ज्योतिष
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम – Sri AshtaLaxmi Stotram (Hindi Version) —
आचार्य पंडित दयानन्द - 0
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम – Sri AshtaLaxmi Stotram (Hindi Version)---
अदि लक्ष्मी---
सुमनसा वन्धिथा, सुन्धारी, माधवी,चन्द्र सहोधारी हेममये,
मुनिगना मंदिथा, मोक्ष प्रधयिनी,मंजुला भाषिणी, वेदा नुठे,
पंकजा वासिनी देवा सुपूजिथासद्गुना वर्षानी, संथियुठे,
जाया जाया हे मधुसूधना कामिनी अधिलक्ष्मी सदा पालय माम.
धान्य लक्ष्मी
ईओ कलि कल्मषा नासिनी, कामिनी,वैधिका रूपिणी, वेदा माये,
क्षीर समुध्भावा मंगला रूपिणी,मंत्र निवासिनी, मन्थ्रानुठे,
मंगला धयिनी, अम्बुजा वासिनी,देवा गणर्चिथा पदयुठे,
जाया जाया हे मधुसूधना कामिनी धान्यलक्ष्मी सदा पालय...
भगवन शिव शंकर की शाबर मंत्र द्वारा स्तुति / प्रार्थना---
ॐ स्थिराय नमः॥
ॐ स्थाणवे नमः॥
ॐ प्रभवे नमः॥
ॐ भीमाय नमः॥
ॐ प्रवराय नमः॥
ॐ वरदाय नमः॥
ॐ वराय नमः॥
ॐ सर्वात्मने नमः॥
ॐ सर्वविख्याताय नमः॥
ॐ सर्वस्मै नमः॥
ॐ सर्वकाराय नमः॥
ॐ भवाय नमः॥
ॐ जटिने नमः॥
ॐ चर्मिणे नमः॥
ॐ शिखण्डिने नमः॥ ॐ सर्वांङ्गाय नमः॥ ॐ सर्वभावाय नमः॥ ॐ हराय नमः॥ ॐ हरिणाक्षाय नमः॥ ॐ सर्वभूतहराय नमः
ॐ प्रभवे नमः॥ ॐ...
भगवन शिव शंकर की शाबर मंत्र द्वारा स्तुति / प्रार्थना---
ॐ स्थिराय नमः॥
ॐ स्थाणवे नमः॥
ॐ प्रभवे नमः॥
ॐ भीमाय नमः॥
ॐ प्रवराय नमः॥
ॐ वरदाय नमः॥
ॐ वराय नमः॥
ॐ सर्वात्मने नमः॥
ॐ सर्वविख्याताय नमः॥
ॐ सर्वस्मै नमः॥
ॐ सर्वकाराय नमः॥
ॐ भवाय नमः॥
ॐ जटिने नमः॥
ॐ चर्मिणे नमः॥
ॐ शिखण्डिने नमः॥ ॐ सर्वांङ्गाय नमः॥ ॐ सर्वभावाय नमः॥ ॐ हराय नमः॥ ॐ हरिणाक्षाय नमः॥ ॐ सर्वभूतहराय नमः
ॐ प्रभवे नमः॥ ॐ...
भगवन शिव शंकर स्तुति / प्रार्थना---
जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे
जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,
निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,
त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर...
भगवन शिव शंकर स्तुति / प्रार्थना---
जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे
जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,
निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,
त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर...
THE ""KAALA-SARPA-YOGA"":---
“Rahu-Ketu-madhye grahah sapta vighnadaa Kaalasarpa-samjnakaah/ suta-traasaadisakalaa dosah rogena pravaase maranam dhruvam//”
“Bhairava-stotra-paathena Kaalasarpam vinashyati/ Kaalasarpa-yogasya visam visaakta-jeevane bhayaavahaah// punah punar api shokam ca yauvane rogabhyadhikam dhruvam//
Poorvajanma-krutam paapam brahma-shaapaat suta-ksayah/
Kinchit pretaadi-dosam cha sukham saukhyam vinasyati//
If in a horoscope all the seven planets are between Raahu & Ketu in relation toany of the houses, then the Yoga, thus formed is called...
THE ""KAALA-SARPA-YOGA"":---
“Rahu-Ketu-madhye grahah sapta vighnadaa Kaalasarpa-samjnakaah/ suta-traasaadisakalaa dosah rogena pravaase maranam dhruvam//”
“Bhairava-stotra-paathena Kaalasarpam vinashyati/ Kaalasarpa-yogasya visam visaakta-jeevane bhayaavahaah// punah punar api shokam ca yauvane rogabhyadhikam dhruvam//
Poorvajanma-krutam paapam brahma-shaapaat suta-ksayah/
Kinchit pretaadi-dosam cha sukham saukhyam vinasyati//
If in a horoscope all the seven planets are between Raahu & Ketu in relation toany of the houses, then the Yoga, thus formed is called...
साढ़ेसाती और ढैया की विवेचना ----
सृश्टि के प्रारंम्भ मे शनि अत्यन्त दीन-हीन और संसार मे उपेक्षित थे। नवग्रह परिवार मे शनि को भृत्य (नौकर) का स्थान प्राप्त था। वैदिक काल मे सभी मनुश्य सूर्य की उपासना करते थे। नैसर्गिक पाप प्रकृति के कारण शनि कोई ख्याति नही थी। राजपुत्र होने पर भी उनका कोई सम्मान था, इस...
साढ़ेसाती और ढैया की विवेचना ----
सृश्टि के प्रारंम्भ मे शनि अत्यन्त दीन-हीन और संसार मे उपेक्षित थे। नवग्रह परिवार मे शनि को भृत्य (नौकर) का स्थान प्राप्त था। वैदिक काल मे सभी मनुश्य सूर्य की उपासना करते थे। नैसर्गिक पाप प्रकृति के कारण शनि कोई ख्याति नही थी। राजपुत्र होने पर भी उनका कोई सम्मान था, इस...
रूद्राक्ष चिकित्सा ----
रूद्राक्ष ( रूद्र मतलब शिव, अक्ष मतलब आंसु इसलिए रूद्र अधिक अक्ष मतलब शिव के आंसु) विज्ञान में उसे Elaeocarpus Ganitras Roxb के नाम से जाना जाता हैं, जो एक तरह का (फल) बीज हैं । जो कि एशिया खंड के कुछ भागों में जैसे की इंडोनेशिया, जावा, मलेशिया, भारत, नेपाल, श्रीलंका और अंदमान-निकोबार में पाये...