श्री सत्यनारायण पूजन प्रारंभ :—-
श्री सत्यनारायण व्रत-पूजनकर्ता पूर्णिमा या संक्रांति के दिन स्नान करके कोरे अथवा धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनें, माथे पर तिलक लगाएँ और शुभ मुहूर्त में पूजन शुरू करें। इस हेतु शुभ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके सत्यनारायण भगवान का पूजन करें। इसके पश्चात् सत्यनारायण व्रत कथा का वाचन अथवा श्रवण करें।
अपनी जानकारी हेतु पूजन शुरू करने के पूर्व प्रस्तुत पद्धति एक बार जरूर पढ़ लें।
पवित्रकरण :
बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अनामिका से निम्न मंत्र बोलते हुए अपने ऊपर एवं पूजन सामग्री पर जल छिड़कें-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥
पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं ।
आसन :
निम्न मंत्र से अपने आसन पर उपरोक्त तरह से जल छिड़कें-
ॐ पृथ्वी त्वया घता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता ।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु च आसनम् ॥
ग्रंथि बंधन :
यदि यजमान सपत्नीक बैठ रहे हों तो निम्न मंत्र के पाठ से ग्रंथि बंधन या गठजोड़ा करें-
ॐ यदाबध्नन दाक्षायणा हिरण्य(गुं)शतानीकाय सुमनस्यमानाः ।
तन्म आ बन्धामि शत शारदायायुष्यंजरदष्टियर्थासम् ॥
आचमन :
इसके बाद दाहिने हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें व तीन बार कहें-
.. ॐ केशवाय नमः स्वाहा,
.. ॐ नारायणाय नमः स्वाहा,
.. माधवाय नमः स्वाहा ।
यह बोलकर हाथ धो लें-
ॐ गोविन्दाय नमः हस्तं प्रक्षालयामि
पूजन सामग्री–
धूप बत्ती (अगरबत्ती),कपूर,केसर,चंदन,यज्ञोपवीत 5,कुंकु,चावल,अबीर,गुलाल, अभ्रक,हल्दी,आभूषण,नाड़ा,
रुई,रोली, सिंदूर,सुपारी, पान के पत्ते,पुष्पमाला, कमलगट्टे,धनिया खड़ा,सप्तमृत्तिका,सप्तधान्य,कुशा व दूर्वा,
पंच मेवा,गंगाजल,शहद (मधु),शकर,घृत (शुद्ध घी),दही,दूध,ऋतुफल,नैवेद्य या मिष्ठान्न(पेड़ा, मालपुए इत्यादि),
इलायची (छोटी),लौंग,मौली,इत्र की शीशी,सिंहासन (चौकी, आसन),पंच पल्लव,बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते),
पंचामृत,तुलसी दल,केले के पत्ते,(यदि उपलब्ध हों तो खंभे सहित)
औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि),श्री सत्यनारायणजी का पाना(अथवा मूर्ति)
गणेशजी की मूर्ति,अम्बिका की मूर्ति,सत्यनारायण को अर्पित करने हेतु वस्त्र,गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र,अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र,
जल कलश (तांबे या मिट्टी का),सफेद कपड़ा (आधा मीटर),लाल कपड़ा (आधा मीटर),पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार),दीपक,बड़े दीपक के लिए तेल,बन्दनवार,
ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा),श्रीफल (नारियल),धान्य (चावल, गेहूँ),पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल),एक नई थैली में हल्दी की गाँठ,
खड़ा धनिया व दूर्वा आदि,अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र……….
