विजयदशमी/दशहरा को बनाये विशेष इन उपायों द्वारा —
अधर्म पर धर्म की जीत,
अन्याए पर न्याय की विजय,
बुराई पर अच्छाई की जय जय कार,
यही है दशहरे का त्यौहार ..
दशहरे की शुभकामनायें…..
हो आपकी जिंदगी में खुशियों का मेला
कभी ना आए कोई झमेला
सदा सुखी रहे आपका बसेरा..
मुबारक हो आपको यह शुभ दशहरा!
विजयादशमी अर्थात दशहरा की धूम संपूर्ण भारत-वर्ष में देखी जाती है. सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा अनेक महत्वपूर्ण संदेश देता है. विजय दशमी का पर्व आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है. दशहरा या विजयादशमी असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. अधर्म एवं बुराई को समाप्त करके धर्म की स्थापना और शांति का प्रतीक है. क्षत्रियों के यहां शस्त्रों की पूजा होती है, इस दिन नीलकंठ का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है. दशहरा या विजया दशमी नवरात्रि के पश्चात दसवें दिन मनाया जाता है |
विजयदशमी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण दिन है. इस दिन रावण, उसके भाई कुम्भकरण और पुत्र मेघनाद के पुतले जगह-जगह में जलाए जाते हैं. सुबह के समय पूजा करने के बाद संध्या समय में जब “विजय” नामक तारा उदय होता है तब रावण का दाह संस्कार पुतले के रुप में किया जाता है. रावण के पुतले जलाने का कार्य सूर्यास्त से पहले समाप्त किया जाता है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में हिन्दु धर्म के अनुसार सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाता है |
विजय दशमी या दशहरे के त्यौहार पर अनेक संस्कारों, अनेक संस्करणों को पूर्ण किया जाता है इस त्यौहार के अंतर्गत अनेक प्रकार के रीति-रिवाज़ों का प्रचलन है. जैसे कृषि -महोत्सव या क्षात्र-महोत्सव, सीमोल्लंघन का परिणाम दिग्विजय तक पहुंचा, शमीपूजन, अपराजितापूजन एवं शस्त्रपूजन जैसी कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक कृतियां की जाती हैं. दशहरे का एक सांस्कृतिक महत्व भी रहा है. इस समय भारत वर्ष में किसान फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है और उसी शुभ उमंग के अवसर पर वह उसका पूजन करता है. समस्त भारतवर्ष में यह पर्व विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है| दशहरे के पहले दिन जौ उगाए जाते हैं. वह जौ दसवें दिन यानी दशहरे के दिन इन कण्डों के ऊपर रखे जाते हैं. उसके बाद धूप-दीप जलाकर, अक्षत से रावण की पूजा की जाती है. कई स्थानों पर लड़कों के सिर तथा कान पर यह जौ रखने का रिवाज भी दशहरे के दिन होता है. भगवान राम की झांकियों पर भी यह जौ चढा़ए जाते हैं|
रावण के इन गुणों ने बनाया था उसे महान —
काफी योग्य: –— रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ बहु-विद्याओं का जानकार था।
मायावी:-— रावण को मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था।
महापंडित रावण :-— रावणबहुत बड़ा पंडित था और इसी कारण भगवान राम ने उससे विजय यज्ञ करवाया था।रावण ने तांडव स्तोत्र, अंक प्रकाश, इंद्रजाल, कुमारतंत्र, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, ऋग्वेद भाष्य, रावणीयम, नाड़ी परीक्षा आदि पुस्तकों की रचना की थी। पौराणिक ग्रंथों में वर्णन भी है कि रावण को कई भाषाओं का ज्ञान भी था।
कवि: —रावण को लोग बहुत बढ़िया कवि कहते थे, उसने कई रचनाएं भी लिखी हैं।
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इस साल दिल्ली में का रावण दहन का शुभ मुहूर्त—
विजय मुहूर्त = .4:.. से 14:48
अवधि = 0 घण्टे 45 मिनट्स
अपराह्न पूजा का समय = 1.:16 से 15:33
अवधि = 2 घण्टे 17 मिनट्स
दशमी तिथि प्रारम्भ = 10/अक्टूबर/2016 को 22:53 बजे
दशमी तिथि समाप्त = 11/अक्टूबर/2016 को 22:28 बजे
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उज्जैन में विजयदशमी पूजा का समय—
विजय मुहूर्त = १४:३९ से १५:२३
अवधि = ० घण्टे ४४ मिनट्स
अपराह्न पूजा का समय = १३:५५ से १६:०८
अवधि = २ घण्टे १२ मिनट्स
दशमी तिथि प्रारम्भ = १०/अक्टूबर/२०१६ को १३:२३ बजे
दशमी तिथि समाप्त = ११/अक्टूबर/२०१६ को १२:५८ बजे
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जानिए क्यों हैं दशहरा अबूझ मुहूर्त—
दशहरा एक अबूझ मुहूर्त है. दशहरे के दिन नए व्यापार या कार्य की शुरुआत करना अति शुभ होता है. यह अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है, इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, स्वर्ण, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है. दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है. दशहरा के दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है. प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे. इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं. दशहरा का पर्व समस्त पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, अहंकार, हिंसा आदि के त्याग की प्रेरणा प्रदान करता है|
दशहरा को सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में जाना जाता है। क्योंकि इस दिन मां दुर्गा पृथ्वी से अपने लोक के लिए प्रस्थान करती हैं। इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध भी किया था। इतना ही नहीं नवरात्र के दिन कुबेर ने स्वर्ण की वर्षा करके धरती वासियों को धन धान्य से खुशहाल बनाया था। इसलिए दशहरे के दिन पूरे साल को खुशहाल और धन धान्य से परिपूर्ण बनाने के लिए कुछ आसान से उपाय लोग सदियों से करते आए हैं। इस दशहरे आप भी इन उपायों को आजमाकर अपनी जिंदगी खुशहाल बना सकते हैं।
ये करें उपाय/टोटके दशहरे के दिन–
दशहरा के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करें। अगर संभव हो तो इस दिन अपने घर में शमी के पेड़ लगाएं और नियमित दीप दिखाएं। मान्यता है कि दशहरा के दिन कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्राएं देने के लिए शमी के पत्तों को सोने का बना दिया था। तभी से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है।
दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन बहुत ही शुभ होता है। माना जाता है कि इस दिन यह पक्षी दिखे तो आने वाला साल खुशहाल होता है।
रावण दहन के बाद बची हुई लकड़ियां मिल जाए तो उसे घर में लाकर कहीं सुरक्षित रख दें। इससे नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं होता है।
दशहरे के दिन लाल रंग के नए कपड़े या रुमाल से मां दुर्गा के चरणों को पोंछ कर इन्हें तिजोरी या अलमारी में रख दें। इससे घर में बरकत बनी रहती है।
दशहरे के दिन देवी यात्रा करती हैं इसलिए इस दिन को यात्रा के लिए शुभ दिन माना जाता है। इस दिन संभव हो तो यात्रा करें भले ही वह छोटी दूरी की हो। इससे आपकी यात्रा में आने वाली बाधाएं दूर होती है। जिन लोगों को विदेश यात्रा की इच्छा है उन्हें यात्रा का योग मजबूत बनाने के लिए यह उपाय आजमाना चाहिए।
दशहरे के दिन सिर पर जयंती रखें और ‘ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कपानलिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।। मंत्र का जप करें। इससे आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।
जयंती को तिजोरी या अलमारी में रखने से धन धान्य की प्राप्ति और बरकत होती है।
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Deepika gupta
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