः- चारु-चम्पक-वर्णाभां, सर्वांग-सु-मनोहराम् । नागेन्द्र-वाहिनीं देवीं, सर्व-विद्या-विशारदाम् ।। ।। मूल-स्तोत्र ।। ।। श्रीनारायण उवाच ।। नमः सिद्धि-स्वरुपायै, वरदायै नमो नमः । नमः कश्यप-कन्यायै, शंकरायै नमो नमः ।। बालानां रक्षण-कर्त्र्यै, नाग-देव्यै नमो नमः । नमः आस्तीक-मात्रे ते, जरत्-कार्व्यै नमो नमः ।। तपस्विन्यै च योगिन्यै, नाग-स्वस्रे नमो नमः । साध्व्यै तपस्या-रुपायै, शम्भु-शिष्ये च ते नमः ।। ।। फल-श्रुति ।। इति ते कथितं लक्ष्मि ! मनसाया स्तवं महत् ।...

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