श्री सत्यनारायण पूजन प्रारंभ
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ध्यान :
हाथ में अक्षत लेकर श्री सत्यनारायण भगवान का ध्यान करें-
ॐ सत्यव्रतं सत्यपरं त्रिसत्यं सत्यस्य योनिं निहितंच सत्ये ।
सत्यस्य सत्यामृत सत्यनेत्रं सत्यात्मकं त्वां शरणं प्रपन्नाः ॥
ध्यायेत्सत्यं गुणातीतं गुणत्रय समन्वितम् ।
लोकनाथं त्रिलोकेशं कौस्तुभरणं हरिम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, ध्यानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ।
(पुष्प अर्पित करें।)
आह्वान :
आगच्छ भगवन्! देव! स्थाने चात्र स्थिरो भव ।
यावत् पूजां करिष्येऽहं तावत् त्वं संनिधौ भव ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, श्री सत्यनारायणाय आवाहयामि, आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ।
(आह्वान के लिए पुष्प अर्पित करें।)
आसन :
अनेक रत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम् ।
भवितं हेममयं दिव्यम् आसनं प्रति गृह्याताम ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, आसनं समर्पयामि ।
(पुष्प अर्पित करें।)
पाद्य :
नारायण नमस्तेऽतुनरकार्णवतारक ।
पाद्यं गृहाण देवेश मम सौख्यं विवर्धय ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, पादयोः पाद्यं समर्पयामि ।
(पाद्य अर्पित करें।)
अर्घ्य :
गन्धपुष्पाक्षतैर्युक्तमर्घ्यं सम्पादितं मया ।
गृहाण भगवन् नारायण प्रसन्नो वरदो भव ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, हस्तयोरर्घ्यं समर्पयामि ।
आचमन :
कर्पूरेण सुगन्धेन वासितं स्वादु शीतलम् ।
तोयमाचमनीयार्थं गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
(कर्पूर से सुवासित जल चढ़ाएँ।)
स्नान :
मन्दाकिन्याः समानीतैः कर्पूरागुरू वासितैः ।
स्नानं कुर्वन्तु देवेशा सलिलैश्च सुगन्धिभिः ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, स्नानीयं जलं समर्पयामि ।
(स्नानीय जल अर्पित करें।)
स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
(‘ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः’ बोलकर आचमन हेतु जल दें।)
दुग्ध स्नान :
कामधेनुसमुत्पन्नां सर्वेषां जीवनं परम् ।
पावनं यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, पयः स्नानं समर्पयामि ।
पयः स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(कच्चे दूध से स्नान कराएँ, पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)
दधिस्नान :
पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम् ।
दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, दधिस्नानं समर्पयामि।
दधिस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(दधि से स्नान कराएँ, फिर शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)
घृत स्नान :
नवनीतसमुत्पन्नं सर्वसंतोषकारकम् ।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, घृतस्नानं समर्पयामि ।
घृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(घृत स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)
मधु स्नान :
पुष्परेणुसमुत्पन्नं सुस्वादु मधुरं मधु ।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, मधुस्नानं समर्पयामि ।
मधुस्नानन्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(शहद स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)
शर्करा स्नान :
इक्षुसारसमुद्भूतां शर्करां पुष्टिदां शुभाम् ।
मलापहारिकां दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, शर्करास्नानं समर्पयामि, शर्करा स्नानान्ते पुनः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ।
(शर्करा स्नान कराकर जल से स्नान कराएँ।)
पंचामृत स्नान :
दूध, दही, घी शक्कर एवं शहद मिलाकर पंचामृत बनाएँ व निम्न मंत्र से स्नान कराएँ।
पयो दधि घृतं चैव मधुशर्करयान्वितम् ।
पंचामृतं मयाऽऽनीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, पंचामृतस्नानं समर्पयामि, पंचामृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नाश्री सत्यनारायण पूजन प्रारंभ
गन्धोदक स्नान :
मलयाचलसम्भूतं चन्दनेन विमिश्रितम् ।
इदं गन्धोदकस्नानं कुंकुमाक्त्तं नु गृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, गन्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(चंदनयुक्त जल से स्नान कराएँ।)
शुद्धोदक स्नान :
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं तुभ्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(गंगाजल अथवा शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)
आचमन :
पश्चात ‘शुद्धोदकस्नानांते आचमनीयं जलं समर्पयामि’ से आचमन कराएँ।
वस्त्र :
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् ।
देहालंकरणं वस्त्रं धृत्वा शांतिं प्रयच्छ मे ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, वस्त्रं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि ।
(वस्त्र अर्पित करें, आचमनीय जल दें।)
उपवस्त्र :
कंचुकीमुपवस्त्रं च नानारत्नैः समन्वितम् ।
गृहाण त्वं मया दत्तं मंगले जगदीश्वर ॥
