CHANDER SHUKAR YOG—-
मिथुन लग्न में शुक्र पंचम विद्या, बुद्धि, सन्तान, मनोरंजन व कला के भाव में शुक्र की राशि तुला होगी वहीं द्वादश भाव में शुक्र की वृषभ राशि होगी जो बाहरी संबंध, विदेश, वायुयान की यात्रा का भाव है। चन्द्र इस लग्न में द्वितीय भाव का स्वामी होगा जो धन, कुटुम्ब, वाणी, बचत व मारक भाव होगा।
जब इन दो ग्रहों की युति द्वादश भाव में हो तो ऐसा जातक विदेश में रहता है या अपने ही देश में कही दूर रहना पड़ सकता है। ऐसे जातक के बाहरी संबंध उत्तम होंगे, यात्राओं का योग बनता रहेगा।
इस भाव में शुक्र स्वराशि का व चन्द्र उच्च का होगा। अतः धन का लाभ बाहर रहकर ही उत्तम मिल पाएगा। शुक्र-चन्द्र द्वितीय भाव में हो तो चन्द्र स्वराशि का व शुक्र शत्रु राशि का होगा। ऐसी स्थिति वाला जातक धन, कुटुम्ब से लाभान्वित होगा साथ ही उसकी आवाज मधुर होगी व धन की बचत भी होगी।
पंचम भाव में शुक्र-चन्द्र की युति हो तो ऐसा जातक विद्या के क्षेत्र में उत्तम सफलता पाने वाला होगा। इसे मनोरंजन के क्षेत्र में भी अच्छी सफलता मिल सकती है। संतान में लड़कियाँ अधिक रह सकती है।
शुक्र-चन्द्र की युति दशम भाव में हो तो शुक्र उच्च का होगा व चन्द्र-गुरु की राशि में मित्र का होने से कला के क्षेत्र में, इंजिनियर में, सौन्दर्य प्रसाधन के व्यापार में, मिष्ठान्न के व्यापार में अच्छी सफलता मिल सकती हैं। ऐसे जातक को धन कुटुम्ब का सहयोग भी मिलता रहेगा।
शुक्र-चन्द्र की युति तृतीय या चतुर्थ भाव में हो तो इन्हे सफलता के मार्ग में अनेक बाधाओं का सामना भी करना पड़ता है। अच्छा-भला कारोबार भी चौपट हो जाता है। पारिवारिक दृष्टि से भी इसकी युति शुभ नहीं कही जा सकती।
अष्टम भाव में इनकी युति उस जातक को अनैतिक कार्य में लगा सकती है। ऐसे जातक के बाहरी संबंध अधिक होंगे। शुक्र-चन्द्र की युति सप्तम में हो तो उस जातक के एक से अधिक प्रेम संबंध हो सकते है। इनकी युति अष्टम में हो तो विद्या के मार्ग में बाधा आती है व पढ़ाई पूरी होने में रूकावटों का सामना करना पड़ता है। फिर भी ऐसा जातक अधिक सेक्सी होता है।
इन ग्रहों की युति नवम भाव में हो तो विद्या में भाग्य का साथ मिलकर विद्या उत्तम होगी। यदि शनि पंचम में हुआ तो पौ बारह हुआ समझो। एकादश में युति होने से विद्या तो होगी लेकिन सहज नहीं होगी। इन्हे चाहिए की ये हीरा .. सेन्ट का चाँदी में बनवाकर शुक्रवार को लाभ में धारण करें, मोती ना पहनें।