जानिए वास्तु अनुसार किस दिशा में हो रसोई/किचन—-
किसी भी घर/भवन में किचन (रसोईघर) अत्यन्त महत्वपूर्ण है। घर की गृहिणी का किचन से विशेष नाता रहता है। गृहणियां हमेशा इस बात का खयाल रखती हैं कि उनका किचन आग्नेय कोण में हो और यदि ऐसा नहीं हो तो किसी भी परेशानी का कारण किचन के वास्तुदोष पूर्ण होने को ही मान लिया जाता है, जो उचित नहीं है।
वेसे तो यह सही है कि घर के आग्नेय कोण में किचन का स्थान सर्वोत्तम है, पर यदि संभव हो तो उसे किसी अन्य स्थान पर बनाया जा सकता है।
**** आग्नेय कोण: —-किचन की यह स्थिति बहुत शुभ होती है । आग्नेय कोण में किचन होने पर घर की स्त्रियां खुश रहती हैं। घर में समस्त प्रकार के सुख रहते हैं।
****ईशान कोण (दिशा) मे रसोईघर —-
घर के ईशान कोण मे रसोईघर का होना शुभ नहीं है। रसोईघर की यह स्थिति घर के सदस्यों के लिए भी शुभ नहीं है। इस स्थान में रसोईघर होने से निम्नप्रकार कि समस्या आ सकती है यथा —
खाना बनाने में गृहिणी की रूचि नहीं होना, परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य खराब रहना, धन की हानि, वंश वृद्धि रूक जाना, कम लड़के का होना तथा मानसिक तनाव इत्यादि का सामना करना पड़ता है।
इस दिशा में रसोईघर बनाने से अपव्यय (बेवजह खर्च होना) एवं दुर्घटना होता है अतः भूलकर भी इस दिशा में रसोईघर नहीं बनवाना चाहिए।
***** उत्तर दिशा मे रसोईघर —–
उत्तर दिशा रसोई घर के लिए अशुभ है। इस स्थान का रसोईघर आर्थिक नुकसान देता है इसका मुख्य कारण है कि उत्तर दिशा धन का स्वामी कुबेर का स्थान है यहाँ रसोईघर होने से अग्नि धन को जलाने में समर्थ होती है इस कारण यहाँ रसोई घर नहीं बनवानी चाहिए। हां यदि गरीबी जीवन या सब कुछ होने हुए भी कुछ नहीं है का रोना रोना है तो आप रसोईघर बना सकते है।
***** वायव्य कोण मे रसोईघर (उत्तर-पश्चिम दिशा)—-
विकल्प के रूप में वायव्य कोण में रसोईघर का चयन किया जा सकता है। परन्तु अग्नि भय का डर बना रह सकता है। अतः सतर्क रहने की जरूरत है।
**** पश्चिम दिशा मे रसोईघर —-
पश्चिम दिशा में रसोईघर होने से आए दिन अकारण घर में क्लेश होती रहती है कई बार तो यह क्लेश तलाक का कारण भी बन जाता है। संतान पक्ष से भी परेशानी आती है।
***** नैर्ऋत्य कोण मे रसोईघर (दक्षिण-पश्चिम दिशा)—
इस दिशा में रसोईघर बहुत ही अशुभ फल देता है। नैऋत्य कोण में रसोईघर बनवाने से आर्थिक हानि तथा घर में छोटी-छोटी समस्या बढ़ जाती है। यही नहीं घर के कोई एक सदस्य या गृहिणी शारीरिक और मानसिक रोग के शिकार भी हो सकते है। दिवा स्वप्न बढ़ जाता है और इसके कारण गृह क्लेश और दुर्घटना की सम्भावना भी बढ़ जाती है।
***** दक्षिण दिशा मे रसोईघर —-
दक्षिण दिशा में रसोई घर बनाने से आर्थिक नुकसान हो सकता है। मन में हमेशा बेचैनी बानी रहेगी। कोई भी काम देर से होगा। मानसिक रूप से हमेशा परेशान रह सकते है।
***** आग्नेय कोण मे रसोईघर (दक्षिण-पूर्व दिशा )—
दक्षिण- पूर्व । आग्नेय कोण में रसोई घर बनाना सबसे अच्छा मान गया है। इस स्थान में रसोई होने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। घर के सदस्य स्वस्थ्य जीवन व्यतीत करते है।
*****पूर्व दिशा मे रसोईघर —–
पूर्व दिशा में किचन होना अच्छा नहीं है फिर भी विकल्प के रूप में इस दिशा में रसोई घर बनाया जा सकता है। इस दिशा में रसोई होने से पारिवारिक सदस्यों के मध्य स्वभाव में रूखापन आ जाता है। वही एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी बढ़ जाता है। वंश वृद्धि में भी समस्या आती हैं। जिस घर में पूर्व दिशा में किचन होता है, उसकी आय अच्छी होती है। घर की पूरी कमान पत्नी के पास होती है। पत्नी की खुशियों में कमी रहती है। साथ ही उसे पित्त गर्भाशय स्नायु तंत्र आदि से संबंधित तोग होने की सम्भावना रहती हैं।।
किचन से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां निम्नलिखित हैं, जिनका किचन बनाते समय ध्यान रखना चाहिए-
****( जिस घर में किचन के अंदर ही स्टोर हो तो गृहस्वामी को अपनी नौकरी या व्यापार में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन कठिनाइयों से बचाव के लिए किचन व स्टोर रूम अलग-अलग बनाने चाहिए।
***** किचन व बाथरूम का एक सीध में साथ-साथ होना शुभ नहीं होता है। ऐसे घर में रहने वालों को जीवन यापन करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। ऐसे घर की कन्याओं के जीवन में अशांति बानी रहती हैं ||
ये कुछ सरल वास्तु टिप्स (उपाय) हैं, जिन्हें आजमा कर आप अपनी स्थित सुधार सकते हैं।
यदि फिर भी स्थिति न सुधरे, तो किसी योग्य और अनुभवी वास्तु-सलाहकार को अपने घर, प्रतिष्ठान या कार्यालय में बुलाकर अपने वास्तु दोष का निवारण अवश्य करवाना चाहिए ||