ॐ श्रीसत्यनारायणाय नमः, उपवस्त्रं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि ।
(उपवस्त्र चढ़ाएँ, आचमन के लिए जल दें।)
यज्ञोपवीत :
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् ।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, यज्ञोपवीतं समर्पयामि ।
आचमन :
पश्चात ‘यज्ञोपवीतांते आचमनीयं जलं समर्पयामि’ से आचमन कराएँ।
चन्दन :
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम् ।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, गन्धं समर्पयामि ।
(केसर मिश्रित चन्दन अर्पित करें।)
नं समर्पयामि ।
(पंचामृत स्नान व जल से स्नान कराएँ।)
अक्षत :
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः ।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, अक्षतान् समर्पयामि ।
(कुंकुम युक्त अक्षत चढ़ाएँ। बिना टूटे चावल सात बार धोए हुए अक्षत कहलाते हैं)
पुष्पमाला :
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।
मयाऽऽह्तानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, पुष्पं पुष्पमालां च समर्पयामि ।
(पुष्प तथा पुष्पमालाएँ चढ़ाएँ)
दूर्वांकुर :
दूर्वांकुरान् सुहरितानमृतान् मंगलप्रदान् ।
आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, दूर्वांकुरान् समर्पयामि ।
(दूर्वांकुर अर्पित करें।)
आभूषण :
वज्रमाणिक्य वैदूर्य मुक्ता विद्रूम मण्डितम् ।
पुष्परागसमायुक्तं भूषणं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, आभूषणानि समर्पयामि ।
(आभूषण समर्पित करें।)
नाना परिमलद्रव्य
दिव्यगंधसमायुक्तं नानापरिमलान्वितम् ।
गंधद्रव्यमिदं भक्त्या दत्तं स्वीकुरु शोभनम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि ।
(परिमल द्रव्य चढ़ाएँ)
धूप :
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यः गन्ध उत्तमः ।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, धूपमाघ्रापयामि ।
(धूप आघ्रापित करें।)
दीप :
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया ।
दीपं गृहाण देवेश ! त्रैलोक्यतिमिरापहम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, दीपं दर्शयामि ।
(दीपक दिखाकर हाथ धो लें।)
नैवेद्य :
(पंचमिष्ठान्न व सूखी मेवा अर्पित करें)
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च ।
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, नैवेद्यं निवेदयामि ।
आचमन :
नैवेद्यांते ध्यानं आचमनीयं जलं उत्तरापोऽशनं हस्तप्रक्षालनार्थं मुखप्रक्षालनार्थं च जलं समर्पयामि ।
(नैवेद्य निवेदित कर पुनः हस्तप्रक्षालन के लिए जल अर्पित करें।)
ऋतुफल :
फलेन फलितं सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम् ।
तस्मात् फलप्रदादेन पूर्णाः सन्तु मनोरथाः ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, ऋतुफलं निवेदयामि। मध्ये आचमनीयं जलं उत्तरापोऽशनं च समर्पयामि ।
(ऋतुफल अर्पित करें तथा आचमन व उत्तरापोऽशन के लिए जल दें।)
ताम्बूल :
पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम् ।
एलालवंगसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, मुखवासार्थे ताम्बूलं समर्पयामि ।
(लवंग, इलायची एवं ताम्बूल अर्पित करें।)
दक्षिणा :
हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः ।
अनन्तपुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, दक्षिणां समर्पयामि ।
(दक्षिणा चढ़ाएँ।)
आरती :
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम् ।
आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भवं ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, आरार्तिक्यं समर्पयामि ।
श्री सत्यनारायण भगवान की आरती के लिए क्लिक करें
इसके पश्चात श्री जगदीश्वर की आरती करें
(कर्पूर से आरती कर जल छोड़ें व हाथ धोएँ।)
प्रदक्षिणा :
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणां पदे पदे ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, प्रदक्षिणां समर्पयामि ।
(प्रदक्षिणा करें।)
मंत्रपुष्पांजलि :
श्रद्धया सिक्तया भक्त्या हार्दप्रेम्णा समर्पितः ।
मंत्रपुष्पांजलिश्चायं कृपया प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः,मंत्रपुष्पांजलि समर्पयामि ।
(पुष्प अर्पित करें)
नमस्कार :
हाथ जोड़कर बोलें :-
नमः सर्वहितार्थाय जगदाधारहेतवे ।
साष्टांगोऽयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृतः ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान् समर्पयामि ।
(प्रार्थना करते हुए नमस्कार करें।)
क्षमा-याचना :
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ॥
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ॥
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, क्षमायाचनां समर्पयामि ।
(क्षमा-याचना करें)
पूजन समर्पण :
हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलें :-
‘ॐ अनेन यथाशक्ति अर्चनेन श्रीसत्यनारायणाय प्रसीदतुः ॥’
(जल छोड़ दें, प्रणाम करें)
ॐ तत्सद् ब्रह्मार्पणमस्तु ।
ॐ आनंद ! ॐ आनंद !! ॐ आनंद !!!
(इसके पश्चात् श्री सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा कहें या सुनें)