जन्मकुंडली से रोग निदान -----
आयुर्वेद एवम ज्योतिश्शाश्त्र के अनुसार हमारे पूर्वार्जित पाप कर्मों के फल ही समय समय पर विभिन्न रोगों के रूप में हमारे शरीर में प्रगट होतें हैं । हरित सहिंता का यह श्लोक देखिये -
जन्मान्तर कृतं पापं व्याधिरुपेण बाधते |
तच्छान्तिरौषधैर्दानर्जपहोमसुरार्चनै : ||
अर्थात पूर्व जन्म में किया गया पाप कर्म ही व्याधि के रूप में हमारे शरीर...
राष्ट्र वंदना( देश भक्ति गीत)---
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम् ।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।। वन्दे मातरम् ।
कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।। वन्दे मातरम् ।
तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वं हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि
मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।। ३ ।। वन्दे मातरम् ।
त्वं हि...
राष्ट्र वंदना( देश भक्ति गीत)---
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम् ।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।। वन्दे मातरम् ।
कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।। वन्दे मातरम् ।
तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वं हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि
मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।। ३ ।। वन्दे मातरम् ।
त्वं हि...
मंगल एक - विचार अनेक....
मंगल की उत्पत्ति, परिचय एवं प्रभाव:- मंगल की माता का नाम पृथ्वी तथा पिता का नाम भगवान विष्णु हैं जो उनके पसिने की बूंद को पृथ्वी द्वारा धारण किये जाने से उत्पन्न हुआ । वामन पुराण में कथा हैं कि जब भगवान शिव ने अंधकासुन नामक दैत्य का वध किया तब उनके श्रम से उपजे...
मंगल एक - विचार अनेक....
मंगल की उत्पत्ति, परिचय एवं प्रभाव:- मंगल की माता का नाम पृथ्वी तथा पिता का नाम भगवान विष्णु हैं जो उनके पसिने की बूंद को पृथ्वी द्वारा धारण किये जाने से उत्पन्न हुआ । वामन पुराण में कथा हैं कि जब भगवान शिव ने अंधकासुन नामक दैत्य का वध किया तब उनके श्रम से उपजे...
दाम्पत्य सुख और मंगल ग्रह
ज्योतिष शास्त्रों में मंगलग्रह को पराक्रम का कारक माना गया है। सौर परिवार में इसे सेनापति का पद प्राप्त है।
सामान्यतः लोग मंगल के नाम से भयभीत रहते हैं। विशेषकर जब कुण्डली को मंगली या मंगलीक कह दिया जाता है। जबकी
मेरे अनुभव में मंगल जैसा मंगलकारी ग्रह कोई नहीं हो सकता। तभी तो कहा गया है-
धरणी...
दाम्पत्य सुख और मंगल ग्रह
ज्योतिष शास्त्रों में मंगलग्रह को पराक्रम का कारक माना गया है। सौर परिवार में इसे सेनापति का पद प्राप्त है।
सामान्यतः लोग मंगल के नाम से भयभीत रहते हैं। विशेषकर जब कुण्डली को मंगली या मंगलीक कह दिया जाता है। जबकी
मेरे अनुभव में मंगल जैसा मंगलकारी ग्रह कोई नहीं हो सकता। तभी तो कहा गया है-
धरणी...
क्या पितृ दोष का कारण मंगल हैं ????
क्या हैं पितृ दोष ? यदि हमारे पूर्वजों ने किसी प्रकार के अशुभ कार्य किये हो एंव अनैतिक रूप से धन एकत्र किया हो तो उसके दुष्परिणाम आने वाली पीढि़यों को भोगने पड़ते हैं, क्योंकि आगे आने वाली पीढि़यों के भी कुछ ऐसे अशुभ कर्म होते हैं कि वे उन्ही पूर्वजों...
क्या पितृ दोष का कारण मंगल हैं ????
क्या हैं पितृ दोष ? यदि हमारे पूर्वजों ने किसी प्रकार के अशुभ कार्य किये हो एंव अनैतिक रूप से धन एकत्र किया हो तो उसके दुष्परिणाम आने वाली पीढि़यों को भोगने पड़ते हैं, क्योंकि आगे आने वाली पीढि़यों के भी कुछ ऐसे अशुभ कर्म होते हैं कि वे उन्ही पूर्वजों...
कब करता हैं मंगल अमंगल ????
विवाह एक आवश्यक संस्कार हैं जिससे मानव को चारों पुरूषार्थो की प्राप्ति होती हैं लेकिन जब जातक का विवाह समय पर सम्पन्न नहीं होता। दाम्पत्य जीवन में तनाव रहता हैं तो मंगल दोष का प्रभाव मानते हैं। अष्टक वर्ग में शनि व मंगल दोनों को 39 शुभ बिन्दू प्राप्त हैं अर्थात मंगल व शनि...