आइये जाने की केसे करें ग्रहों को अर्ध्य देकर खुश/ प्रसन्न..???
मित्रों, जेसा की आप सभी जानते हें आदिकल से ही सत्य सनातन परम्परा में देवी देवताओं, ग्रहों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपनी श्रद्धांजली या कृतज्ञता स्वरुप अर्घ्य देने की परम्परा चली आई है | एक तरफ यह आरोग्यता दायक है और वाही दूसरी तरफ मनुष्य के अंदर की छठी इन्द्रिय को जागृत करने में सहायक भी | इस कारण इससे जुड़े कई सारे पर्व भी हमारी सभ्यता के अंग है और सूर्य को जल देना तो एक दैनिक जीवनचर्या का हिस्सा ही है |
जहाँ एक ओर अर्घ्य देना अध्यात्मिक प्रक्रिया है तो वही दूसरी ओर यह पूर्णत: वैज्ञानिक भी | तो आइये जानते है की क्या लाभ है भिन्न-भिन्न अर्ध्यों के और किस विशेष समस्या के लिए कौन सा अर्घ्य लाभकारी है ???? यहअवश्य ध्यान रखे की किसी भी ग्रह के निमित्त जब अर्ध्य दे तो कम से कम पैतालीस दिन का नियमित प्रयोग अवश्य करे |
कब दे सूर्य को अर्घ्य ???—
सूर्य को नित्य अर्घ्य देना किसी भी व्यक्ति के लिए आरोग्यता व सौभाग्य प्रदायक माना गया है | यह अर्घ्य तांबे के पात्र में जल भरकर उसमे एक चुटकी रोली या लाल चंदन का चूर्ण, हल्दी, अक्षत, एक लाल पुष्प डालकर लाल वस्त्र धारणकर गायत्री मंत्र के सात बार उच्चारण के साथ साथ चरणों में सात बार दें ।
कब दे चंद्रमा को अर्घ्य ?—
यदि मन में बहुत जादा चंचलता हो…कही मन न लगे…बार बार उल्टे सीधे विचार आये तो चांदी के पात्र में थोड़ा सा दूध लेकर के चंद्र उदय होने के बाद संध्याकाल में अर्घ्य दें, विशेषकर पूर्णिमा के दिन तो अवश्य दे । चंद्र को अर्घ्य देना मन में आ रहे समस्त बुरे विचार, दुर्भावना, असुरक्षा की भावना व माता के ख़राब स्वास्थ्य को तत्काल नियंत्रित कर लेता तथा आपके मन को संतुष्टि देता है |
कब देवें भगवान गणेश को विशेष अर्घ्य ??–
जब भी कोई नया काम शुरू करे या किसी विशेष व आवश्यक कार्य पर जा रहे है और कोई विधि न मालूम हो तो भगवान गणेश को मिट्टी या धातु (तांबा, पीतल) के पात्र से जल में दूर्वा, अक्षत, रोली, हल्दी चूर्ण, इत्र, कुमकुम, चंदन का चूर्ण, एक रुपए का सिक्का और एक खड़ी सुपारी डालकर अर्घ्य देने के बाद अपना कार्य निश्चिंत होकर प्रारंभ करदे , हर कार्य में सफलता ही हाथ आएगी |
ग्रह बाधा निवारण हेतु किसे देवें अर्ध्य..???
ग्रह बाधा दूर करने के लिए नियमित स्नान ध्यान से निर्वित हो कर पीपल के वृक्ष में अर्घ्य देना शास्त्रिय मान्यता में विशेष स्थान रखता है।
क्यों देवे माँ शीतला व माँ संकठा को अर्घ्य ???
जब घर में कोई दैवीय प्रकोप हो, घर के किसी सदस्य को ज्वर या गंभीर रोग हो जाए तो लगातार चिकित्सको की परामर्श देख रेख के बाद भी ठीक न हो, सभी जांच परिणाम सामान्य निकले तो ऐसी स्थिती में नियमित नीम के वृक्ष में माँ शीतला व माँ संकठा का ध्यान कर अर्घ्य देना दो धूप बत्तियां जलाना और कुछ मीठा भोग लगाने से तत्काल लाभ होता है।
पारिवारिक क्लेश निवारण हेतु तुलसी माँ को अर्घ्य दीजिये…
यदि किसी परिवार में बहुत जादा ही कलह क्लेश का वातावरण हो तो ऐसी स्थिती में घर के मध्य भाग (ब्रह्म स्थान) या इशान कोण में एक तुलसी का पौधा लगाकर उसमे नियमित दूध का अर्घ्य देना और देसी घी के दीपक से आरती करना कितने भी कठिन से कठिन वातावरण को तत्काल नियंत्रित कर उर्जा को शुद्ध करता है तथा घर के सभी सदस्यों में उच्च संस्कार को संचारित करता है |