मेरा दिल खोया खोया रहता है !!!!!!
( पंडित दयानंद शास्त्री”विशाल”)
तन्हाई से बातें करके अक्सर रोया करता है ,
मेरा दिल कितना पागल है खोया खोया “विशाल” रहता है !
जगता रहता हूँ रातों को जुल्म को करके आखों पर ,
उसका सपना नींद मजे की लेकर सोया “विशाल” रहता है !
मैंने माना उस का मिलना मुस्किल है दुस्वरी है ,
फिर भी ये मन उमीदों में आखं भिगोये “विशाल” रहता है !
जी करता है एक झटके में उसे भुला दूँ मै लेकिन ,
बीज मगर यादों का उसकी दिल में “विशाल” बोया रहता है !
कैसे निकलूं गहराई से जिस में खुद ही डूबा था ,
उसके साथ का बीता लम्हा मुझे डुबोये “विशाल” रहता है !
कटने को तो कट जाता ये सफर सकूँ से मेरा पर ,
उसका चेहरा नज़र में रह के फांस “विशाल” चुभोये रहता है ‼
====पंडित दयानंद शास्त्री”विशाल”======
MOB.—.

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