इश्क़ को हुस्न आवाज़ दिए जाता है.!!!!!
(पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री)
शौख निगाहों के तीर ना चला “विशाल” जालीम.!
किसी का दिल घायल हुआ जाता है.!!
कैसे समझाऊं कम्बख़त मचलते दिल को.!
बिन पिए ही “विशाल” मदहोश हुए जाता है.!!
अब तक बड़े नाज़ों से संभाल रखा था.!
ये दिल “विशाल” क्यूँ बेचैन हुए जाता है.!!
मालिक है अपने हुस्न-ए-जमाल की माना.!
“विशाल” इश्क़ को हुस्न आवाज़ दिए जाता है.!!
“विशाल”को बेचैन कर्दे वो बाला है जानू.!
ठहरे पानी को ऊबाल दिए जाता है.!!