भूलकर भी जाने-अनजाने में ये न करें वरना—!!!! जानिए क्या न करें मां-बहन व भाई के साथ! वरना..????
शास्त्रों में बताई भूत-प्रेत योनि दरिद्रता और अपवित्रता की प्रतीक भी हैं। इसलिए जीवित रहते भी तन की अस्वच्छता से लेकर अज्ञानता, कटु बोल और व्यवहार से मिलने वाले बुरे नतीजों से भारी दु:ख व अभाव भी शास्त्रों में बताई मृत्यु उपरांत बुरे कर्मों से मिलने वाली प्रेत योनि भुगतने का प्रत्यक्ष एहसास ही हैं।
दरअसल, धर्मशास्त्र जीवन को साधने की ही सीख देते हैं। इसी कड़ी में हिन्दू धर्मग्रंथ गरुड़ पुराण में भी व्यावहारिक जीवन में बुरी कर्मों की सजा प्रेत योनि मिलना भी बताया गया है। जिसके पीछे गूढ़ उद्देश्य यही है कि हर प्राणी सदाचार, संस्कार, मर्यादा व सद्कर्मों से जुड़कर रहे तो सुख-सम्मान भरा जीवन संभव है, अन्यथा भूत-प्रेत की तरह दुर्गति को प्राप्त होता है।
बहरहाल, जानते हैं गरुड़ पुराण के मुताबिक व्यक्तिगत, पारिवारिक व सामाजिक जीवन के दौरान किए गए वे गलत काम, जिनका दण्ड मृत्यु उपरांत प्रेत योनि के रूप में प्राप्त होता है –
लिखा गया है कि –
मातरं भगिनीं ये च विष्णुस्मरणवर्जिता:। अदृष्दोषां त्यजति स प्रेतो जायते ध्रुवम्।
भ्रातृधुग्ब्रह्महा गोघ्र: सुरापो गुरुतल्पग:। हेमक्षौमहरस्ताक्ष्र्य स वै प्रेतत्वमाप्रुयात्।।
न्यासापहर्ता मित्रधु्रक् परदारतस्तथा। विश्वासघाती क्रूरस्तु स प्रेतो जायते ध्रुवम्।।
कुलमार्गांश्चसंत्यज्य परधर्मतस्तथा। विद्यावृत्तविहीनश्च स प्रेतो जायते ध्रुवम्।।
इन बातों को सरल शब्दों में समझे तो प्रेत योनि में जाने के पीछे ऐसे बुरे काम हैं –
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बेकसूर मां, बहन, पत्नी, बहू और कन्या को छोड़ देना।
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भाई के साथ दगाबाजी, गाय को मारने वाला, नशा करने वाला, गुरुपत्नी के प्रति दुर्भाव रखने वाला, किसी भी मनुष्य या ब्राह्मण को मृत्यु तुल्य दु:ख देने वाला व चोर।
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घर में रखी अमानत को हरने वाला, मित्र के साथ धोखा करने वाला, परायी स्त्री से संबंध रखने वाला, विश्वासघाती व दुष्ट।
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वह अज्ञानी व दुराचरण करने वाला, जो कुटुंब या परिवार की अच्छी परंपराओं व धर्म की राह छोड़े।
इस हिसाब से बेकसूर पत्नी को छोड़ने वाला तेली पक्का प्रेत बनेगा