नवग्रहों की जानकारी---सभी प्रकार के मंत्र,रत्न और धारण विधि---
नवग्रहों के मूल मंत्र-----
सूर्य : ॐ सूर्याय नम:
चन्द्र : ॐ चन्द्राय नम:
गुरू : ॐ गुरवे नम:
शुक्र : ॐ शुक्राय नम:
मंगल : ॐ भौमाय नम:
बुध : ॐ बुधाय नम:
शनि : ॐ शनये नम: अथवा ॐ शनिचराय नम:
राहु : ॐ राहवे नम:
केतु : ॐ केतवे नम:
नवग्रहों के बीज मंत्र------
सूर्य : ॐ...
नवग्रहों की जानकारी---सभी प्रकार के मंत्र,रत्न और धारण विधि---
नवग्रहों के मूल मंत्र-----
सूर्य : ॐ सूर्याय नम:
चन्द्र : ॐ चन्द्राय नम:
गुरू : ॐ गुरवे नम:
शुक्र : ॐ शुक्राय नम:
मंगल : ॐ भौमाय नम:
बुध : ॐ बुधाय नम:
शनि : ॐ शनये नम: अथवा ॐ शनिचराय नम:
राहु : ॐ राहवे नम:
केतु : ॐ केतवे नम:
नवग्रहों के बीज मंत्र------
सूर्य : ॐ...
जरुरी सूचना / इन्फोर्मशन/ जानकारी ---
आगामी 04 अगस्त ,2011 ( नागपंचमी के सुअवसर पर) मणि ज्योतिष एवं वास्तु अनुसन्धान केंद्र( पंडित शरद त्रिपाठी) द्वारा पित्र दोष और कालसर्प योग/ दोष निवारण हेतु एक दिवसीय अनुष्ठान का आयोजन रखा गया हें...
आयोजन स्थल--65 /6, साईट नंबर-एक(०१), किदवई नगर , कानपूर (उत्तर प्रदेश)..
शुल्क/ दक्षिणा---मात्र 3100 /- रुपये..
सुविधा--योग्य आचार्यों द्वारा सम्पूर्ण विधि विधान...
जरुरी सूचना / इन्फोर्मशन/ जानकारी ---
आगामी 04 अगस्त ,2011 ( नागपंचमी के सुअवसर पर) मणि ज्योतिष एवं वास्तु अनुसन्धान केंद्र( पंडित शरद त्रिपाठी) द्वारा पित्र दोष और कालसर्प योग/ दोष निवारण हेतु एक दिवसीय अनुष्ठान का आयोजन रखा गया हें...
आयोजन स्थल--65 /6, साईट नंबर-एक(०१), किदवई नगर , कानपूर (उत्तर प्रदेश)..
शुल्क/ दक्षिणा---मात्र 3100 /- रुपये..
सुविधा--योग्य आचार्यों द्वारा सम्पूर्ण विधि विधान...
देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्---
न मन्त्रं नो यन्त्रं तदापि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदापि च न जाने स्तुतिकथाः ।
न जाने मुद्रास्ते तदापि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ १ ॥
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ २ ॥
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः ।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो...
देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्---
न मन्त्रं नो यन्त्रं तदापि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदापि च न जाने स्तुतिकथाः ।
न जाने मुद्रास्ते तदापि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ १ ॥
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ २ ॥
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः ।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो...
देवी स्तुति---
जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। (जगजननी जय ! जय !!)
तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।
सत्य सनातन, सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥१॥ (जगजननी जय ! जय !!)
आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।
अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥२॥ (जगजननी जय ! जय !!)
अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी।
कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥३॥ (जगजननी जय ! जय !!)
तू विधिवधू, रमा, तू...
देवी स्तुति---
जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। (जगजननी जय ! जय !!)
तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।
सत्य सनातन, सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥१॥ (जगजननी जय ! जय !!)
आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।
अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥२॥ (जगजननी जय ! जय !!)
अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी।
कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥३॥ (जगजननी जय ! जय !!)
तू विधिवधू, रमा, तू...
जाने की वेद क्या है और क्या इसका रहस्य है---
।।ॐ।। वेद 'विद' शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है ज्ञान या जानना, ज्ञाता या जानने वाला; मानना नहीं और न ही मानने वाला। सिर्फ जानने वाला, जानकर जाना-परखा ज्ञान। अनुभूत सत्य। जाँचा-परखा मार्ग। इसी में संकलित है 'ब्रह्म वाक्य'।
वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं।...
जाने की वेद क्या है और क्या इसका रहस्य है---
।।ॐ।। वेद 'विद' शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है ज्ञान या जानना, ज्ञाता या जानने वाला; मानना नहीं और न ही मानने वाला। सिर्फ जानने वाला, जानकर जाना-परखा ज्ञान। अनुभूत सत्य। जाँचा-परखा मार्ग। इसी में संकलित है 'ब्रह्म वाक्य'।
वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं।...