मकान की सीढी----
वास्तु के द्वारा मकान बनाने पर सीढी का उपयोग दूसरी या तीसरी मंजिल पर जाने अथवा छत पर जाने के लिये किया जाता है,अधिकतर मकानों में सीढी लेंटर से ही बना ली जाती है और बाद में उसे ईंटों या चौकोर आयताकार पत्थरों के टुकडों से बना लिया जाता है। अधिकतर मकानों में लकडी की सीढी भी...
पानी और हमारा घर----
घर को बाद में बनवाया जाता है पहले पानी की व्यवस्था देखी जाती है। आजकल कम से कम लोग ही प्राकृतिक पानी का उपयोग करते है पानी अधिकतर या तो सरकारी स्तोत्रों से सुलभ होता है या फ़िर अपने द्वारा ही बोरिंग आदि करवाने से प्राप्त होता है। भारत में पानी के लिये हिमाचल काश्मीर और...
वास्तु और एक्वेरियम (मत्स्य ऊर्जा)---
मछली को हमेशा से शुभ माना गया है। भाग्य के अनुसार जब किसी दिशा से भाग्य की प्राप्ति नही होती है और लगता है कि भाग्य रुक गया है तो उस दिशा में कांच के बने एक्वेरियम को स्थापित किया जाता है और अपनी राशि के अनुसार विभिन्न प्रकार की मछलियों को पाला जाता है।...
चित्त भ्रम योग---
सभी सुख है लेकिन दिमाग में शांति नही है,भोजन भरपेट किया है,सोने के लिये बढिया सर्दी गर्मी से बचने का साधन है,सन्तान ठीक है,घर में कोई आफ़त भी नही है लेकिन दिमाग अशान्त है,रोजी रोजगार भी सही है,धन की भी कोई कमी नही है,हितू नातेदार रिस्तेदार सभी माफ़िक है,कोई बुराई नही कर रहा है लेकिन दिमाग फ़िर...
राहु मंगल का योग----
मंगल शक्ति का दाता है,और राहु असीमितिता का कारक है,मंगल की गिनती की जा सकती है लेकिन राहु की गिनती नही की जा सकती है।राहु अनन्त आकाश की ऊंचाई में ले जाने वाला है और मंगल केवल तकनीक के लिये माना जाता है,हिम्मत को देता है,कन्ट्रोल पावर के लिये जाना जाता है।
अगर मंगल को राहु के...
सन्तान योग---
किस मनुष्य की कैसी सन्तान होती इस्का पता भी लगाया जा सकता है। जन्म कुण्डली में चलित नवमांश कारकांश के द्वारा जन्म योग है या नही इसका पता लगाना तो असंभव नही है तो कठिन अवश्य है।
सन्तान सुख का विचार करने के लिये त्रिकोण यानी पहले पांचवे और नवे भाव तथा दूसरे ग्यारहवे भाव से सन्तान सम्बन्धी विचार...
हीन भावना को समाप्त करने का उपाय----
जगदीश पुर जिला सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश के एक पाण्डेय जी मेरे पास ज्योतिष के विषय में आते है,उनकी पत्नी भी उनके साथ आती है,पहले वे एक प्राइवेट फ़ैक्टरी में काम करते थे,तन्खाह भी बहुत कम थी,ऊपर से दो बच्चों का पालन पोषण कमरे का किराया सभी कुछ छोटी सी पगार में ही पूरा...
मूल संज्ञक नक्षत्र और उनका प्रभाव---
ज्येष्ठा आश्लेषा और रेवती,मूल मघा और अश्विनी यह नक्षत्र मूल नक्षत्र कहलाये जाते है,इन नक्षत्रों के अन्दर पैदा होने वाला जातक किसी न किसी प्रकार से पीडित होता है,ज्येष्ठा के मामले में कहा जाता है,कि अगर इन नक्षत्र को शांत नही करवाया गया तो यह जातक को तुरत सात महिने के अन्दर से दुष्प्रभाव...
सूर्य-साधना---
ज्योतिष की आंख सूर्य है,सूर्य साधना करने के बाद ही ज्योतिष का अंतरंग ज्ञान प्राप्त हो सकता है,सूर्य साधना कैसे की जाती है इसका विवेचन करने के लिये प्रयास किया है,किसी भी भूल को विद्वजन क्षमा करने की कृपा करेंगे और सुधार की प्रेरणा देंगे।
सूर्य मंत्र--
"ऊँ घृणि: सूर्य आदित्याय: नम:" यह सूर्य का मंत्र है।
सूर्य का पूजन यंत्र--
सूर्य यंत्र...
शकुन शास्त्र---
ज्योतिष सीखने के लिये सबसे पहले भारतीय ज्योतिष के अन्दर शकुन शास्त्र को जानना जरूरी है,क्योंकि भेद को जाने बिना भाव का अर्थ समझ में नही आता है,तरीके से सीखा गया काम हर जगह फ़लदायी होता है,अक्सर ज्योतिषी से पूंछा जाता है कि हमे यात्रा करनी है,या हमे अमुक काम करना है,मुहूर्त बतादो,अब पूरी ज्योतिष की जानकारी तो...