>गुरु-राहु युति यानि चाण्डाल योग——

जन्म पत्रिका के एक ही भाव में जब गुरु राहु स्थित हो तो चाण्डाल योग निर्मित होता है। ऐसे योग वाला जातक उदण्ड प्र$कृति का होता है। राहु यदि बलिष्ठ हो तो जातक अपने गुरुका अपमान करने वाला होता है। वह गुरु के कार्य को अपना बना कर बताता है। गुरु की संपत्ति हड़पने में भी उसे परहेज नही होता। वहीं यदि गुरु ग्रह राहु सेे ज्यादा बलिष्ठ हो तो वह शिष्य अपने गुरु के सानिध्य में तो रहता परंतु अपने गुरु के ज्ञान को ग्रहण नहीं कर पाता। गुरु भी अपने शिष्य को अच्छे से प्रशिक्षित नहीं कर पाता।चाण्डाल योग वाला जातक अपने से बड़ों का अपमान करने वाला, उनकी बातों को टालने वाला, वाचाल होता है। क्या करें उपाय चाण्डाल योग निर्मुलन के लिए :-

१- गाय को भोजन दें। २- हनुमान चालीसा का पाठ करें। ३- वृद्धों का सम्मान करें ।

४- माता पिता का आदर करें। ५- चन्दन का तिलक लगाएं।
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बुद्धि भ्रष्ट करती है गुरु-राहु की य‍ुति—-

गुरु-राहु की य‍ुति को चांडाल योग के नाम से जाना जाता है। सामान्यत: यह योग अच्छा नहीं माना जाता। जिस भाव में फलीभूत होता है, उस भाव के शुभ फलों की कमी करता है। यदि मूल जन्म कुंडली में गुरु लग्न, पंचम, सप्तम, नवम या दशम भाव का स्वामी होकर चांडाल योग बनाता हो तो ऐसे व्यक्तियों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। जीवन में कई बार गलत निर्णयों से नुकसान उठाना पड़ता है। पद-प्रतिष्ठा को भी धक्का लगने की आशंका रहती है।

वास्तव में गुरु ज्ञान का ग्रह है, बुद्धि का दाता है। जब यह नीच का हो जाता है तो ज्ञान में कमी लाता है। बुद्धि को क्षीण बना देता है। राहु छाया ग्रह है जो भ्रम, संदेह, शक, चालबाजी का कारक है। नीच का गुरु अपनी शुभता को खो देता है। उस पर राहु की युति इसे और भी निर्बल बनाती है। राहु मकर राशि में मित्र का ही माना जाता है (शनिवत राहु) अत: यह बुद्धि भ्रष्ट करता है। निरंतर भ्रम-संदेह की स्थिति बनाए रखता है तथा गलत निर्णयों की ओर अग्रसर करता है।

यदि मूल कुंडली या गोचर कुंडली इस योग के प्रभाव में हो तो निम्न उपाय कारगर सिद्ध हो सकते हैं-
.. योग्य गुरु की शरण में जाएँ, उसकी सेवा करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। स्वयं हल्दी और केसर का टीका लगाएँ।
.. निर्धन विद्यार्थियों को अध्ययन में सहायता करें।
.. निर्णय लेते समय बड़ों की राय लें।
4. वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यवहार में सामाजिकता लाएँ।
5. खुलकर हँसे, प्रसन्न रहें।
6. गणेशजी और देवी सरस्वती की उपासना और मंत्र जाप करें।
7. बरगद के वृक्ष में कच्चा दूध डालें, केले का पूजन करें, गाय की सेवा करें।
8. राहु का जप-दान करें।
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क्या है दमरुका योग?

जन्म पत्रिका के यह सबसे असहनीय योगों में से एक है। प्राय: इस योग की चर्चा नहीं की जाती। यह एक ऐसा योग है, जिसको जानने के बाद व्यक्ति भयभीत हो जाता है। इसलिए प्राय: इस योग की सार्वजनिक चर्चा नहीं की जाती।इस योग में जन्म पत्रिका का अष्टम भाव कारक होता है। पत्रिका के अष्टम भाव में यदि मंगल नीच का साथ ही शनि की युति हो तो दमरुका योग होता है। द्वितीय भाव मे भी अशुभ ग्रह हो तथा अष्टम में शनि, मंगल, राहु कोई ग्रह हो तो दमरुका योग होता है। इस योग में जातक की मृत्यु बड़ी दर्दनाक होती है। मुख्यत: वह आग में दम घुटने से या पानी में दम घुटने पर या गला घुटने से मरता है। यदि अष्टम मंगल हो तथा उस पर सूर्य की दृष्टि पड़ रही हो तो सड़क दुर्घटना में मृत्यु का योग बनता है।नवांश कुंडली में भी यही स्थिति बनी हो तथा सूर्य की महादशा चल रही हो तो भी सड़क दुर्घटना का भय होता है।बचने का उपाय क्या ?

