इन वास्तु उपायों/प्रयोगों से आपका जीवन रहेगा सुखी-खुशहाल—
जीवन में सफलता प्राप्त करने का सम्बन्ध कुंडली के बाद आपके निवास व कार्य स्थान की उर्जा पर निर्भर करता है जहा आप अपने जीवन का अधिक से अधिक समय व्यतीत करते है….और यह हमारे दैनिक दिनचर्या से जुड़ा हुआ प्रश्न है तो आइये कुछ ऐसे मुख्य सूत्र है जिनसे आज प्रकाश डालते है जिनका हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही महत्व्य है |
- दक्षिण दिशा की तरफ सर रख कर शयन करे |
- घर की परिधि में कंटीले या जहरीले नहीं होने चाहिए |
- पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व उत्तर की ओर होना चाहिए।
- प्रातः काल सूर्य को अर्य देकर सूर्य नमस्कार अवश्य करें।
- पूजा स्थान घर के पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में होना चाहिए |
– भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की तरफ मुख करके ही ग्रहण करे |
यदि आपके घर की उर्जा शुभ हो तो परिवार का हर सदस्य अपने अपने कार्य क्षेत्र में सफलता की उन्चियो तक जा सकता है और यदि उनमे कुछ दोष रह जाये तो परिवार को किसी भी प्रकार के कष्ट और दुर्दिन देखने पद सकते है जिनका कोई पैमाना नहीं है तो आइये कुछ ऐसे सरल सूत्र पर चर्चा करते है जो बनाये आपके घर को शुभ वास्तु….
शुभ वास्तु के कुछ सुझाव :-
– संध्या काल में शयन न करे |
– घर में मकड़ी का जाल न लगने दें |
– महत्वपूर्ण कागजात सदैव पूर्व में रखें।
– शयनकक्ष में कभी जूठे बर्तन नहीं रखें |
– उत्तर पूर्व दिशा की खिड़कियां खोलकर रखें |
व्यक्ति जीवन में संघर्ष करता है सफलता प्राप्त करने हेतु और अपनी जिम्मेदारी को भली भांति पूरा करने हेतु..उसमे जीवन यात्रा में कई ऐसे पड़ाव आते है जब व्यक्ति बहुत ही असहाय हो जाता है…..और यदि कुछ छोटी छोटी बातो का ध्यान दे दिया जाये तो शयद यह जीवन यात्रा बहुत ही सहज और रोचक हो जाये तो आइये आज कुछ ऐसे ही सरल उपाय…जिनसे मिलेगा जीवन में लाभ-
- भोजन यथासंभव आग्नेय कोण में पूर्व की ओर मुंह करके बनाये |
- मुकदमे आदि से संबंधित कागजात धन रखने के स्थान पर न रखें |
- पूजा कक्ष में, धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें।
- सम्पूर्ण भवन में व प्रवेश द्वार पर जल या गंगाजल से नित्य सिंचन करे |
– रात्रिकाल में शयन से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान अवश्य करे |
वास्तु शास्त्र एक ऐसी विद्या है जो हमे स्वस्थ्य जीवन जीने का मार्गदर्शन करती है | जब आप घर से निकले तो किस मुह निकले, किस मुह भोजन करे, किस दिशा में बैठ कर किसी बड़ी योजना को मूर्तरूप दे, या किस दिशा की तरफ सर रख कर सोये जिससे आपको सौभाग्य व आरोग्यता मिले | ऐसे में जीवनशैली व दिनचर्या को कुछ ऐसा बनाये की स्वत: वास्तु के मूलभूत व सामान्य नियमों का पालन होता रहे |
- घर में जूते-चप्पल प्रवेश द्वार पर या अव्यवस्थित कही भी इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए न हो |
- घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले तथा कर्कश ध्वनि उत्पन्न करने वाले नहीं होने चाहिए।
- प्रवेश द्वार पर कीचड़, पानी का रुकना, गन्दी नाली या नाली में पानी जमा होना घोर अशुभता का लक्षण है |
- घर के मंदिर में तीन गणेश, देवी की तीन मूर्ति तथा विष्णु सूचक दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है।
– घर के मध्य भाग (ब्रह्मस्थान) में जूठे बर्तन, गंदे कपडे, साफ करने का या स्थान शौचालय नहीं होना चाहिए।
आपकी सहायता हेतु वास्तु अनुरूप घर की उर्जा को शुद्ध व कलह हो नियंत्रित करने हेतु कुछ सुझाव :-
- गुग्गुल युक्त धूप व अगरवत्ती प्रज्वलित करें वेदमंत्र का उच्चारण करते हुए समस्त गृह में घुमाएं।
- जब भी किसी महत्व्यपूर्ण कार्य हेतु निकले तो कुछ कदम शुभ दिशा अर्थात उत्तर पूर्व की तरफ चल कर कार्य पर जाये |
- घर के मुख्य द्वार पर गणपति को स्थापित कर सिंदूर चढ़ाए फिर उसी सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक व बाई तरफ ॐ बनाएं।
- घर में झाड़ू को उत्तर पूर्व में खुले में या खड़ा करके नहीं रखना चाहिए उसे पैर नहीं लगना चाहिए, न ही लांघा जाना चाहिए, ऐसा रखे की आगंतुक को दिखाई न दे |