तुमने दिल उन्हें दिया, उन्होंने सौदा रूह का किया—-डा.राजेंद्र तेला”निरंतर”
वो देखते अक्स
तुम्हारा अपने दिल में
तुम देखते
अक्स उनका आईने में
तुमने दिल उन्हें दिया
उन्होंने
सौदा रूह का किया
तुमने
मोहब्बत नाम दिया
उन्होंने इबादत समझा
निरंतर मकसद तुम्हारा
उन्हें पाना
उन्होंने रास्ता
खुदा के घर का जाना
तुम्हें अपनी मंजिल
समझा
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चाहा था उन्हें—
कसूर इतना था कि चाहा था उन्हें
दिल में बसाया था उन्हें कि
मुश्किल में साथ निभायेगें
ऐसा साथी माना था उन्हें |
राहों में मेरे साथ चले जो
दुनिया से जुदा जाना था उन्हें
बिताती हर लम्हा उनके साथ
यूँ करीब पाना चाहा था उन्हें
किस तरह इन आँखों ने
दिल कि सुन सदा के लिए
उस खुदा से माँगा था उन्हें
इसी तरह मैंने खामोश रह
अपना बनाना चाहा था उन्हें |
– दीप्ति शर्मा
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आँसू मैं ना ढूँदना हूमें,
दिल मैं हम बस जाएँगे,
तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे.
लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा,
चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.
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कोई दीवाना कहता है , कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हु , तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
मुहबात एक एह्सस्सों की पवन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी थी
यहाँ सब लोग कह्तेही मेरी आखों में आँसू है
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है
समंदर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को अपना तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता
की भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब के सुनते थे सब किस्सा मुहबत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
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मन की खिड़की,दिल का दरवाज़ा खुला रखता हूँ—डा.राजेंद्र तेला”निरंतर”
मन की खिड़की
दिल का दरवाज़ा खुला
रखता हूँ
मेहमानों का निरंतर
इंतज़ार करता हूँ
सब्र नहीं खोता
किस जात,
किस रंग का होगा ?
कब आयेगा ?
नहीं सोचता
दिल के सौदे में कोई
मोल भाव नहीं करता
हर आने वाले का
इस्तकबाल करता
दिल मिले
जब तक रखता हूँ
ना मिले तो प्यार से
विदा करता हूँ
ना मलाल करता
ना रंज कोई रखता हूँ
नए मेहमान से
मिलने का अरमान
कभी ख़त्म नहीं होता
उम्मीद में
वक़्त गुजारता हूँ
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१) उस गुलाब से पूछो दर्द क्या होता हैं !
जो हर वक़्त खामोश ही रहता हैं !!
औरो को देता हैं पैगाम-ऐ-मोहब्बत !
और खुद काँटों की चुभन को सहता हैं !!
(२) वो कहते हैं मजबूर हैं हम !
न चाहते हुए भी दूर हैं हम….!!
चुरा ली उन्होंने धड़कन भी हमारी !
फिर भी वो कहते हैं की बेकसूर हैं हम !!
(३) क्यों बनाया मुझको आए बनाने वाले !
बहुत गम देते हैं ये जमाने वाले….!!
मैंने आग के उजालों में कुछ चेहरों को देखा !
मेरे अपने ही थे मेरे घर जलाने वाले !!
(४) हमें किसी से कोई शिकायत नहीं !
शायद मेरी किश्मत में चाहत नहीं…!!
मेरी तक़दीर को लिखकर उपरवाले मुकर गए !
पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट नहीं….!!
(५) हम अपनी जिंदगी ख़ुशी से लुटा दे !
अगर खुदा हमारी उम्र आपको लगा दे !!
और तो कुछ माँगा नहीं हमने खुदा से !
बस हर जन्म में आपको हमारा दोस्त बना दे !!
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(१) इस जहाँ में मोहब्बत काश न होती !
तो सफर-ऐ-जिंदगी में मिठास न होती !!
अगर मिलती बेवफा को सजाए मौत…!
तो दीवानों की कब्र यूँ उदाश न होती !!
(२) जियो उसके लिए जो जीने का सहारा हो !
चाहो उसे जो आपको जान से भी प्यारा हो !!
राह में तो मिलेंगे बहुत साथी लेकिन….!
साथ उसका दो जिसने भीर में आपको पुकारा हो !!
(३) किस कदर मुझको सताते हो तुम !
भूल जाने पे भी याद आते हो तुम..!!
जब भी खुदा से कुछ मांगता हूँ !
मेरे दिल की दुवा बन जाते हो तुम !!
(४) जागते हैं तनहा रातों में !
खोते हैं दिल उनकी बातों में !!
मिली नहीं दिल की मंजिल आज तक !
क्योकि दर्द ही दर्द लिखा हैं इन हाथों में !!
(५) चुपके से धड़कन में उतर जायेंग�h !
राहें उल्फत में हद से गुजर जायेंगे !!
आप जो हमें इतना चाहेंगे…..!
हम तो आपकी साँसों में पिघल जायेंगे !!

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