महामृत्युंजय का जाप।

शिवाभिषेक एवं पूजन।

ऊँ नम:
शिवाय का सतत जाप।

महाकाल का अभिषेक।

1 COMMENT

    • एक निवेदन / प्रार्थना —-
      आर्थिक सहयोग कि अपेक्षा के साथ…
      धन्यवाद..प्रतीक्षारत…
      आपका अपना —
      पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री ..
      . —.9669.90067 (M.P.)
      —. (राजस्थान )

  1. चंद्र- केतु और राहु – शुक्र युती के बारे मे जानकारी दिजीए …!

    • आदरणीय महोदय …
      आपका..आभार…धन्यवाद….आपके सवाल / प्रश्न के लिए
      श्रीमान जी,
      में इस प्रकार की परामर्श सेवाओं द्वारा प्राप्त अपनी फ़ीस/दक्षिणा (धन या पैसे ) का प्रयोग वृन्दावन (मथुरा-उत्तरप्रदेश) में (सस्ंकृत छात्रावास के नाम से,अटल्ला चुंगी के पास )मेरे सहयोग द्वारा संचालित एक वेद विद्यालय के लिए करता हूँ जहाँ इस समय ..2 बच्चे/विद्यार्थी निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं..
      —देखें वेबसाईट—http://www.vedicshiksha.com/
      –आप स्वयं समझदार हैं की कैसे उन सभी का खर्च चलता होगा..???
      –उनकी किताबें,आवास,भोजन,चाय-नाश्ता,बिजली-पानी का बिल, किरणे का सामान,अध्यापकों का मासिक भुगतान आदि में कितना खर्च आता होगा…
      –आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं..
      —में तो अपने जीवन में लगभग 48 दफा रक्तदान कर चूका हूँ तथा अपनी आँखें-किडनी-हार्ट..आदि भी दान कर चूका हूँ…
      –मुझे तो केवल अब तो मोक्ष चाहिए…
      –अब आप ही बताइये की में अपनी फ़ीस/दक्षिणा लेकर गलत करता हूँ..???
      जरा सोचिये और सहयोग कीजियेगा..
      पुनः धन्यवाद..
      आप का अपना ———
      पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
      राष्ट्रिय महासचिव-भगवान परशुराम राष्ट्रिय पंडित परिषद्
      मोब. .9669290067 (मध्य प्रदेश) एवं . (राजस्थान)

    • आदरणीय महोदय …
      आपका..आभार…धन्यवाद….आपके सवाल / प्रश्न के लिए
      श्रीमान जी,
      में इस प्रकार की परामर्श सेवाओं द्वारा प्राप्त अपनी फ़ीस/दक्षिणा (धन या पैसे ) का प्रयोग वृन्दावन (मथुरा-उत्तरप्रदेश) में (सस्ंकृत छात्रावास के नाम से,अटल्ला चुंगी के पास )मेरे सहयोग द्वारा संचालित एक वेद विद्यालय के लिए करता हूँ जहाँ इस समय ..2 बच्चे/विद्यार्थी निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं..
      —देखें वेबसाईट—http://www.vedicshiksha.com/
      –आप स्वयं समझदार हैं की कैसे उन सभी का खर्च चलता होगा..???
      –उनकी किताबें,आवास,भोजन,चाय-नाश्ता,बिजली-पानी का बिल, किरणे का सामान,अध्यापकों का मासिक भुगतान आदि में कितना खर्च आता होगा…
      –आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं..
      —में तो अपने जीवन में लगभग 48 दफा रक्तदान कर चूका हूँ तथा अपनी आँखें-किडनी-हार्ट..आदि भी दान कर चूका हूँ…
      –मुझे तो केवल अब तो मोक्ष चाहिए…
      –अब आप ही बताइये की में अपनी फ़ीस/दक्षिणा लेकर गलत करता हूँ..???
      जरा सोचिये और सहयोग कीजियेगा..
      पुनः धन्यवाद..
      आप का अपना ———
      पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
      राष्ट्रिय महासचिव-भगवान परशुराम राष्ट्रिय पंडित परिषद्
      मोब. .9669290067 (मध्य प्रदेश) एवं . (राजस्थान)

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