वास्तुदोष और उसके परिणाम————-
दक्षिण नैॠत्य द्वार – घर की स्त्री को हानि
उत्तर- ईशान का द्वार – पूर्ण सुख व उन्नति का आधार
पश्चिम का द्वार – सुख व कुशलता का द्वार
पूर्व का द्वार -शुभता की मुख्य भेंट
उत्तर में द्वार बनायो – सुख को भी मार्ग दिखाओ
पूर्व की ऊँची दीवार – स्वास्थ्य सदा रहे खराब
पश्चिम में टेडी दीवार – अनिष्ट की लगे कतार
ईशान कमरे का पूर्वद्वार – सुख सम्पति अपार
ईशान कमरे का उत्तर द्वार – बरसे धन बारम्बार अपार
पूर्व पश्चिम सीढ़ी हो – जग में राजा समान जियो
पूर्व को अलमारी होना – अपनी सारी सम्पति खोना.
दक्षिण में रखी अलमारी – दौलत आने की बारी
पश्चिम में हो जब आँगन – पूर्व में भी अवश्य हो आँगन
दक्षिण की ऊँची दीवार – घर में सुख रहे अपार
पश्चिम का नाला – सुख सम्पति हरने वाला
पूर्व का स्नानघर – सुख सम्पति भरे अपार
बच्चे जब उत्तर में सोयें -आशाओं के दीप जलाएं
दम्पति ईशान में सोयें -विकलांग बच्चा अवश्य पायें
उत्तर सर कर नहीं सोना -स्वास्थ्य नहीं है खोना
सेप्टिक टैंक दक्षिण में -जीवन हो संकट में
घर के ईशान में अलमारी -दरिद्र से भर लो घर भारी
दक्षिण का उच्च चबूतरा -दौलत से आये हजारों जेवर
पूर्व का उच्च चबूतरा -पुरुष हमेशा खाए फटकार
मुख्यद्वार पर माँ दुर्गा विराजे -घर को उपरी हवा सदा त्यागे
दम्पति ईशान में सोना – विकलांग संतान होना
उत्तर सर करके नही सोना – स्वास्थ्य नहीं है खोना .
पश्चिम में सेप्टिंक टैंक होना-घर में रोगों का होना
पश्चिम में तुलसी लगाओ -महिला का स्वास्थ्य बनाओ
बाथरूम में खुला नमक रखो -बीमारी को दूर भगाओ
सीडी मुड़े बाएँ से दायें -भाग्य भी चढ़े आसानी से
मुख्य द्वार के सामने हो कोई कोना -घर में सुख न होना…………