कोई पीवे... कोई पीवे... कोई पीवे... कोई पीवे...
कोई पीवे संत सुझान, नाम रस मीठा रे ॥
राजवंश की रानी पी गयी, एक बूँद इस रस का।
हो भैया रे... एक बूँद इस रस का।
आधी रात महल तज चलदी, रहू न मनवा बस का।
हो भैया रे... रहू न मनवा बस का।
हो गिरिधर की दीवानी मीरा, ध्यान छूटा अप्यश का।
बन बन डोले श्याम...
राशि और सैक्स - कुम्भ राशि
Sign & Sex -Aquarius
जिस महिला के स्तन घड़े के समान विशाल स्तूपाकार, शक भरी बहुत पनियल आंखें हो तथा पुरूष का सिर घड़े के समान, दर्शन, ज्योतिष या गुप्त विद्याओं की बात कर रहा हो, नजरें बड़ी तीखी हो वह जातक कुम्भ राशि का होगा।सौरमण्डल में आकार घड़े (कुम्भ) के समान, माह फाल्गुन (फरवरी-मार्च),...
नाथ सम्प्रदाय का परिचय--खींवराज शर्मा
यह सम्प्रदाय भारत का परम प्राचीन, उदार, ऊँच-नीच की भावना से परे एंव अवधूत अथवा योगियों का सम्प्रदाय है।
इसका आरम्भ आदिनाथ शंकर से हुआ है और इसका वर्तमान रुप देने वाले योगाचार्य बालयति श्री गोरक्षनाथ भगवान शंकर के अवतार हुए है। इनके प्रादुर्भाव और अवसान का कोई लेख अब तक प्राप्त नही हुआ।
पद्म, स्कन्द शिव...
गोरखनाथ---खींवराज शर्मा
गोरखनाथ' या गोरक्षनाथ जी महाराज ११वी से १२वी शताब्दी के नाथ योगी थे। गुरु गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। गोरखनाथ जी का मन्दिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर मे स्थित है। गोरखनाथ के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पडा है।
गुरु गोरखनाथ जी के नाम से ही नेपाल...
वेदव्यास---खींवराज शर्मा
ऋषि वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे। वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं। अपने आश्रम से हस्तिनापुर की समस्त गतिविधियों की सूचना उन तक तो पहुंचती थी। वे उन घटनाओं पर अपना परामर्श भी देते थे। जब-जब अंतर्द्वंद्व और संकट की स्थिति आती थी, माता...
मनुस्मृति---खींवराज शर्मा
भारतीय पंरपरा में मनुस्मृति को (जो मानव-धर्म-शास्त्र, मनुसंहिता आदि नामों से प्रसिद्ध है) प्राचीनतम स्मृति एवं प्रमाणभूत शास्त्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। धर्मशास्त्रीय ग्रंथकारों के अतिरिक्त शंकराचार्य, शबरस्वामी जैसे दार्शनिक भी प्रमाणरूपेण इस ग्रंथ को उद्धृत करते हैं। परंपरानुसार यह स्मृति स्वायंभुव मनु द्वारा रचित है, वैवस्वत मनु या प्राचनेस मनु द्वारा नहीं। मनुस्मृति से यह...
आर्यभट्ट-(An introduction & very important article)--खींवराज शर्मा
आर्यभट्ट ṭ भारतीय गणित और भारतीय खगोल विज्ञान के शास्त्रीय युग के महान गणितज्ञखगोलविदों की पंक्ति में अग्रणी है.उनके सर्वाधिक प्रसिद्ध कार्य हैं ((४९९ ई., २३ वर्ष की आयु में) आर्यभटीय और आर्य -सिद्धांत .
हालांकि आर्यभट्ट के जन्म के वर्ष का आर्यभटीय में स्पष्ट उल्लेख है, उनके जन्म के वास्तविक स्थान के बारे...
*लघुरुद्र, महारुद्र और अतिरुद्र तथा उनका ज्ञान-हेतुत्व --पवन तलहन ******
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रुद्र्पाठके तीन मुख्य प्रभेदों का उल्लेख मेरुतंत्र में पाया जाता है------
रुद्रीभरेकादशभि: लघुरुद्र: प्रकीर्तित:!
अनेन सिक्तं येर्लिंग ते न भास्करम !!
रुद्रैकादशिनी के एक बार पारायण का नाम ही "लघुरूद्र" है! रूद्रपारायण इसी का नामांतर है! इस लघुरूद्र-विधि से लिंगाभिषेचन करनेवाला शीघ्र ही मुक्ति प्राप्त कर लेता है!
लघुरूद्र के ग्यारह आवृत्तियों के समाहार-पाठ...
गुरु बनाएगा बिगड़े काम, जब करेंगे यह उपाय--विकास नागपाल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु यानी बृहस्पति ग्रह शिक्षा का कारक होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु शुभ स्थिति में होता है वह उच्च शिक्षित होता है और जिसकी कुंडली में गुरु अशुभ होता है उसकी शिक्षा में बहुत बाधाएं आती हैं। इसके अलावा उसे जीवन भर मानसिक चिंता,...
मंगली दोष--विकास नागपाल
मंगल उष्ण प्रकृति का ग्रह है.इसे पाप ग्रह माना जाता है. विवाह और वैवाहिक जीवन में मंगल का अशुभ प्रभाव सबसे अधिक दिखाई देता है. मंगल दोष जिसे मंगली के नाम से जाना जाता है इसके कारण कई स्त्री और पुरूष आजीवन अविवाहित ही रह जाते हैं.इस दोष को गहराई से समझना आवश्यक है ताकि इसका भय...