शुभ चिन्ह क्यों लगाते हैं घर के मुख्यद्वार पर ???
वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसी मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाकर शुभ-लाभ लिखने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे घर में हमेशा गणेशजी की कृपा रहती है और धन-धान्य की कमी नहीं होती।
घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे इसलिए कई प्रकार के शुभ चिन्ह बनाएं जाते हैं। शास्त्रों और वास्तु के अनुसार कई शुभ चिन्ह बताए गए हैं जो घर से सभी परेशानियों को दूर रखते हैं। इन्हीं चिन्हों में स्वस्तिक, ऊँ, ऊँ नम: शिवाय, श्री, श्रीगणेश आदि शामिल हैं।
स्वस्तिक के साथ ही शुभ-लाभ का चिन्ह भी धनात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, इसे बनाने से हमारे आसपास से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। इसलिए स्वस्तिक के चिन्ह के साथ ही हर-त्यौहार पर घर के मुख्यद्वार पर सिन्दूर से शुभ-लाभ लिखा जाता है। जिससे घर पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती और घर में सकारात्मक वातावरण बना रहता है। इसी वजह से मुख्यद्वार पर स्वस्तिक बनाने व शुभ-लाभ लिखने की परंपरा बनाई गई।
किसी भी पूजन कार्य का शुभारंभ बिना स्वस्तिक के नहीं किया जा सकता। हमारे यहां मुख्यद्वार पर स्वस्तिक के आसपास शुभ-लाभ लिखने की परंपरा है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार श्री गणेश प्रथम पूजनीय हैं और शुभ व लाभ यानी शुभ व क्षेम को उनके पुत्र माना गया है। कहते हैं जहां शुभ होता है वहां हर काम में फायदा यानी लाभ अपने आप होने लगता है या जहां हर कार्य में लाभ होता है वहां सबकुछ अपने आप शुभ होने लगता है।
किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में या सामान्यत: किसी भी पूजा-अर्चना में घर के मुख्यद्वार पर या बाहर की दीवार स्वस्तिक का निशान बनाकर स्वस्ति वाचन करते हैं। स्वस्तिक श्रीगणेश का ही प्रतीक स्वरूप है। किसी भी पूजन कार्य का शुभारंभ बिना स्वस्तिक के नहीं किया जा सकता। चूंकि शास्त्रों के अनुसार श्री गणेश प्रथम पूजनीय हैं, अत: स्वस्तिक का पूजन करने का अर्थ यही है कि हम श्रीगणेश का पूजन कर उनसे विनती करते हैं कि हमारा पूजन कार्य सफल हो।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर श्रीगणेश का चित्र या स्वस्तिक बनाने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे घर में हमेशा गणेशजी कृपा रहती है और धन-धान्य की कमी नहीं होती। साथ ही स्वस्तिक धनात्मक ऊर्जा का भी प्रतीक है, इसे बनाने से हमारे आसपास से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। स्वस्तिक का चिन्ह वास्तु के अनुसार भी कार्य करता है, इसे घर के बाहर भी बनाया जाता है जिससे स्वस्तिक के प्रभाव से हमारे घर पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती और घर में सकारात्मक वातावरण बना रहता है। इसी वजह से घर के मुख्य द्वार पर श्रीगणेश का छोटा चित्र लगाएं या स्वस्तिक या अपने धर्म के अनुसार कोई शुभ या मंगल चिन्ह लगाएं।
शास्त्रों के अनुसार दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के दौरान हमारे घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर शुभ-लाभ और स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में ये तीनों शब्द लिखना न भूले। ऐसा माना जाता है शुभ-लाभ लिखने से घर में शुभ और लाभ बना रहता है। हर मांगलिक कार्य में स्वस्तिक बनाया जाता है, इसी के साथ शुभ-लाभ भी लिखा जाता है। सिंदूर या कुमकुम से शुभ और लाभ लिखने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इससे महालक्ष्मी सहित श्री गणेश भी प्रसन्न होते हैं।
शास्त्रों अनुसार गणेशजी के दो पुत्र माने गए हैं, एक क्षेम अर्थात शुभ और दूसरे पुत्र का नाम है लाभ। घर के बाहर शुभ-लाभ लिखने का मतलब यही है कि हमारे घर में सुख और समृद्धि सदैव बनी रहे। ऐसी प्रार्थना ईश्वर से की जाती है। शुभ (क्षेम) लिखने का का अर्थ है कि हम प्रार्थना करते हैं कि जिन साधनों, कला या ज्ञान से धन और यश प्राप्त हो रहा है वह सदैव बना रहे।
लाभ लिखने का अर्थ है कि भगवान से हम प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर की आय अथवा धन हमेशा बढ़ता रहे। श्री गणेश की कृपा से हमारा व्यवसाय या आय प्राप्ति स्रोत सदैव बढ़ते रहे। इसके अलावा स्वतिस्त का चिन्ह श्री गणेश का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। अत: महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए घर के बाहर शुभ-लाभ लिखें और स्वस्तिक का चिन्ह अवश्य बनाएं।
परिवार के सभी सदस्यों के अच्छे जीवन के लिए जरूरी है कि घर के मुख्य द्वार पर कोई ना कोई शुभ चिन्ह अवश्य लगाया जाए। कुछ चिन्ह मुख्य द्वार पर या दीवार पर ऊपर की ओर लगाए जाते हैं लेकिन कुछ चिन्ह दरवाजे के नीचे भी लगाने चाहिए।
घर में समृद्धि तभी बनी रहेगी जब सदस्यों के पास पर्याप्त धन हो और धन महालक्ष्मी की कृपा से ही प्राप्त होता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं इन्हीं में से एक है देवी के पैरों के निशान मुख्य द्वार के यहां जमीन पर लगाना।
मुख्य द्वार के नीचे बाहर की ओर देवी लक्ष्मी के लाल रंग चरणों के चिन्ह बनाए जाते हैं। इससे सभी देवी-देवताओं की शुभ दृष्टि हमारे घर और सदस्यों पर सदैव बनी रहती है। ज्योतिष के अनुसार अशुभ ग्रहों का बुरा प्रभाव भी कम होता है। इसके अलावा हमारे घर पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। सभी सदस्यों में पॉजीटिव एनर्जी का संचार होता है।

2 COMMENTS

    • शुभेच्छु —
      आपका अपना —
      -पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री.
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      मित्रों, आप सभी की सूचनार्थ (ध्यानार्थ )मेरा वाट्सअप नंबर —
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