हिंदी का राष्ट्रिय गीत—स्वामी कल्याण चन्द्र “त्रिखंडीय”, खारी बावली ,दिल्ली….
माँ !हिंदी तुम्हें प्रणाम!
माँ ! हिंदी तुम्हें प्रणाम!
कोटि-कोटि कंठों की भाषा,
कोटि भावनाओ की आशा ,
भारत माँ की भालचंद्र की-
बिंदी तुम्हें प्रणाम!
माँ हिंदी तुम्हें प्रणाम!!
क्या गुजरती क्या बंगाली,
क्या उड़िया क्या राजस्थानी,
क्या मलियालम क्या पंजाबी.
तुम सब भाषाओ की रानी,
देव दिव्य वाणी की बेटी-
हिंदी तुम्हें प्रणाम!
माँ !हिंदी तुम्हें प्रणाम!!
तुम्ही मराठी तुम्ही बिहारी,
तुम हरियाणी तुम ढूंडयारी ,
सकल विश्व भाषा की रानी ,
ब्रजभाषा घनश्याम दुलारी,
सरल सुधामय विश्व मोहिनी!
तेरे अगणित नाम!
माँ !हिंदी तुम्हें प्रणाम!!
तुम अखंड हो तुम प्रचंड हो, तुम भारत का मेरुदंड हो,
विश्व भारती मनोहारिणी, क्यों न हमें तुम पर घमंड हो,
तेरे एक-एक अक्षर की, तेरी एक-एक पंक्ति की-
चिन्धी तुम्हें प्रणाम! माँ ! हिंदी तुम्हें प्रणाम!!

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